चीन के साथ बढ़ते बॉर्डर विवाद के साथ-साथ भारत में चीन वस्तुओं का बहिष्कार तेज हो चुका है। चीनी मोबाइल से लेकर चीनी ऐप तक सभी का बहिष्कार किया जा रहा है। गलवान घाटी में भारतीय सेना पर चीनी हमले के कारण अब लोगों में रोष भर चुका है और अब वे अपने हिसाब से चीन को सबक सिखाने के लिए चीनी वस्तुओं का बहिष्कार कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश में इसका असर दिखना शुरू भी हो चुका है। हिंदुस्तान की रिपोर्ट के अनुसार, लखनऊ में पिछले पांच दिनों मे चीनी फोन की बिक्री में बीस प्रतिशत की गिरावट आई है।
इस रिपोर्ट के अनुसार लखनऊ पत्रकारपुरम में चीनी फोन ओप्पो का एक शो रूम है जिसमें पिछले पांच दिनों में एक भी फोन की बिक्री नहीं हुई है। चीनी फोन का इस तरह से लोगों द्वारा बहिष्कार किए जाने से मोबाइल कारोबारियों ने चीन का मोबाइल मंगाना बंद कर दिया है। ध्यान देने वाली बात है कि पूरे देश का मोबाइल बाजार चीनी मोबाइल कंपनियों से भरा पड़ा है। परंतु चीन के बहिष्कार के कारण अब कारोबारी अमेरिका, दक्षिण कोरिया, ताइवान और फिनलैंड से कारोबार बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं।
यही हाल टैब और लैपटाप की बिक्री में भी देखने को मिल रहा है। दुकानदारों का कहना है कि अब कोई व्यक्ति किसी फोन या इलेक्ट्रोनिक सामान को खरीदने आता है तो सबसे पहले यही पूछताछ कर रहे हैं कि यह मेड इन चाइना तो नहीं है? इसमें पचास प्रतिशत से अधिक लोग चीन का नाम सुन अपना इरादा बदल देते हैं। कुछ ग्राहक कोई विकल्प नहीं होने पर ही मेड इन चाइना खरीदते हैं। रिपोर्ट के अनुसार लखनऊ मोबाइल एसोसिएशन के अध्यक्ष नीरज जौहर ने कहा कि अब दुकानदार भी चीन के बने मोबाइल को नहीं बेचना चाहते। अभी भी बाजार में 70 प्रतिशत मोबाइल चीन के ही हैं लेकिन अब इसमें विकल्प के लिये अमेरिका,ताइवान और दक्षिण कोरिया की कंपनियों से बात की जा रही है।
इसी बहाने चीन पर निर्भरता कम करने और भारतीय कंपनियों को प्रोत्साहन देने की मांग भी तेज होने लगी है। व्यापारियों के शीर्ष संगठनों में शामिल कॉन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) द्वारा चीनी सामान के बहिष्कार और भारतीय सामान के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए चीन के 500 से ज्यादा सामानों की सूची भी जारी की है जिनके आयात पर रोक लगाई जाएगी। कैट ने ‘भारतीय सामान – हमारा अभिमान’ नाम से शुरू किए गए इस राष्ट्रीय अभियान के तहत दिसंबर 2021 तक चीन से आयात में एक लाख करोड़ रुपये की कमी लाने का लक्ष्य रखा है। भारत सरकार ने भी चीन कंपनियों की कई परियोजनाओं को रोक दिया है। मोदी सरकार ने विभिन्न उद्योगों से जुड़े हुए विदेशों से आने वाले सामान की जानकारी मांगी है। सरकार का उद्देश्य चीन से आयातित सामानों का आयात रोकना है और समानांतर रूप से घरेलू उद्योगों को बढ़ावा देना भी है। चीन के खिलाफ अब यह लड़ाई वास्तविक रूप धारण कर चुकी है जिसका असर भारतीय बाजार में दिखने लगा है। प्रधानमंत्री पहले ही आत्मनिर्भर भारत और वोकल फॉर लोकल का नारा दे चुके हैं। परंतु चीन ने जिस तरह कायरतापूर्ण तरीके से भारतीय सेना की टुकड़ी पर हमला किया उससे पूरे देश में चीन के खिलाफ बने माहौल में तेज़ी आ गयी। अगर आम जनता ने हर चीनी सामानों का बहिषकर करना शुरू कर दिया तो वो चीन के लिए किसी आर्थिक तमाचे से कम साबित नहीं होगा।