चीन को अगर दुनिया का सबसे खराब पड़ोसी कहा जाए, तो वह किसी भी प्रकार से गलत नहीं होगा। चीन का उसके सभी पड़ोसियों के साथ बॉर्डर विवाद चल रहा है। भारत के साथ भी वह लद्दाख में विवाद भड़काने से बाज़ नहीं आ रहा है। हालांकि, जिस प्रकार भारत ने चीन की हेकड़ी निकाली है, उस प्रकार शायद ही किसी देश ने चीन को सबक सिखाया हो। भारत के साथ विवाद में चीन को अपने 40 से ज़्यादा सैनिकों से हाथ धोना पड़ गया। भारत सरकार के मुताबिक चीन की आक्रामकता के कारण ऐसा हुआ। यही कारण है कि अब चीन के एक डिफेंस एक्सपर्ट और प्रोफेसर Victor Gao को सामने आकर राष्ट्रपति शी से पीएम मोदी से फोन पर बात करने की गुहार लगानी पड़ी है। Victor Gao ने देश की सेना की पोल खोलते हुए यह भी कहा है कि अगर चीनी सेना को भारत की सेना से बात करने दिया गया तो मामला सुलझने की जगह और बिगड़ता ही चला जाएगा। Victor Gao का यह बयान दर्शाता है कि खुद चीनी लोगों को अपनी सेना की सक्षमता पर विश्वास नहीं है।
Victor Goa ने India Today से बातचीत में बताया “राष्ट्रपति शी और प्रधानमंत्री मोदी जल्द ही फोन पर बात कर भारत-चीन का विवाद सुलझा सकते हैं। दोनों नेता अपने-अपने देशों के बारे में अच्छा सोचते हैं और वे दोनों अपने हितों को ध्यान में रखते हुए ही फैसला लेंगे। युद्ध ना तो चीन बर्दाश्त कर सकता है और ना ही भारत! ऐसे में भलाई राजनीतिक बातचीत में ही होगी। सैन्य स्तर पर बातचीत से मामला और ज़्यादा बिगड़ेगा”।
एक चीनी विशेषज्ञ द्वारा बॉर्डर विवाद पर शी जिनपिंग के शामिल होने का सुझाव देना अपने आप में बहुत बड़ी बात है, क्योंकि बॉर्डर विवाद के मुद्दों से सिर्फ और सिर्फ चीनी सेना और कम्युनिस्ट पार्टी ही निपटती है। किसी भी बॉर्डर विवाद में चीनी राष्ट्रपति सीधे तौर पर शामिल नहीं होते हैं। उदाहरण के तौर पर जब बॉर्डर मुद्दे पर चीन और वियतनाम के रिश्तों में तनाव होता है, तो उस वक्त वियतनाम और चीन के राष्ट्रपति आपस में विवाद सुलझाने के लिए फोन पर बात तो बिलकुल नहीं करते हैं, बल्कि सैन्य स्तर पर ही विवाद को सुलझाने की कोशिश की जाती है। यह चीन के पक्ष में जाता है, क्योंकि दक्षिण चीन सागर या मध्य एशिया के देशों की तुलना में चीन के पास बहुत बड़ी सेना है। हालांकि, जब भारत की बात आती है, तो यह समीकरण चीन के पक्ष में नहीं बैठते।
भारत ने अपने सैन्य बल को भली-भांति दर्शाया है और चीन को भी इस इस बात का अंदाज़ा लग चुका है। लेकिन चीन के लिए समस्या सिर्फ इतनी ही नहीं है। भारत के लोग जिस प्रकार चीन का boycott करने की बात कह रहे हैं, उससे चीन को बड़ा आर्थिक झटका लगना तय है। वहीं भारत में PM मोदी चीन से बड़ा बदला लेने की बात कह चुके हैं। प्रधानमंत्री मोदी का यह रिकॉर्ड रहा है, जब भी वे किसी देश के खिलाफ बदला लेने की बात कहते हैं, तो वह पूरा करके दिखाते हैं। पाकिस्तान के खिलाफ एयरस्ट्राइक और सर्जिकल स्ट्राइक करके भारत यह पहले ही दिखा चुका है। ऐसे में चीन को लग रहा है कि अगर जल्द ही भारत के साथ यह विवाद नहीं सुलझाया गया, तो भविष्य में यह चीन के गले की हड्डी बन सकता है।
भारत पीछे नहीं हट रहा है, और चीन की सेना भी झूठे दावे करने से पीछे नहीं हट रही है। ऐसे में विवाद का बढ़ना तय है, जो चीन के हित में नहीं है। चीन का भारत के साथ बड़ा ट्रेड सरप्लस है, और ऐसे में चीन भारत जैसे बड़े आर्थिक साझेदार से पंगा लेकर अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मार रहा है। चीन को अपने एक्सपर्ट की बात सुनकर जल्द से जल्द बॉर्डर पर विवाद को ठंडा करना चाहिए।