इसमें कोई दो राय नहीं है कि जॉर्ज फ्लोयड की मृत्यु के बाद #BlackLivesMatter एक वैश्विक ट्रेंड बन चुका है। ऐसे में बॉलीवुड के सुपर इंटेलेक्चुअल सेलेब अपना मत ना रखें, ऐसा हो सकता है क्या? #BlackLivesMatter ट्रेंड को अपने स्वार्थ के लिए उपयोग में लाते हुए बॉलीवुड के इस एलीट, भारत विरोधी वर्ग ने एक बार फिर सिद्ध किया है कि आखिर क्यों बॉलीवुड और उसके सितारों को भारत और बाकी दुनिया भर में कोई सीरियसली नहीं लेता।
बॉलीवुड की पीआर एजेंसी ने मानो इस अवसर का इस्तेमाल भी अपने कुत्सित एजेंडा को फैलाने हेतु किया। #BlackLivesMatter के नाम पर इन्होंने अब दलित, मुसलमान, महिलाओं इत्यादि के कथित अधिकारों के लिए आंदोलन करने की मांग की है, जिसका वर्तमान में कोई औचित्य नहीं समझ में आता।
कियारा आडवाणी हो, इलियाना डिक्रूज हो, या फिर हम कुरैशी, सभी अपने आप को edgy और कूल दिखाने में इस भेड़चाल का हिस्सा बन गए। जिस तरह से ये #BlackLivesMatter के नाम पर अपने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर ट्वीट किए जा रहे थे, उससे एक बात तो साफ है कि इन्हे इस PR हेतु अच्छे खासे पैसे दिए गए थे, क्योंकि बॉलीवुड और कॉमन सेंस में हमेशा से छत्तीस का आंकड़ा रहा है।
Ohh, so campaign amount has arrived. pic.twitter.com/E0mUnP0C9M
— Manpinder Singh (@Manpunstar) June 2, 2020
इस ट्वीट के जरिए यूज़र ने बताया है कि कैसे ये सेलेब बिना देखे और सोचे समझे कुछ भी ट्वीट कर देते हैं। दिलचस्प बात तो यह है कि यह वही सेलेब्रिटी हैं, जिन्हे पता है कि कठुआ कांड के पीछे किस संप्रदाय का हाथ है, पर पालघर हत्याकांड के वास्तविक दोषियों का नाम बताने में इन्हे सांप सूंघ जाएगा।
इस मौन के पीछे का कारण स्पष्ट है – इस वोक प्रजाति के लिए एक निर्दोष हिन्दू साधु की मृत्यु से इन्हे कोई ख्याति नहीं मिलने वाली, पर पश्चिम देशों में होने वाली अराजकता का महिमामंडन करने से इन्हे लाईम लाइट भी मिलेगी और सोशल मीडिया के लिए फॉलोवर भी।
इसी परिप्रेक्ष्य में TFI ने पहले रिपोर्ट भी किया कि कैसे #BlackLivesMatter के आड़ में भारत के वामपंथी देश के अल्पसंख्यकों को आतंक मचाने के लिए भड़का रहे हैं। मजे की बात तो यह थी कि उन्होंने बड़ी आसानी से अमेरिका के अश्वेत समुदाय की तुलना और भारत के मुसलमान की तुलना कर दी, जबकि दोनों समुदायों में उतनी ही समानता है जितनी सूर्योदय और सूर्यास्त की दिशा में।
यह सेलेब्रिटी और वामपंथी अपने आलीशान बंगलों से बैठे बैठे हमें समानता और नैतिकता पर उपदेश देते हैं, जबकि वास्तव में इन दोनों शब्दों से इनका कोई नाता भी नहीं है। ज़्यादा दूर जाने की आवश्यकता नहीं है, #BlackLivesMatter पर बॉलीवुड अभिनेत्रियों के विचारों को ही देख लीजिए। सोनम कपूर से लेकर दिशा पटानी तक, उन अभिनेत्रियों ने #BlackLivesMatter पर ज्ञान बांटा, जो कुछ समय पहले तक फेयरनेस क्रीम का विज्ञापन करने में जरा भी संकोच नहीं करती थी।
शायद इसीलिए कंगना रनौत को इनकी हिपोक्रेसी रास नहीं आई। बॉलीवुड के इन सीज़नल एक्टिविस्ट मण्डली को आड़े हाथों लेते हुए उन्होंने HT से अपनी बातचीत में कहा, “कुछ हफ्ते पहले साधुओं की निर्ममता से हत्या की गई थी। यह उसी महाराष्ट्र में हुआ, जहां ये सेलेब्रिटी रहते हैं। शर्म की बात है कि ये लोग अभी भी अपने बबल से बाहर नहीं निकलना चाहते हैं, और चंद सेकेंड के लोकप्रियता के लिए ये गोरे लोगों के अभियान में हिस्सा लेंगे। लगता है अंग्रेज़ों की ग़ुलामी करने वालों के जीन अभी भी इनमें मौजूद है”।
सच कहें तो आज भी हमें ये समझना मुश्किल होता है कि हिपोक्रिसी बॉलीवुड का दूसरा नाम है या बॉलीवुड हिपोक्रिसी का पहला नाम है? जिस तरह से कई अभिनेत्रियां खुद नस्लभेद को बढ़ावा देने वाले उत्पाद को प्रोमोट कर जॉर्ज फ्लोयड के न्याय के लिए आवाज़ उठाती दिखीं, उसे देख ना सिर्फ हंसी आती है, बल्कि ये भी सिद्ध होता है कि बॉलीवुड और कॉमन सेंस में उतनी ही निकटता है, जितनी रोहित शेट्टी की फिल्म और लॉजिक में या पाकिस्तान और मानवता में।