अमेरिका में जॉर्ज फ्लोयड नामक एक व्यक्ति की मोत के कारण पूरे देश की कानून व्यवस्था चरमरा गई है। रंगभेद से जुड़े इस जटिल मामले के विरोध में शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन अब एक हिंसक दंगे का रूप धारण कर चुका है, जिसमें विरोध के नाम पर अब विभिन्न सुपरमार्केट और लग्जरी स्टोर्स से सामान लूटे जा रहे हैं, घरों को जलाया जा रहा है, और तो और आम राहगीरों के वाहनों के साथ तोड़फोड़ और राहगीरों से #BlackLivesMatter के नाम पर लूटपाट की जा रही है।
अब इसी खींचातानी में बॉलीवुड के एलीट वर्ग ने सोचा कि चलो, बहती गंगा में हम भी हाथ धो लें। कई सेलिब्रिटीज अब धकाधक ट्वीट डालने लगे, और रंगभेद के विरोध में सामने आकर अमेरिका की अश्वेत कम्यूनिटी का समर्थन करने लगे। क्या प्रियंका चोपड़ा, क्या दीपिका पादुकोण, क्या दिशा पटानी, सभी एलीट सितारों ने #BlackLivesMatter अभियान को अपना समर्थन देना शुरू कर दिया।
पर रुकिए, आपको कुछ गड़बड़ नहीं लग रहा है? आपकी शंका भी उचित है, क्योंकि यह वही लोग है, जो भारत की संस्कृति और भारत के लोगों को बांटने में कोई कसर नहीं छोड़ते, पर अब समानता पर उपदेश देते दिखाई देते हैं। जो सेलेब्रिटी आम तौर पर पूर्वोत्तर दिल्ली के दंगों या पालघर हत्याकांड पर चुप्पी साध लेते हैं, पर कठुआ कांड पर पूरे सनातन धर्म को दोषी ठहराने में तनिक भी समय नहीं गंवाते, ऐसे लोगों का #BlackLivesMatter पर ज्ञान देना बहुत हास्यास्पद महसूस होता है। इस मामले पर हमें ट्विटर यूज़र एंटी पिजन की दाद देनी पड़ेगी, जिसने ढूंढ़ ढूंढ़कर ऐसे हिपोक्रेट्स की पोल खोल दी।
सर्वप्रथम प्रियंका चोपड़ा का ही उदाहरण देख लीजिए। मोहतरमा अपने इंस्टाग्राम पर पोस्ट करती हैं, “जहां भी आप जाओ, जहां भी आप रहो, कोई भी इस तरह की मृत्यु के योग्य नहीं होता। #जस्टिसफॉरजॉर्जफ्लोयड“।
प्रियंका जी, ये बातें आपके मुंह से तो बिल्कुल शोभा नहीं देती। ये वही व्यक्ति है जो एक ओर तो अमेरिका में रंगभेद की अपनी निजी समस्या के बारे में अनेक पोस्ट डालती हैं, और दूसरी ओर फेयरनेस क्रीम के एड्स भी करती हैं। ये वही व्यक्ति है जो यूं तो समानता पर उपदेश देती है, कई देशों के शरणार्थियों से मिलती हैं, परन्तु अपने ही देश के हिन्दू समुदाय को एक टीवी सीरीज में आतंकी के रूप में पेश करने पर नहीं हिचकती हैं। बॉलीवुड की ये सेलेब्स पैसे के लिए किसी भी चीज को प्रमोट करने से पीछे नहीं हटती हैं ये भी उसी का उदहारण है।
पर ये हिपोक्रेसी प्रियंका तक ही सीमित नहीं है। करीना कपूर हो या फिर दिशा पटानी, जिन जिन ने कभी फेयरनेस क्रीम को प्रोमोट किया है, उन सबको उनकी हिपोक्रेसी के लिए जमकर आड़े हाथ लिया गया है।
लगता है बॉलीवुड एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण ने छपाक वाले कांड से कोई सबक नहीं लिया था। इसलिए जब दीपिका पादुकोण ने ब्लैक पैंथर के एक संवाद को जॉर्ज फ्लोयड के केस से जोड़ते हुए पोस्ट शेयर किया, तो सोशल मीडिया यूजर्स को उनकी हिपोक्रेसी एक्सपोज़ करने में देर नहीं लगी।
This is very vague but let's count it pic.twitter.com/qCRWKsORMw
— anti pigeon (@aluminiummaiden) May 31, 2020
ऐसे ही बॉलीवुड एक्ट्रेस दिशा पटानी ने हाल ही में ट्वीट किया, “कोई भी रंग का व्यक्ति बड़ा या छोटा नहीं होता। सभी कलर ब्यूटीफुल होते हैं”।
— Disha Patani (@DishPatani) May 30, 2020
धन्य है ऐसी हिपोक्रेट सोच को। परन्तु बात यहीं पर खत्म नहीं होती। सोनम कपूर आहूजा अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर लिखती दिखाई दी, ” चयनात्मक wokeness काम नहीं करेगी। अपना घर पहले साफ करें “।
शायद सोनम कपूर आहूजा को अभय देओल की क्लासिक क्लास याद नहीं हैं। 2017 में अभय ने अपने फेसबुक अकाउंट पर फेयरनेस क्रीम का विज्ञापन करने वाली अभिनेत्रियों को आड़े हाथ लिया था। जब सोनम कपूर ने अभय की चचेरी बहन ईशा देओल के एड के बहाने उसे घेरने का प्रयास किया, तो अभय ने ना केवल उसका विरोध किया, अपितु सोनम की क्लास भी लगाई। फलस्वरूप मोहतरमा ट्वीट डिलीट कर पतली गली से खिसकते बनी।
सच कहें तो आज भी हमें ये समझना मुश्किल होता है कि हिपोक्रिसी बॉलीवुड का दूसरा नाम है या बॉलीवुड हिपोक्रिसी का पहला नाम है? जिस तरह से कई अभिनेत्रियां खुद नस्लभेद को बढ़ावा देने वाले उत्पाद को प्रोमोट कर जॉर्ज फ्लोयड के न्याय के लिए आवाज़ उठाती दिखीं, उसे देख ना सिर्फ हंसी आती है, बल्कि ये भी सिद्ध होता है कि बॉलीवुड और कॉमन सेंस में उतनी ही निकटता है, जितनी रोहित शेट्टी की फिल्म और लॉजिक में या पाकिस्तान और मानवता में।