‘चीन को महाशक्ति बनाना पड़ा भारी’, अब ‘5 Eyes’ रणनीतिक साझेदार के साथ-साथ बनेंगे आर्थिक साझेदारी

रणनीतिक

कोरोना वायरस ने विश्व में परिवर्तन को आवश्यक कर दिया है। यह परिवर्तन जीवन के सभी पहलुओं में देखा जा सकता है। परंतु अब जो सबसे बड़ा परिवर्तन देखा जाएगा वह है दुनिया भर के देशों का आपसी रणनीतिक और आर्थिक साझेदारी। जिस तरह से पहले आर्थिक और व्यापारिक संबंध दूसरे देशों से होता था और सुरक्षा तथा रणनीतिक संबंधों किसी अन्य देशों के साथ होता था, अब ऐसा नहीं होने वह है।

लोकतांत्रिक और बड़े देशों को अब यह समझ में आ गया है कि चीन जैसे देश के साथ आर्थिक संबंध बढ़ाने और उस पर निर्भरता से, उनका कितना नुकसान हो सकता है। अब सभी देश इसी कोशिश में लगे हैं कि चीन को किसी तरह से सप्लाइ चेन से बाहर निकाला जाए जिससे उसके ऊपर से निर्भरता समाप्त हो सके।

दरअसल, चीन जिस तरह से ऑस्ट्रेलिया के साथ अपनी आर्थिक मजबूती का फायदा उठाकर उसे परेशान कर रहा है उससे सबक लेते हुए अब विश्व के Five Eyes देशों यानि यूएस, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, यूके और न्यूजीलैंड ने चीन पर से निर्भरता को समाप्त करने के लिए अपने आर्थिक साझेदारी और रणनीतिक साझेदारी में समन्वय बनाने का फैसला किया है।

बता दें कि Five Eyes अलायंस अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड से गठित विश्व की सबसे बड़ी संयुक्त सूचना नेटवर्क है जहां ये सभी पाँच देश मिलकर सुरक्षा रणनीति में सहयोग करते हैं। परंतु अब इन सभी आर्थिक पहलू पर भी ध्यान देने का फैसला किया है और इस संगठन का उपयोग अपने आर्थिक सहयोग को बढ़ाने के लिए करने जा रहे हैं।

यानि अब इन देशों के बीच आर्थिक साझेदारी होने से चीन पर से निर्भरता समाप्त होगी और इन देशों के बीच अत्यधिक समन्वय होगा। यह चीन को सप्लाइ चेन से बाहर धकेलने और निर्यात-आधारित अर्थव्यवस्था को आकार देने का सबसे बड़ा प्रयास हो सकता है। यही कारण है कि समूह को अधिक समग्र बनाने की कोशिश की जा रही है।

बता दें कि अभी चीन ऑस्ट्रेलिया का सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर है लेकिन इन दोनों देशों में किसी प्रकार की समानता नहीं है और न ही ये एक दूसरे के रणनीतिक साझेदार हैं। ऑस्ट्रेलिया चीन को 595 विभिन्न वस्तुओं का निर्यात करता है, लेकिन कोरोना महामारी ने ऑस्ट्रेलिया को यह एहसास दिलाया है कि एक ही देश पर निर्भरता उसके अर्थव्यवस्था के लिए कितना घातक हो सकता है। जैसे ही ऑस्ट्रेलिया की लोकतान्त्रिक सरकार ने चीन के खिलाफ स्वतंत्र जांच की मांग वैश्विक स्तर पर उठाई वैसे ही चीन ने अपनी आर्थिक मजबूती का फायदा उठा कर ऑस्ट्रेलिया से आने वाले जौ के पर इम्पोर्ट ड्यूटी 80 प्रतिशत बढ़ा दी तथा अन्य सामानों पर भी इसी तरह के प्रतिबंध लगाए जिससे ऑस्ट्रेलिया को काफी नुकसान हो रहा है।

इसी तरह न्यूज़ीलैंड भी अपना अधिकतर सामान चीन ही एक्सपोर्ट करता है। न्यूजीलैंड चीन को 20.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निर्यात करता है और यह न्यूजीलैंड के निर्यात का 23 प्रतिशत है। इससे समझा जा सकता है कि ये दोनों ही देश आर्थिक तौर पर चीन के ऊपर निर्भर हैं लेकिन इन दोनों देशों का रणनीतिक साझेदार अमेरिका जापान और भारत जैसे देश हैं।

यही हाल अमेरिका का भी है। हालांकि, डोनाल्ड ट्रम्प के राष्ट्रपति बनने के बाद अमेरिका ने चीन के प्रभाव को कम करने का भरपूर प्रयास किया है लेकिन अभी भी बीजिंग का अमेरिका के साथ व्यापार में 295.3  बिलियन का ट्रेड सरप्लस है।

वहीं, यूके ने भी कोरोना के समय यह समझा कि मेडिकल सामानों के इम्पोर्ट के लिए चीन पर अत्यधिक निर्भरता क्या तबाही ला सकता है। इसी कारण से अब ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने Project Defend शुरू किया है जो चीन पर निर्भरता को कम करने का काम करेगा।

अब इन सभी देशों को यह समझ में आ रहा है कि आर्थिक साझेदारी का रणनीतिक साझेदारी का साथ-साथ चलना आवश्यक है।

जब चीन आर्थिक केंद्र बन रहा था तब तो इन सभी देशों ने चीन के साथ खूब व्यापार किया और इसी व्यापार ने आज दुनिया के सामने यह समस्या खड़ी कर दी है। विशेष रूप से पश्चिमी देशों ने ही चीन को आर्थिक महाशक्ति बनाया लेकिन वुहान वायरस ने चीन की पोल खोल दी है।

चीन एक ऐसे देश के रूप सामने आया है जो अपने आप को बचाने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है चाहे WHO को अपना तोता बनाना हो या ऑस्ट्रेलिया पर आर्थिक प्रतिबंध लगाना हो। चीन आज एक गुंडे की तरफ व्यवहार कर रहा है जिससे सबक सिखाना अत्यंत आवश्यक है।

इसीलिए यह आवश्यक है कि अब सभी देशों को अपने आर्थिक सम्बन्धों को रणनीतिक सम्बन्धों के साथ ही परिभाषित करना चाहिए और Five Eyes उसी रह पर है।

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