आखिर भंडाफोड़ हो ही गया, चीन ने ट्विटर और वॉशिंगटन पोस्ट को 19 मिलियन डॉलर देकर उन्हें चुप करा दिया

ट्विटर और अमेरिकी अखबार चीन के हाथों बिक गए!

China

अमेरिका के जस्टिस विभाग को कुछ सनसनीखेज़ खुलासे हाथ लगे हैं, जो ना केवल चीन (China) की पोल खोलते हैं, बल्कि अमेरिका के कुछ मीडिया हाउस की भी पोल खुली है। अब सामने आया है कि कई अमेरिकी मीडिया आउटलेट चीन (China) के इशारे पर काम करते हैं, और मोटा पैसा कमाते हैं।

डेली कॉलर की एक रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिस डिपार्टमेंट को स्वयं चाइना डेली (चाइना का मुखपत्र माने जाने वाला अखबार) ने कुछ दस्तावेज साझा किए हैं। इन दस्तावेजों के अनुसार नवंबर 2016 से अप्रैल 2020 के बीच कई अमेरिकी मीडिया पोर्टल्स ने सीसीपी यानी चीनी कम्यूनिस्ट पार्टी से 1.9 करोड़ अमेरिकी डॉलर कमाए हैं।

अभी इस बात का खुलासा नहीं हुआ है कि इससे पहले भी कभी इन मीडिया हाउस ने चीन से पैसे लिए हैं या नहीं, परन्तु इस खबर के सामने आने से इस बात से भी इन्कार नहीं किया जा सकता कि ऐसा न हुआ हो।  रोचक बात तो यह है कि इनमें कई ऐसे नाम हैं, जो अक्सर सुर्खियों में रहे हैं, चाहे वह न्यूयॉर्क टाइम्स हो, द वॉशिंगटन पोस्ट हो, वॉल स्ट्रीट जर्नल हो या फिर लॉस एंजेलिस टाइम्स ही क्यों ना हो।

इसके अलावा चाइना डेली के हाथों पैसा लेने वालों में फॉरेन पॉलिसी, डे मोइन रजिस्टर  (The Des Moines Register) और CQ रोल कॉल जैसी पत्रिका शामिल हैं। चीन के चाइना डेली ने इसके अलावा अमेरिकी पत्रिकाओं में प्रचार हेतु 1.1 करोड़ से ज़्यादा अमेरिकी डॉलर, और 2 लाख 65 हज़ार से अधिक अमेरिकी डॉलर ट्विटर के साथ विज्ञापन साझा करने में खर्च किए हैं। जस्टिस डिपार्टमेंट को दिए दस्तावेजों के अनुसार चाइना डेली ने करीब 76 लाख अमेरिकी डॉलर इस बात पर खर्च किए हैं कि अमेरिकी पाठक भी उनकी बात सुने और उससे प्रभावित हों।  इनको पैसे देने का उद्देश्य चीन (China) का किइस भी तरह के चीन विरोधी खबर और टिप्पणी को हटाने का भी होता है।

हालांकि, यह कोई हैरानी की बात नहीं होनी चाहिए, क्योंकि कई ऐसी कंपनियां हैं, जो रहती है अमेरिका में, पर गुणगान चीन का करती है। उदाहरण के लिए गूगल को ही देख लीजिए। ये कम्पनी अमेरिका में स्थित है, इसका सीईओ भारतीय मूल का अमेरिकी है, परन्तु ये उस चीन (China) के प्रति लालायित है, जो इसे घास तक नहीं डालता। इसके अलावा ट्विटर जिस तरह से आए दिन चीन (China) विरोधी ट्वीट्स के लिए कई अकाउंट्स पर कैंची चला रहा है, वह भी किसी से छुपा नहीं है।

इन भुगतानों को जाने क्यों “विज्ञापन एंड प्रिंटिंग” वाले खर्चे के श्रेणी में रखा गया है, जबकि सच्चाई तो यही है कि यह मीडिया हाउस चीन (China) के इशारों पर कुछ भी करने को तैयार हैं। चाइना डेली ने जब अमेरिकी मीडिया पोर्टल्स को मोटी रकम भेजी, तो उन्होंने भी बदले में   के लिए विशेष column निकाला।

ऐसे में डेली कॉलर की रिपोर्ट से यह सिद्ध होता है कि आखिर क्यों कई अमेरिकी पोर्टल अभी भी चीन (China) के तलवे चाटने में लगे हुए हैं। जिस तरह से चाइना डेली से इनके संबंध उजागर हुए हैं , उससे पता चलता है कि कैसे अमेरिकी मीडिया को एक तरह से चीन ने लगभग खरीद लिया है और इसीलिए ये मीडिया पोर्टल चीन (China) की खुशामद करने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। इस रिपोर्ट से एक और बात स्पष्ट होती है कि पैसे के बल पर चीन (China) किस तरह से दूसरे देशों के वेबसाइट पोर्टल्स और सोशल मीडिया को अपने विरोध में कुछ भी प्रकाशित करने से रोकता है, या यूँ कहें अपने खिलाफ किसी भी सामग्री को हटवा देता है, जैसा हमें गूगल पर टिकटॉक ऐप  के रिव्यु वाले मामले में देखने को मिला था। अपने देश में मीडिया की आवाज़ कुचलने के बाद अब चीन दुनिया भर के मीडिया को खरीदना चाहता है।

 

 

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