भारत के Legal Rights Protection Forum यानि LRPF नाम के एक NGO ने देश में गैर-कानूनी तरीके से धर्मांतरण कराने वाले एक अन्य NGO “India Rural Evangelical Fellowship” के खिलाफ गृह मंत्रालय में शिकायत दर्ज की है और Foreign Contribution Regulation Act यानि FCRA कानून के तहत इस NGO पर कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है। Legal Rights Protection Forum ने यह आरोप लगाया है कि IREF नामक यह NGO विदेशों से पैसा लेकर आंध्र प्रदेश में गांवों में जाकर गरीब बच्चों का ईसाई धर्म में धर्मांतरण कराता है। इतना ही नहीं, आरोपों के मुताबिक राज्य की सत्तासीन पार्टी YSRCP और IREF भारत के प्रमुख के बीच करीबी संबंध हैं, और IREF के प्रमुख ने हाल ही के चुनावों में YSRCP के लिए राजनीतिक मुहिम भी चलाई थी। ऐसे में मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी की सरकार पर राज्य में धर्मांतरण की गतिविधियों को बढ़ावा देने के आरोप लगाए जा रहे हैं।
India Rural Evangelical Fellowship की वेबसाइट पर इस NGO ने यह लिखा है कि यह NGO दक्षिण भारत में गरीबी खत्म करने के मकसद से काम कर रहा है। हालांकि, इसपर आरोप हैं कि इसी आड़ में यह अवैध तरीके से धर्मांतरण की घटनाओं को अंजाम दे रहा है। Our mission सेक्शन में इस NGO ने लिखा है “हमारा मकसद है कि हम दक्षिण भारत के गरीब लड़कों और लड़कियों को पढ़ा-लिखाकर देश में गरीबी के चक्र को तोड़ें और समाज के प्रति उनके योगदान को मजबूत करें। IREF को लगता है कि इस मिशन के जरिये हम पूजनीय गॉड के निर्देशों पर काम करके गरीबों, पिछड़ों और शोषित लोगों की देखभाल करें”।
हालांकि, Legal Rights Protection Forum ने इस NGO पर यह आरोप लगाया है कि यह NGO बच्चों को ईसाई धर्म से जुड़ी शिक्षा प्रदान करता है और बच्चों को भी आगे अन्य गरीब बच्चों का धर्मांतरण करने को कहा जाता है। आरोपों के मुताबिक इस NGO द्वारा चलाये जा रहे स्कूलों में बच्चों को बाइबल पढ़ने के लिए कहा जाता है, और उन्हें अपने गाँव में “Future Christian Warrior” बनने के लिए कहा जाता है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक India Rural Evangelical Fellowship गरीब परिवारों की खोज में रहता है, और गरीब माता-पिता से बच्चों को फ्री में पढ़ाने और उनके रखरखाव का बहाना बनाकर बच्चों को अपने स्कूलों में दाखिल करवा लेता है। इसके बाद इन बच्चों का brain wash किया जाता है और उन्हें मिशनरी बनने के लिए कहा जाता है।
यह खबर इसलिए और भयावह हो जाती है क्योंकि इस NGO के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी की पार्टी YSRCP से करीबी संबंध बताए जाते हैं। IREF के अध्यक्ष रेब्बा इमेनुएल ने हाल ही में YSRCP के लिए campaign में हिस्सा लिया था। इसके अलावा उन्होंने एक video जारी कर सभी इसाइयों को YSRCP के लिए ही वोट करने के लिए कहा था। इसके अलावा इस चर्च पर “भारत-विरोधी” बयानबाजी करने और वीज़ा नियमों का उल्लंघन करने के आरोप भी लगते रहे हैं। कुल मिलाकर इस खुलासे से यह स्पष्ट हो गया है कि कैसे जगन सरकार आंध्र प्रदेश में इस NGO को शिक्षा के नाम पर ऑपरेट करने की छूट दी हुई है।
वैसे भी जगन सरकार पर समय-समय पर राज्य में हिन्दू-विरोध और ईसाई धर्म को बढ़ावा देने के आरोप लगते रहे हैं। पिछले वर्ष ही आंध्रप्रदेश की जगन मोहन सरकार ने जेरूसलम की धार्मिक यात्रा पर जाने वाले ईसाईयों को दी जाने वाली मदद में भारी इजाफा किया था। इसके अलावा पिछले वर्ष जब जगन मोहन रेड्डी अमेरिका के दौरे पर गए थे, तो उन्होंने एक कार्यक्रम में दीप जलाने से साफ इंकार कर दिया था। इसी के साथ-साथ एक अन्य मामले में तिरुमाला में मंदिर दर्शन के लिए जा रहे श्रद्धालुओं को आंध्र प्रदेश के सरकारी परिवहन विभाग द्वारा जो टिकट दी गई थी, उन टिकटों के पीछे हज और यरूशलम जैसे गैर–हिन्दू तीर्थस्थलों से संबन्धित विज्ञापन दिये हुए थे। यह तो हद ही थी कि मंदिर जाने वाले लोगों के लिए जानबूझकर ईसाई धर्म का प्रचार किया जा रहा था। ऐसे में अब राज्य में धर्मांतरण की गतिविधियों को अंजाम दे रहे इस NGO का खुलासा होना कोई हैरानी की बात नहीं है। केंद्र सरकार को जल्द से जल्द इस मामले पर कार्रवाई करने की ज़रूरत है।