पिछले कुछ दिनों में नेपाल के वर्तमान प्रशासन ने निर्लज्जता की सारी सीमा पार कर दी है। कालापानी क्षेत्र को लेकर शुरू हुए विवाद से बात अब यहाँ तक पहुँच चुकी है, कि नेपाली प्रशासन न केवल भारत को खुलेआम धमकियाँ दे रहा है, बल्कि अंधाधुंध फायरिंग करके हमारे देशवासियों की हत्या भी करा रहा है।
अभी हाल ही में बिहार से सटी नेपाल की सीमा पर किसी बात को लेकर शुरू हुए झगड़े ने एक ऐसा विकराल रूप धारण कर लिया कि नेपाल पुलिस ने अंधाधुंध फायरिंग करते हुए एक भारतीय की हत्या कर दी, और 4 अन्य को घायल कर दिया। इतना ही नहीं, नेपाली प्रशासन ने एक व्यक्ति को हथियार छीनने के आरोप में हिरासत में लिया, और उसको अगले दिन जाकर छोड़ा।
अब स्थिति यह हो गई है कि नेपाल भारत के क्षेत्र को अपना क्षेत्र बता सकता है, भारत को नीचा दिखा सकता है, उसे वुहान वायरस के लिए जिम्मेदार भी बता सकता है, और साथ ही साथ अब भारत के नागरिकों को गोली भी मार सकता है, और भारत सरकार इसपर चूँ तक नहीं बोल रही है।
कुछ प्रतीकात्मक कदम तो दूर की बात, भारत सरकार ने नेपाली पुलिस द्वारा की गई हत्या के विरोध में एक भी शब्द नहीं बोला। कहने को सशस्त्र सीमा बल ने पूरे प्रकरण पर एक आधिकारिक बयान जारी किया है, पर वो भी ज़्यादा ठोस नहीं है। क्या भारत इतना कमजोर है कि कोई ऐरा गैरा व्यक्ति बंदूक उठाके हमारे लोगों को मार दे, और हम विरोध तक न करें? कारण कोई भी हो, भारत सरकार की इस मामले पर चुप्पी ने सब को बेहद निराश किया है।
पिछले कुछ हफ्तों से नेपाल के प्रशासन ने दिन प्रतिदिन अपनी सीमा लांघी है। भारत ने जब धार्चुला लीपुलेख रोड का अनावरण किया, तो नेपाल ने इस पर आपत्ति जताते हुए इसे अपना क्षेत्र बताया, और इसके लिए एक पूरा मानचित्र भी जारी कर डाला, जिसे नेपाल की वर्तमान सरकार हर हालत में लागू कराना चाहती है। नेपाली सरकार ने अपने नए राजनीतिक नक्शे में तिब्बत, चीन और नेपाल से सटी सीमा पर स्थित भारतीय क्षेत्र कालापानी, लीपुलेख और लिंपियाधुरा को नेपाल के हिस्से के रूप में दिखाया है।
परंतु बात यहीं पे नहीं रुकती। नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली दस कदम आगे बढ़ते हुए भारत को ही वुहान वायरस फैलाने के लिए दोषी बनाने लगे। नेपाली प्रधानमंत्री के अनुसार, ‘भारत से आने वाला कोरोना वायरस इटली और चीन से आने वालों के मुकाबले ज्यादा घातक है। जो लोग अवैध तरीके से भारत से आ रहे हैं, वे देश में वायरस फैला रहे हैं और स्थानीय प्रतिनिधि और पार्टी नेता भारत से बिना टेस्टिंग के लोगों को लाने के लिए जिम्मेदार हैं।“
परंतु महोदय वहीं नहीं रुके। उन्होने आगे भी कहा, “सरकार के मुखिया के तौर मैं सदन को बताना चाहता हूं कि लिपुलेख, लिम्पियाधुरा और कालापानी के मुद्दे को छोड़ा नहीं जाएगा। इस संबंध में कोई ठोस निष्कर्ष निकाला जाएगा। हम इस मुद्दे को धूमिल नहीं होने देंगे। राजनीतिक वार्ता के जरिए इसका समाधान निकाला जाएगा और इन क्षेत्रों को फिर से वापस हासिल किया जाएगा।“
अब जिस तरह ने अंधाधुंध फायरिंग कर नेपाली प्रशासन ने एक भारतीय नागरिक की हत्या की है, वो न सिर्फ असहनीय है, बल्कि अशोभनीय भी। भारत सरकार को इस परिप्रेक्ष्य में तनिक भी विलंब न कर नेपाल के वर्तमान प्रशासन के विरुद्ध कड़ा रुख अपनाना होगा। भारत जब मलेशिया, चीन और पाकिस्तान जैसे देशों को धूल चटा सकता है, तो फिर नेपाल किस खेत की मूली है?