क्या आप UC Browser और UC News का इस्तेमाल करते हैं? तो मुबारक हो आप चीन की कठपुतली हैं

UC Browser

पूरे विश्व में कोरोना फैलाने के बाद भी चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। भारत के साथ सीमा विवाद तथा दक्षिण चीन सागर में अभी भी अपने नापाक हरकतों को अंजाम दे रहा है। खास बात यह है कि इतने कारनामे के बाद पूरे विश्व में अपने खिलाफ खबरों को फैलने से रोकने के लिए चीन तमाम तरह का तिकड़म लगा रहा है। एक नई रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि चीन ने UC Browser के UC News के जरीये भारत और चीन के सीमा विवाद पर एक भी खबर को प्रकाशित नहीं होने दिया।

बता दें कि UC Browser भारत में लगभग 13 प्रतिशत का मार्केट शेयर रखता है और लगभग 50 मिलियन यूजर हैं। UC News हिंदी समेत 15 अन्य स्थानीय भाषाओं में  खबरों को प्रकाशित करता है। परंतु ध्यान देने वाली बात यह है कि सीमा पर झड़पों के बावजूद, चीन-भारत सीमा तनाव पर एक भी रिपोर्ट खोजना मुश्किल है।

यानि अगर आप UC Browser का इस्तेमाल करते हैं तो आपको भारत चीन से जुड़ी खबर पढ़ने को ही नहीं मिलेगी। चीन अपने इन apps का इस्तेमाल कर अपने काले कारनामे छुपाने की भरपूर कोशिश कर रहा है। पिछले कुछ वर्षों में चीन ने पूरे विश्व की मीडिया पर अपना प्रभाव जमाने और उन्हें खरीद कर अपना गुणगान करने की हर मुमकिन कोशिश की है। विश्व के छोटे से लेकर बड़े देशों की मीडिया में चीन की भागीदारी लगभग तेजी से बढ़ रही है। मीडिया कंपनियों में co-productions से लेकर joint ventures, चीनी-प्रायोजित टेलीविजन और रेडियो शो, और यहां तक कि चीनी-वित्त पोषित समाचार आउटलेट जैसे म्यांमार में Pauk Phaw अखबार तक में निवेश कर चुका है। चीनी कंपनियां डिजिटल ऑडियंस को पकड़ने के लिए Apps और ब्राउज़र का भी उपयोग कर रही हैं।

सिर्फ इंग्लिश ही नहीं बल्कि चीन अपने प्रोपोगेंडे को फैलाने के लिए स्थानि भाषाओं का इस्तेमाल कर रहा है। भारत में UC News इसी का एक उदाहरण है। पिछले महीने जब भारत की खुफिया एजेंसियों ने जिन apps को भारत की आंतरिक सुरक्षा (Internal Security) को खतरा  बताया था उनमें UC Browser भी शामिल था।

The Guardian की रिपोर्ट के अनुसार चीन ने विदेशी पत्रकारों को अपने प्रोपेगेंडे के लिए outsource किया है जो जो अक्सर अपने स्वयं के समाचार आउटलेट में अपनी भाषाओं चीन के लिए सकारात्मक खबरों को लिखते हैं।

WION की एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन की कम्युनिस्ट पार्टी बकायदा विदेशी पत्रकारों को 10 महीने का एक कोर्स कराती है, और इसके लिए चीन उन पत्रकारों को पैसे देता है, उन्हें फ्री में चीन में घुमाता है और उनकी सही से खातिरदारी करता है। वर्ष 2016 से ही चीन अपने 10 महीने के प्रोग्राम से विदेशी पत्रकारों को कम्युनिस्ट पार्टी का एजेंडा चलाने के लिए प्रशिक्षित करता आया है। 120 से अधिक अमेरिकी पत्रकार और कम से कम 28 ऑस्ट्रेलियाई पत्रकार भी चीन के ऐसे दौरों पर गए हैं।

यानि चीन अपने न्यूज़ के माध्यम से पूरे विश्व में अपने एजेंट फैला चुका है। यही नहीं अमेरिका के जस्टिस विभाग को कुछ सनसनीखेज़ खुलासे हाथ लगे थे जिसमें यह बात सामने आई थी कि कई अमेरिकी मीडिया आउटलेट चीन के इशारे पर काम करते हैं, और मोटा पैसा कमाते हैं। डेली कॉलर की एक रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिस डिपार्टमेंट को स्वयं चाइना डेली (चाइना का मुखपत्र माने जाने वाला अखबार) ने कुछ दस्तावेज साझा किए हैं। इन दस्तावेजों के अनुसार नवंबर 2016 से अप्रैल 2020 के बीच कई अमेरिकी मीडिया पोर्टल्स ने CCP यानी चीनी कम्यूनिस्ट पार्टी से 1.9 करोड़ अमेरिकी डॉलर कमाए हैं।

मीडिया को एक तरह से चीन ने लगभग खरीद लिया है और इसीलिए ये मीडिया पोर्टल चीन की खुशामद करने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। इनके अलावा चीन अपने देश के UC Browser जैसे app से जनता को अंधेरे में रखना चाहता है। अगर आप भी इन चाइनीज apps का इस्तेमाल कर रहे हैं तो आप भी चीन के झांसे में आ रहे हैं और आप चीन की तरफदारी करने पर मजबूर हो जाएंगे क्योंकि आप वास्तविकता से दूर हो चुके हैं। अगर आपको चीन की कठपुतली नहीं बनना है तो आपको इन चीनी apps से दूर होना होगा।

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