भारत के किसी भी क्षेत्र में पहली बार डीजल पेट्रोल से महंगा बिका है। पर जैसे अंधे के हाथ बटेर लग गई, वैसे ही मोदी सरकार को निशाने पर लेने के लिए विपक्ष को बैठे बिठाये एक ‘अवसर’ मिला, और स्वभाव अनुसार विपक्ष के सदस्यों ने सरकार की आलोचना शुरू कर दी। आम आदमी पार्टी के ट्वीट के अनुसार, “आज पहली बार भारत के इतिहास में डीज़ल पेट्रोल से ज़्यादा महंगा है। भाजपा सरकार को इस उपलब्धि के लिए बधाई”।
𝗙𝗼𝗿 𝘁𝗵𝗲 𝗳𝗶𝗿𝘀𝘁 𝘁𝗶𝗺𝗲 𝗶𝗻 𝘁𝗵𝗲 𝗵𝗶𝘀𝘁𝗼𝗿𝘆 𝗼𝗳 𝗜𝗻𝗱𝗶𝗮, 𝗱𝗶𝗲𝘀𝗲𝗹 𝗰𝗼𝘀𝘁𝘀 𝗺𝗼𝗿𝗲 𝘁𝗵𝗮𝗻 𝗽𝗲𝘁𝗿𝗼𝗹.
– Diesel: ₹ 𝟳𝟵.𝟴𝟴
– Petrol: ₹ 79.76Congratulations to 𝗕𝗝𝗣 𝗚𝗼𝘃𝗲𝗿𝗻𝗺𝗲𝗻𝘁 on their new achievement.
— AAP (@AamAadmiParty) June 24, 2020
अब आम तौर पर देखा जाये तो पेट्रोलियम के उत्पादों के मूल्य में बढ़ोत्तरी तो ग्राहक के लिए काफी दुख की बात है, पर विपक्ष का इस बात पर विरोध काफी अनुचित है। अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार पर अगर आप ध्यान दें, तो पेट्रोल के दाम और डीज़ल के दाम में बहुत कम अंतर होता है, जिसमें अक्सर डीज़ल का पलड़ा भारी रहता है। भारत में कीमतों में बड़ा अंतर इसलिए दिखता है क्योंकि यहाँ पर पेट्रोल पर अतिरिक्त कर भी लागू होता है। पिछले 7 दशकों से केंद्र सरकार और राज्य सरकार दोनों ही पेट्रोल की तुलना में डीज़ल पर कम कर लागू करते थे, क्योंकि डीज़ल का उपयोग गांवों में अधिक होता था।
अभी के आंकड़ों पर ध्यान दे तो पेट्रोल पर केंद्र सरकार का टैक्स पेट्रोल पर करीब 33 रुपये प्रति लीटर और डीज़ल पर करीब 32 रुपये प्रति लीटर है। अगर दिल्ली के कीमतों पर हम ध्यान दें, तो राज्य सरकार का टैक्स पेट्रोल पर लगभग 17.71 और डीज़ल पर 17.60 रुपये हैं। कुल मिलाकर पेट्रोल की कीमत का 64 प्रतिशत टैक्स में जाता है, और यह डीज़ल के लिए 63 प्रतिशत है, जिसका अर्थ है कि डीज़ल पर पेट्रोल से कम टैक्स लगता है।
ऐसे में पेट्रोल पर अधिक टैक्स लगाना न केवल गलत है, बल्कि आधुनिक युग को देखते हुए अतार्किक भी। आधे से अधिक शहरी नागरिक पिछले कुछ वर्षों में पेट्रोल या सीएनजी पर चलने वाले वाहनों को प्राथमिकता देते हैं। केवल जो एसयूवी चलाने वाले अमीर लोग हैं, ग्रामीण ग्राहक हैं और ट्रांसपोर्टर हैं, वे ही डीज़ल का उपयोग करते हैं।
अमेरिका में स्थित अर्बन साइंस नामक कंसल्टेंसी फ़र्म के एमडी अमित कौशिक के अनुसार जब बात affordability की हो, विशेषकर वुहान वायरस जैसी महामारी के समय, तो लोग अवश्य ही पेट्रोल पर अधिक खर्च करेंगे। वैसे भी वे उन वाहनों पर क्यों खर्च करें, जिनकी खपत [डीज़ल] काफी ज़्यादा है?
जिस तरह से पेट्रोल के टैक्स बढ़ाए गए हैं, उससे शहरी ग्राहकों, विशेषकर मध्यम वर्ग के जेब पर काफी असर पड़ा है। इसीलिए सरकार ने डीज़ल पर टैक्स बढ़ाने का निर्णय लिया है, क्योंकि इस समय ग्रामीण अर्थव्यवस्था पहले से काफी बेहतर हालत में है। किसान हो या अन्य गांववासी, डीज़ल की खपत इसलिए वहाँ ज़्यादा है क्योंकि गांवों की दिशा और दशा को देखते हुए डीज़ल इंजन वाले वहाँ सबसे ज़्यादा उपयुक्त हैं।
वुहान वायरस के कारण अर्थव्यवस्था को पहुंची चोट से उबरने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों ने पेट्रोल और डीज़ल पर काफी टैक्स बढ़ाया है। इसलिए अब डीज़ल पर अधिक टैक्स बढ़ाकर केंद्र सरकार ने न सिर्फ भारत की अर्थव्यवस्था में एक व्यापक बदलाव किया है, बल्कि आधुनिक भारत की ओर एक अहम कदम भी बढ़ाया है। जो काम दशकों पहले होना चाहिए था, वो आज पूरा हुआ है।