जब पहली बार फोन मार्केट में आया था तब सभी के हाथ में एक या दो ही कंपनी के फोन नजर आते थे, या तो नोकिया या फिर Ericsson। जैसे-जैसे समय बढ़ा और चीन ने मार्केट पर कब्जा जमाया उसके बाद से ये दोनों ही कंपनियाँ प्रतिस्पर्धा में इतनी पिछड़ गईं कि ऐसा लगा चीन की कंपनियों ने इन्हें किसी कब्रिस्तान में दफन कर दिया है। पर अब ऐसा लग रहा है कि चीन की कंपनियों पर ताला लगने के बाद यूरोप की ये दिग्गज कंपनियाँ फिर से मोबाइल मार्केट में अवतरित हो सकती हैं।
दरअसल, कोरोना के बाद से ही जिस तरह से चीन ने अपने विस्तारवादी नीति को हुवावे के जरिये लागू करने की कोशिश की है, उससे सभी देश चीन और चीनी कंपनियों से बुरी तरह चिढ़े हुए हैं और सभी इसे अपने देश से निकालने की नीति पर काम कर रहे हैं। इसी कड़ी में कनाडा की दो सबसे बड़ी दूरसंचार कंपनियों ने चीन की हुवावे को ठोकर मारते हुए स्वीडन की एरिक्सन और फिनलैंड की दूरसंचार कंपनी नोकिया के साथ मिलकर पांचवीं पीढ़ी यानि 5G टेलीकॉम नेटवर्क का निर्माण करने के लिए साझेदारी की है। Bell Canada और उसके प्रतिद्वंदी Telus Corp दोनों ने कहा है कि वे अपने 5 जी नेटवर्क के लिए एरिक्सन और नोकिया के साथ साझेदारी करेंगे।
वहीं मंगलवार को, Telefonica Deutschland ने जर्मनी में अपने 5G कोर मोबाइल नेटवर्क के निर्माण के लिए एरिक्सन को चुना, और कहा कि यह निर्णय अगली पीढ़ी को सुरक्षित करेगी।
ब्रिटेन द्वारा भी हुवावे को बैन करने का निर्णय लिया जा रहा है और ऐसे समय में वहाँ भी इन दिग्गज कंपनियों को अपनी जगह बनाने का मौका मिलेगा।
यानि देखें तो एक तरफ जहां हुवावे को सभी देश अपने देश से निकालने की सोच रहे हैं तो वहीं यूरोप की इन दोनों दिग्गज कंपनियों को नया जीवनदान मिल रहा है। इससे न सिर्फ इन्हें दोबारा मोबाइल के मार्केट में जगह बनाने का मौका मिलेगा, बल्कि लोगों के दिलों में भी जगह बनाने का मौका मिलेगा। बता दें कि मोबाइल मार्केट में अपना वर्चस्व कायम करने के बाद नोकिया ने इस क्षेत्र के बदलते स्वरूप को नहीं समझा । और बदलते समय के साथ एडवांस तकनीक को अपनाने में देरी की। एक तरफ बाकी कंपनियाँ अलग-अलग ऑपरेटिंग सिस्टम को अपनाती गयीं तो वहीं नोकिया लंबे समय तक संबियान ऑपरेटिंग सिस्टम पर निर्भर रहा।
जब बाजार में नए ऑपरेटिंग सिस्टम आए तो नोकिया ने माइक्रोसॉफ्ट के साथ समझौता किया, लेकिन तब तक सैमसंग और एप्पल (Apple) जैसी कंपनियां बाजार पर अपनी पकड़ मजबूत कर चुकी थीं। जब नोकिया ने विंडोज को अपनाया तब तक एंड्राइड और आईओएस जैसे ऑपरेटिंग सिस्टम युवाओं की पहली पसंद बन चुके थे। इसके बाद तो जैसे ये कंपनी मार्केट से गायब ही हो गईं।
लेकिन चीन की सभी कंपनियों के मार्केट ठप पड़ने से और सभी देशों में चीन के खिलाफ माहौल बनने से एक बार फिर से इन दोनों ही यूरोपियन कंपनियों के पास एक बार फिर से मौका है कि वह दोबारा अपने वर्चस्व को कायम करे। नोकिया का खेल खत्म होने का प्रमुख कारण एंड्रायड फोन था लेकिन इसे दोबारा जिंदा करने वाला 5G तकनीक हो सकता है। नोकिया ने कुछ दिनों पहले ही घोषणा की कि उसने टेक्सास के डलास में अपने ओवर-द-एयर (OTA) नेटवर्क में दुनिया की सबसे तेज 5G स्पीड प्राप्त की है। नोकिया ने बड़े अमेरिकी वाणिज्यिक नेटवर्क में तैनात किए जा रहे बेस स्टेशन उपकरण पर किए गए परीक्षणों में लगभग 4.7 Gbps तक की 5G गति प्राप्त की थी। इससे सभी देश प्रभावित है। एक तरफ जहां कोरोना से हुवावे के 5G को लेकर सभी देश शंका में हैं तो वही यह नोकिया के लिए किसी जीवनदान से कम नहीं है। अब यह देखाना है कि कब यह कंपनी फिर से लोगों के दिलों पर राज करता है।