‘कांग्रेस ने जानबूझकर लेह-मनाली सड़क का काम लटकाया’, जंसकार के काउंसलर ने कांग्रेस को किया एक्सपोज

यूपीए सरकार को राष्ट्रहित की नहीं चीन की चिंता थी?

कांग्रेस

चीन और कांग्रेस की सांठगांठ में रोज नए खुलासे हो रहे हैं और ऐसा लगता है कि आने वाले भविष्य में और बड़े खुलासे होने वाले हैं। चीन के साथ MOU साइन करने वाली और राजीव गांधी फाउंडेशन के लिए CCP से रुपये लेने वाली कांग्रेस पार्टी पर लद्दाख के जंसकार के काउंसलर ने बड़ा आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि साल 2004 से 2014 के बीच कांग्रेस ने जानबूझकर लेह-मनाली मार्ग का निर्माण नहीं होने दिया।

Zee Media की रिपोर्ट के अनुसार, जंसकार के काउंसलर स्टांजिन लप्पा ने कहा, ‘यूपीए सरकार में राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी सड़क के निर्माण में देरी की गई थी। वर्ष 2004 से 2014 तक किसी भी अहम सड़क पर कोई काम नहीं हुआ। कांग्रेस ने लेह-मनाली रोड के निर्माण में लापरवाही दिखाई। वर्ष 2007 में ही लेह-मनाली सड़क बनकर तैयार होनी थी। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने लेह-मनाली रोड प्रोजेक्ट को मंजूरी दी थी।’

बता दें कि वह रोहतांग सुरंग के बारे में बात कर रहे हैं जो हिमाचल प्रदेश के मनाली को लेह से जोड़ेगी, और इस सड़क से लेह और मनाली के बीच की दूरी 46 किलोमीटर कम हो जाएगी। 8.8 किलोमीटर लंबी इस सुरंग की योजना पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी ने जून 2000 में बनाई थी।

परंतु इस परियोजना में देरी के कारण अभी भी इस पर काम चल रहा है। सितंबर में इसका उद्घाटन होने की उम्मीद है, और इस सड़क के पूरा हो जाने पर यह समुद्र तल से लगभग 10,000 फीट (3,000 मीटर) की ऊंचाई पर स्थित दुनिया की सबसे ऊंची राजमार्ग सुरंग होगी। अगर एक बार यह सड़क पूरा हो गया तो मनाली और लेह के बीच वर्ष के सभी मौसमों में कनेक्टिविटी रहेगी। इसके जुड़ने से भारतीय सेना और अन्य सुरक्षा बल आसानी से चीन की सीमा की ओर पंहुच सकते हैं।

जंसकार के काउंसलर स्टांजिन लप्पा का कहना है कि यूपीए सरकार ने बुनियादी ढांचे के लिए बजटीय आवंटन भी कम कर दिया था। बता दें कि साल 2008 से 2016 के बीच इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए 3,300 से 4,600 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे। परंतु इसके बाद जैसे ही मोदी सरकार केंद्र की सत्ता में बैठी, इनफ्रास्ट्रक्चर के बजट में भारी उछाल देखने को मिला। वर्ष 2017-2018 के बजट में 5,450 करोड़ रुपये आवंटित किए गए और इसके बाद यह बजट और बढ़ा, साल 2018-2019 में 6,700 करोड़,वर्ष 2019-2020 में 8,050 करोड़ और इस साल 2020-2021 के बजट में 11,800 करोड़ रुपये इनफ्रास्ट्रक्चर के लिए आवंटित किए गए हैं।

अगर इतिहास देखा जाए तो कांग्रेस के शासन में चीन के साथ लगने वाली सीमा के आस पास इनफ्रास्ट्रक्चर को बनाने में आनाकानी की है जिसका नतीजा हमें आज भुगतना पड़ रहा है। रोड जैसी बुनियादी जरूरत न होने के कारण ही सेना LAC बॉर्डर पर गश्त नहीं लगा पाती थी और चीन ने रोड बना कर भारत की जमीन को धीरे-धीरे हड़पने का पूरा प्रबंध कर लिया था। यह मानसिकता प्रधानमंत्री मोदी के आने के बाद बदली और बॉर्डर के आस-पास सड़कों का निर्माण शुरू हुआ।

हालांकि, अब कांग्रेस पार्टी का चीन के CCP के साथ MOU साइन होने के खुलासे के बाद यह शक होना लाज़मी है कि कहीं कांग्रेस पार्टी ने उसी MOU को ध्यान में रख कर सड़क निर्माण में देर तो नहीं की? जंसकार के काउंसलर स्टांजिन लप्पा ने जिस तरह से कांग्रेस पार्टी के ऊपर आरोप लगाए हैं उससे ये शक और गहरा हो जाता है क्योंकि कुछ दिनों पहले ही यह खुलासा हुआ था कि कि कांग्रेस की रजीव गांधी फाउंडेशन ने CCP से धन प्राप्त किया था और फिर उसके बाद एक शोध प्रकाशित किया था कि भारत को चीन के साथ Free Trade Agreement करना चाहिए, जबकि इससे भारत को व्यापार में कई गुना नुकसान होता। इससे यह कहना गलत नहीं होगा कि लेह-मनाली मार्ग के निर्माण में देर भी जानबूझकर की गयी थी।

Exit mobile version