अभी हाल ही में पाकिस्तान के कराची शहर में दिल दहला देने वाली घटना हुई, जब पाकिस्तानी स्टॉक एक्स्चेंज में पुलिस की वेशभूषा में घुसे 4 बंदूकधारियों ने कत्लेआम मचाते हुए ग्रेनेड से हमले किए, और 6 पाकिस्तानी नागरिकों को मार गिराते हुए कुछ समय के लिए पाकिस्तानी स्टॉक एक्स्चेंज की बिल्डिंग पर कब्जा जमा लिया। पुलिस से हुई मुठभेड़ में चारों फ्रीडम फाइटर्स मार गिराए गए, और जल्द ही स्थिति को नियंत्रण में लिया गया।
परंतु घटना के कुछ ही घंटों बाद कुछ ट्वीट्स और रिपोर्ट्स सामने आए, जिसने पाकिस्तान के साथ सम्पूर्ण दक्षिण एशिया में खलबली मचा दी। बलूचिस्तान की आजादी के लिए लड़ रहे संगठन बलूचिस्तान लिब्रेशन आर्मी ने इस हमले की ज़िम्मेदारी लेते हुए मीडिया को बताया की बलूचिस्तान पर पाकिस्तान द्वारा किए जा रहे अत्याचारों के बदले उनकी मजीद ब्रिगेड ने यह आत्मघाती हमला किया है, और वे इस हमले की पूरी-पूरी ज़िम्मेदारी लेते हैं।
इस खबर के सार्वजनिक होते ही मानो पाकिस्तान में कोहराम सा मच गया। बलूचिस्तान पर जिस प्रकार से पाकिस्तान अत्याचार ढाता आया है, वो किसी से छुपा नहीं है, और जिस प्रकार से बलूचिस्तान लिब्रेशन आर्मी ने इस हमले की ज़िम्मेदारी ली है, उससे एक बात तो साफ है – पाकिस्तान और उसके आका चीन की अब खैर नहीं।
अब आप सोच रहे होंगे कि बलूचिस्तान और पाकिस्तान की लड़ाई में चीन का क्या काम है? दरअसल, बलूचिस्तान प्रांत में स्थित ग्वादर पोर्ट पर चीन का प्रभुत्व है, जिससे वह हिन्द महासागर पर अपनी पकड़ मजबूत करना चाहता है। बात यहीं तक सीमित नहीं है। बीजिंग ने इस प्रोजेक्ट में करीब 60 अरब डॉलर्स का निवेश किया है, जो भारत के अकसाई चीन और पाक अधिकृत कश्मीर से गुज़रता है। चीन ग्वादर बन्दरगाह के जरिये अपना नौसैनिक बेस तैयार करना चाहता है ताकि हिन्द महासागर में भी उसका वर्चस्व स्थापित हो सके। फोर्ब्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, “हालिया सैटिलाइट इमेज से पता चलता है कि कई नए कॉम्प्लेक्स को ग्वादर पोर्ट में निर्मित किया गया है। इनमें से एक कॉम्प्लेक्स की बहुत तगड़ी सिक्योरिटी व्यवस्था है”।
इसके अलावा ग्वादर पोर्ट को चीन के हाथों में देने से पाकिस्तान को ढेर सारा राजस्व मिलने की आशा रहती है, जिसका उपयोग वह भारत से कश्मीर हथियाने में करना चाहता है। इसमें अंत में नुकसान केवल और केवल बलूचिस्तान प्रांत का हो रहा है, जिसके ज़मीन को हथिया कर चीन और पाकिस्तान अपना अपना उल्लू सीधा करना चाहते हैं।
लेकिन बलूचिस्तान के निवासियों ने भी तय कर लिया है – बस, अब और नहीं। इसीलिए मामले को अपने हाथों में लेते हुए बलूचिस्तान लिब्रेशन आर्मी ने पाकिस्तान और चीन, दोनों के विरुद्ध निर्णायक युद्ध छेड़ दिया है। इसकी शुरुआत नवम्बर 2018 में ही हो गई थी, बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) ने कराची में चीनी दूतावास पर हमला किया था। उस वक्त बीएलए ने हमले की जिम्मेदारी लेते हुए कहा था कि “बलूच जमीन पर चीनी सेना के विस्तारवादी प्रयासों को बर्दाश्त नहीं करेगा”।
निस्संदेह ही सीपीईसी का सबसे अहम भाग ग्वादर बंदरगाह है, और बलोच समुदाय के लोगों का मानना है कि चीन उनके प्राकृतिक संसाधनों का इस्तेमाल करता है जिससे वो आने वाले समय में प्राकृतिक संसाधनों और खनिजों की प्रचुरता वाली अपनी जमीन खो देंगे और यदि ऐसा जारी रहा तो वो दिन भी दूर नहीं होगा जब बाहरी लोगों के कारण उनकी अपनी पहचान कहीं दब जाएगी।
इसीलिए बलूचिस्तान लिब्रेशन आर्मी प्रमुख रूप से ग्वादर को निशाना बना चीन और पाकिस्तान के बीच की साझेदारी को न केवल तोड़ना चाहती है, बल्कि बलूचिस्तान की स्वायत्ता को जगजाहिर भी करना चाहता है। अब कराची स्टॉक एक्स्चेंज पर हमला बलूचिस्तान लिब्रेशन आर्मी के फ्रीडम फाइटर्स ने ये सिद्ध किया है कि वह पाकिस्तान के किसी भी जगह, कभी भी हमला कर सकता है, और उनकी ये लड़ाई तब तक नहीं रुकेगी, जब तक बलूचिस्तान स्वतंत्र न हो जाये, या फिर पाकिस्तान नष्ट न हो जाये।