दो हफ्ते पहले जब चीनी संसद की बैठक हुई थी, तब सभी को चौंकाते हुए चीनी प्रशासन ने निर्णय लिया कि इस वर्ष आर्थिक विकास के लिए कोई पैमाना या लक्ष्य नहीं तय किया जाएगा। कई लोग इस बात पर हैरान थे कि आखिर चीन ने ऐसा क्यों किया।
वुहान वायरस के कारण उत्पन्न हुए आर्थिक संकट से चीन भी अछूता नहीं रहा, उसके आयात और निर्यात को काफी तगड़ा नुकसान पहुंचा है। चीन के मई के निर्यात काफी कम रहें हैं, तो वहीं उनका आयात काफी वर्षों बाद न्यूनतम स्तर पर है।
आयात और निर्यात को लेकर चीन की सभी आशंकाएं सत्य सिद्ध हुई। निर्यात में जहां भारी गिरावट दर्ज हुई है, तो वहीं चीन के आयात 6 वर्ष के निम्नतम स्तर पर हैं। जो अभी17 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है।
चीन को आयात में गिरावट से उतनी चिंता नहीं है, जितनी के निर्यात में दर्ज गिरावट से। ऐसा इसलिए है क्योंकि निर्यात में गिरावट चीन के आर्थिक प्रणाली को डगमगा देता है।
पिछले चार दशकों में चीन ने केवल निर्यात को केंद्र मानकर अपनी अर्थव्यवस्था स्थापित की है। निर्यात के दम पर चीन ना केवल वैश्विक फैक्ट्री के रूप में प्रसिद्ध हुआ, अपितु विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया। आज चीन लगभग 2.2 ट्रिलियन डॉलर मूल्य के उत्पाद निर्यात करता है, जो इस देश की जीडीपी का लगभग 20 प्रतिशत है। इस मायने से चीन दुनिया का सबसे बड़ा निर्यातक है। जितना 2019 में भारत का कुल जीडीपी नहीं थी, उससे ज़्यादा तो चीन का विदेशी मुद्रा भंडार रहा है।
परन्तु वुहान वायरस ने सारा का सारा खेल ही उलट पलट कर दिया। एक तो वुहान वायरस का चीन में उत्पन्न होना, और उसके बाद चीन की सीनाजोरी से कई देश अपना आपा खो बैठे। इसके बाद अमेरिका के नेतृत्व में सभी ने वैश्विक सप्लाई चेन से चीन को अलग-थलग करने का निर्णय लिया। चाहे चीनी इंपोर्ट्स पर टैरिफ बढ़ाना हो, या फिर चीन में स्थित विदेशी कम्पनियों को बाहर लाना हो, दुनिया अब चीन पर अपनी निर्भरता को हटाना चाहती है।
इसके पीछे दो प्रमुख कारण है – स्वास्थ्य सहायता के नाम पर देशों को ठगना और स्वतंत्र देशों के अभिन्न अंगों पर किसी साम्राज्यवादी देश की भांति अनगिनत हमले करना। ये बात ऑस्ट्रेलिया और भारत से बेहतर कौन जान सकता है? जहां ऑस्ट्रेलिया से ना सिर्फ स्वास्थ्य सहायता के नाम पर उसके मेडिकल किट लूटे गए, बल्कि लाखों की संख्या में बेबी फॉर्मूला भी लूटा गया। वहीं भारत को चीन ना सिर्फ धमका रहा है, अपितु उसके क्षेत्र (पूर्वी लद्दाख) में घुसपैठ कर अपना शक्ति प्रदर्शन भी कर रहा है।
यदि निर्यात में ऐसे ही गिरावट होती रही, तो चीन के अर्थव्यवस्था के लिए ये बहुत घातक सिद्ध होगा। कम्यूनिस्ट पार्टी सत्ता में इसीलिए टिक पाई है क्योंकि उसने वर्षों से आर्थिक विकास को बनाए रखा है। एक बार इस आर्थिक विकास पर लगाम लगी, तो ना केवल देश में बेरोजगारी और भुखमरी फैलेगी,बल्कि चीन के कम्यूनिस्ट शासन के विरुद्ध एक भीषण क्रांति भी उत्पन्न हो सकती है, जिसे सत्ताधारी पार्टी चाहकर भी नहीं रोक पाएगी।