आजकल भारत की सबसे बड़ी फूड ऑर्गनाइज़ेशन अमूल चर्चा में है। कारण है कि हाल ही में ट्विटर ने अमूल की एक चीन विरोधी पोस्ट को लेकर अमूल के अकाउंट को कुछ समय के लिए restrict कर दिया था। जब लोगों ने ट्विटर के खिलाफ अपना गुस्सा ज़ाहिर किया, तो ट्विटर को दोबारा अमूल का अकाउंट रिस्टोर करना पड़ा। बाद में ट्विटर ने बयान जारी कर कहा कि उसने account की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए ही ऐसा किया था। जिस प्रकार Amul के खिलाफ ट्विटर द्वारा लिए गए एक्शन के खिलाफ लोगों ने बड़ा ही जोरदार विरोध प्रकट किया, वह दिखाता है कि Amul का भारत में क्या स्थान है। आज अमूल भारत में घर-घर में इस्तेमाल किया जाता है। जब भारत सरकार Regional Comprehensive Economic Partnership यानि RCEP पर अपनी सहमति जताने को लेकर मंथन कर रही थी, तो वह अमूल ही था जिसने देश के डेयरी farmers के हित को ध्यान में रखते हुए सरकार से इस डील को साइन न करना का अनुरोध किया था। भारत सरकार द्वारा RCEP पर साइन ना करने के पीछे Amul एक बड़ा कारण था।
पिछले वर्ष भारत ने Regional Comprehensive Economic Partnership यानि RCEP में शामिल नहीं होने का फैसला लिया था। तब भारत की ओर से पीएम मोदी ने यह साफ कर दिया था कि, भारत किसी भी डील पर साइन करने से पहले अपने हितों को देखेगा और अभी उनकी अंतरात्मा इस डील पर साइन करने के लिए उन्हें इजाज़त नहीं देती है। अगर उस वक्त भारत सरकार RCEP समझौता पक्का कर लेती तो चीन के लिए भारत के बाज़ार में सस्ते डेयरी उत्पाद आसान हो जाता और अमूल जैसी कंपनियों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ता। अमूल ने पिछले वर्ष भारत सरकार को आगाह करते हुए एक पत्र लिखा था “भारत में दूध की लागत 292 मिलियन मेट्रिक टन है जबकि भारत में दूध उत्पादन 330 मिलियन मेट्रिक टन है। ऐसे में RCEP के तहत देश में डेयरी उत्पाद इम्पोर्ट करना देश की घरेलू डेयरी मार्केट और 10 करोड़ किसानों के लिए घाटे का सौदा होगा”।
बता दें कि अमूल भारत की सबसे बड़ी food organisation है, जिसका सालाना राजस्व करीब 5.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर है। इसके अलावा, Amul आज भारत के घर-घर में इस्तेमाल किया जाता है। आज Amul पूरे देश की पहचान बन गया है। अमूल का “Utterly Butterly campaign” भारतीय TV का सबसे मशहूर विज्ञापन है और इसको गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी शामिल किया गया है। कंपनी ने कभी अपनी एड में किसी बड़े एक्टर को शामिल नहीं किया क्योंकि कम्पनी का मानना था कि हम एक बहुत ‘‘सीधी, आसान, एक नई सोच के साथ और अपने ग्राहकों को एक सा उत्पाद प्रदान करने वाली कम्पनी हैं। अमूल की सफलता उसकी सोच और उसकी मार्केटिंग पर रही जिसमें उसने ऐसे उत्पाद बनाए जहाँ भारतीय या गाँव के लोगों को एहसास था कि अगर हम अपने घरों में भी दूध मक्खन का उत्पादन करेंगे तो हमको इससे सस्ता नहीं पड़ने वाला। आज पूरे देश में अमूल के 50 विक्रय कार्यालय हैं, 3000 थोक डीलर्स और 5,000 से भी ज्यादा खुदरा विक्रेता हैं। अमूल आज भारत का इमोशन बन गया है, और आने वाले सालों में यह और ज़्यादा विकास कर सकता है।