सुशांत सिंह राजपूत की मृत्यु की वीडियो पर ‘Hope You Enjoy’, कहने वाली मुख्यधारा Media को अपनी शर्मनाक और असवेंदनशील Coverage पर शर्म आनी चाहिए

इससे घटिया पत्रकारिता आज तक नहीं देखी

असंवेदनशीलता का दूसरा नाम भारतीय मीडिया है या फिर भारतीय मीडिया असंवेदनशीलता, ये समझ पाना काफी मुश्किल है। अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की असामयिक मृत्यु की खबरें आए हुए 24 घंटे भी नहीं हुए थे कि टीआरपी की भूखी भारतीय मीडिया ने नैतिकता और संवेदनशीलता दोनों ही ताक पर रखते हुए ऐसी कवरेज की, जिसे देख मानवता शर्म से पानी पानी हो गई।

बता दें की अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत ने रविवार सुबह आत्महत्या कर ली ।इस खबर से उनके प्रशंसक सहित कई लोग स्तब्ध रह गए थे। परंतु इस खबर के सामने आने के बाद जिस तरह से मीडिया ने इसको अपनी कवरेज में दिखाया, उसे vulture जर्नलिज़्म में भी निम्नतम दर्जे का माना जाएगा।

सर्वप्रथम आज तक ने जिस प्रकार की कवरेज की वो बेहद शर्मनाक रही। ‘किस प्रकार सुशांत हो गए हिट विकेट’, ‘_________रंग के कपड़े से बनाया फंदा’ जैसे असंवेदनशील taglines और टिकर से आज तक पूरी खबर को पेश कर रहा था।

हद तो तब हो गई जब आज तक ने सुशांत सिंह राजपूत के परिजनों से बातचीत के नाम पर उनसे न सिर्फ बदसलूकी की, बल्कि ऐसे सवाल पूछे, जिसको सुनकर किसी का भी खुन खौल उठे। “आपके बेटे ने सुसाइड किया, आपको कैसा लग रहा है” जैसे सवाल उनके परिजनों से पूछकर आज तक के रिपोर्टर माइक से सुशांत सिंह राजपूत परिजन और रिश्तेदार से पूछते नजर आये।

बेसुध हुए पिता से भला कौन पूछता है कि ‘आपको कैसे खबर पता चली, दुखी हो आप?’ इस तरह के सवाल एक पिता को शूल की भांति चुभ रहे होंगे परन्तु मीडिया को इससे क्या फर्क पड़ता है ?

हालांकि, आज तक के लिए ये कोई नई बात नहीं है, परंतु इस घटिया कवरेज के कारण सोशल मीडिया पर कई लोग आक्रोशित हुए और उन्होंने #ShameonAajTak नामक ट्रेंड ट्विटर पर ट्रेंड कराया। परंतु, ये तो मात्र शुरूआत थी। आज तक के स्वामी टुडे ग्रुप के अंग्रेज़ी चैनल इंडिया टुडे ने सुशांत सिंह राजपूत की मृत्यु की खबर जब साझा की, तो उसपर राहुल कंवल ने अंत में कहा, “होप यू एंजॉय द वीडियो”।

 

https://twitter.com/akashacharya23/status/1272459400364490753

 

आज तक के अलावा ज़ी न्यूज़ भी सुशांत सिंह राजपूत की कवरेज करते हुए अपनी सीमाएं लांघ गया। जैसे ही सुशांत सिंह राजपूत की मृत्यु की खबर सुर्खियों में आई, ज़ी न्यूज़ ने अपनी कवरेज में लिखा, “सुशांत की ख़ुदकुशी पर 7 सवाल! पटना का सुशांत मुंबई में फेल क्यों?” क्या बेशर्मी की कोई सीमा नहीं होती?

ABP न्यूज़ भी इसमें पीछे नहीं रहा। मीडिया के लिए उसकी टीआरपी, नंबर, चैनल रेटिंग ही केवल मायने रखती है। संवेदशीलता और मानवीयता से इन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता। टीआरपी के लिए और सबसे पहले हमने दिखाई खबर के नाम पर मुख्यधारा की मीडिया किसी को शोक को मनाने नहीं देती बल्कि उपहास बनाकर रख देती है।

इसके अलावा सुशांत सिंह राजपूत के पार्थिव शरीर की कवरेज में भी मीडिया कहीं से भी पीछे नहीं रही। उदाहरण के लिए एक ट्विटर यूजर ने न्यूज़ नेशन चैनल की कवरेज पर प्रकाश डालते हुए लिखा, “ये blurred इमेज एक न्यूज़ चैनल के कवरेज की है, जिसने सुशांत सिंह राजपूत के मृत शरीर को असंवेदनशील तरह से दिखाया गया है। यहाँ कोई blurring नहीं हुई है। मीडिया को पता होना चाहिए कि कहाँ उसकी लिमिट है और कहाँ नहीं”।

बता दें कि ऐसे इमेज असंवेदनशीलता से शेयर करना न केवल नैतिक रूप से गलत है, बल्कि कानूनी तौर पर भी गलत है, जिसके लिए आईपीसी में कड़े दंड का प्रावधान है। परंतु मीडिया को उससे क्या। हम भूल गए हैं कि ये वही मीडिया है, जिसके लिए श्रीदेवी की मृत्यु भी टीआरपी कमाने का एक जरिया मात्र है, संवेदनशीलता की उम्मीद न ही करें तो अच्छा है। परंतु जिस तरह से सुशांत सिंह राजपूत के मृत्यु के मामले में मीडिया ने कवरेज की है, उससे हमारे मन में एक ही बात आती है – भारतीय मीडिया, लख दी लानत है तुझ पर।

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