चीन की PLA ने इसे 1962 समझ कर हमला किया, बदले में ऐसा मुंहतोड़ जवाब मिला कि चीन ने सपने में भी नहीं सोचा होगा

आज दोपहर 1 बजे अचानक ऐसी खबर सामने आई, जिसने सभी देशवासियों की दिल की धड़कनों को बढ़ा दी। खबर यह थी कि भारत-तिब्बत बॉर्डर पर चीन ने 1 आर्मी ऑफिसर समेत 20 सैनिकों को शहीद कर दिया। उसके बाद यह खबर आई कि चीन के 40 से अधिक सैनिक के मारे जाने की खबर है

यहा ध्यान देने वाली बात यह थी कि चीन की मीडिया इस बात को स्वीकार कर रही थी। भारत के इस खुलासे के आधे घंटे के अंदर ही चीन की ओर से ऐसा बयान आना जिसने सबको हैरानी में डाल दिया। चीन के मुखपत्र कहे जाने वाले Global times के मुख्य संपादक हु शिजीन ने तो ऐसे ट्वीट किए जिसे देख कर ऐसा लग रहा था जैसे चीनी सेना को भारत से कहीं अधिक नुकसान हुआ है। समान्यतः प्रोपोगेंडा फैलाने वाला चीन इस बार पाकिस्तान की तरह अपने यहाँ हुए नुकसान का खंडन करने की बजाए स्वीकार कर रहा था। साथ ही चीन की मीडिया विक्टिम कार्ड भी खेल रही थी जिससे विश्व को ऐसा लगे कि चीन ने नहीं बल्कि भारत ने इस मामले को शुरू किया।

 

ऐसा लगता है चीन अभी तक 1962 के सपने में ही जी रहा है और यह समझ रहा है कि चाहे वो कुछ भी कर के चला जाएगा और भारत जवाब नहीं देगा। इसलिए तो चीन ने मई के शुरुआत में लद्दाख और सिक्किम दोनों के बार्डर पर दबाव बनान शुरू किया था। परंतु भारत ने मुंहतोड़ जवाब देते हुए चीन के सपने को तोड़ दिया आर याद दिलाया कि यह 1962 नहीं है बल्कि 2020 है । अब भारत 1967 से भी भयंकर जवाब दे सकता है। बता दें कि जब 1967 में चीन ने भारत पर 1962 की तरह ही चढ़ाई करने की सोची थी तब भारत ने नाथू ला और चो ला के क्षेत्रों में China को पटक-पटक के धोया। इस भिड़ंत में China को कितना नुकसान हुआ, इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि चीन को खुद स्वीकारना पड़ा था कि 400 से अधिक चीनी सैनिक इस युद्ध में मारे गए थे।

उसी तरह इस बार भी चीन लद्दाख में कथित रूप से 5000 सैनिकों के साथ कैंप लगा कर बैठ गया। परंतु भारत ने भी जवाबी कार्रवाई करते हुए उतनी ही संख्या में सेना को बार्डर पर भेज दिया और चीन को यह बता दिया कि अगर वह युद्ध ही चाहता है तो वही सही।

जब चीन ने बॉर्डर पर अपने हेलिकॉप्टर को भेजा था, तो भारत ने अपने fighter jets को भेजकर चीन को कड़ा संदेश दिया था। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह पहले ही कह चुके हैं कि चीन से कूटनीतिक माध्यमों के जरिये विवाद सुलझाने की कोशिश की जाएगी लेकिन इस दौरान भारतीय सैनिक एक इंच भी पीछे नहीं हटेंगे।

इसके बाद तो जैसे चीन ने अपने कदम वापस खींचना शुरू किया। चीन की मीडिया ग्लोबल टाइम्स ने तो यह तक कह दिया कि चीन का युद्ध लड़ने का कोई विचार नहीं है, और वह भारतीय मीडिया ही है जो मामले को बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर रही है।

इस बार भारत ने चीन को वर्ष 2017 की तरह ही  फिर से बता दिया कि भारत एक इंच भी चीन को नहीं देने वाला है। चीन की पीएलए द्वारा इस तरह की आक्रामकता कोई नई बात नहीं है। वर्ष 2017 में जब डोकलाम क्षेत्र में भी भारत और चीन के बीच ऐसे ही कई हफ्तों तक बॉर्डर पर विवाद देखने को मिला था। बाद में हार मानकर चीन की सेना को क्षेत्र से पीछे हटना पड़ा था। भारत ने अपनी सीमा के साथ-साथ भूटान की सीमा की भी रक्षा की थी।

चीन को दोनों ही बार भारत के इतने कड़े जवाब की आशा नहीं थी। अब जब भारत ने बड़े स्तर पर चीन की चालबाजी का जवाब देने का प्लान बनाया है, तो चीनी मीडिया की भाषा ही ठंडी पड़ चुकी है और वह अपने यहाँ हुए नुकसान को छिपाने के लिए संख्या बताने में हिचकिचा रहा है और इसे गुडविल का नाम दे रहा है।

चीन की सबसे बड़ी चिंता है भारत का लद्दाख क्षेत्र में दरबूक-श्योक-दौलत बेग ओल्डी (DSDBO) सड़क और उससे जुड़ी अन्य सड़कों का युद्धस्तर पर निर्माण। चीन इन सड़कों के निर्माण से डरा हुआ है और इसलिए भारत पर दबाव बनाने के लिए पैंतरेबाजी कर रहा है। पर अब चीन को 1962 के सपनों की दुनिया से जागना होगा और  और स्वीकार करना होगा कि भारत चीन को उसी के अंदाज में उससे भयंकर जवाब दे सकता है। बता दें कि पिछले ही वर्ष चीन की तरह ही सीमा पर अपनी धमक दिखाने के लिए लद्दाख क्षेत्र में भारतीय थलसेना और वायुसेना के जवानों ने पहली बार एक युद्धाभ्यास किया था। इस दौरान जमकर शक्ति प्रदर्शन किया गया था। भारत अब अपने बार्डर को लेकर अत्यधिक सजग है। इसलिए अब चीन ने अगर भारत की शक्ति को नहीं स्वीकारा तो उसे इसी तरह हर बार मुंह की खानी पड़ेगी

अभी चल रहे बार्डर विवाद पर ब्रीफिंग देते समय विदेश मंत्रालय ने कहा कि चीनी पक्ष गलवान वैली में LAC का सम्मान करते हुए पीछे चला गया था, लेकिन चीन द्वारा स्थिति बदलने की एकतरफा कोशिश करने पर 15 जून को एक हिंसक झड़प हो गई।  इसमें दोनों पक्षों के सैनिकों की मौत हुई है, जबकि इससे बचा जा सकता था। वहीं चीन ने कोई भी सरकारी आंकड़ा जारी करने से माना कर दिया। इससे स्पष्ट पता चलता है कि भारत अपनी मर्यादा में रह कर भी चीन को पठखनी दे रहा है। यही कारण कर कि चीन अब अपने आप को बचाने के लिए विक्टिम कार्ड खेलना शुरू कर चुका है।

 

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