“Chinese National Cong”, दुनियाभर में चोरी, जासूसी करने वाली United Front और कांग्रेस का रहा है गहरा रिश्ता

तो क्या सोनिया गांधी चीन के इशारे पर इस देश को चला रही थी?

कांग्रेस

भारत चीन के बीच बढ़ते तनाव के साथ-साथ हर रोज कांग्रेस और चीन के रिश्तों की नई परत खुल रही है। राजीव गांधी फाउंडेशन को चीन से रुपये मिलने के खुलासे के बाद अब TFI एक exclusive रिपोर्ट ले कर आया है जिसमें यह बात सामने आई है कि चीनी खुफिया संस्था CAIFC के साथ राजीव गांधी फाउंडेशन का  गठजोड़ रहा है।

TFI के कंसल्टिंग एडिटर अजित दत्ता ने कल ट्वीट करते हुए यह खुलासा किया और बताया कि कांग्रेस की राजीव गांधी फाउंडेशन का संबंध चीन की चाइना एसोसिएशन फॉर इंटरनेशनल फ्रेंडली कॉन्टैक्ट (CAIFC) के साथ रहा है जो चीन के लिए पूरे विश्व में प्रोपोगेंडा फैलाने वाली एक खुफिया संस्था है। यानि कांग्रेस पार्टी भारत में चीन का प्रोपोगेंडा फैलाने वाली एक संस्था से रुपया लेती थी।

दरअसल, वर्ष 2004-05 में राजीव गांधी इंस्टीट्यूट फॉर कंटेम्पोरेरी स्टडीज ने चाइना एसोसिएशन फॉर इंटरनेशनल फ्रेंडली कॉन्टैक्ट (CAIFC) को अपनी वैबसाइट पर सूचीबद्ध किया है। यही CAIFC चीन के यूनाइटेड फ्रंट की ही एक संस्था है जो चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की अन्य देशों में बेहतर छवि के निर्माण में, गुप्त जानकारियां एकत्रित करने और प्रोपेगेंडा फैलाने के लिए जानी जाती है।

इस संगठन की स्थापना 1984 में की गयी थी तथा यह United Front की ही एक संस्था है। यह संस्था चीन के Liaison Department of the Political Work Department of the Central Military के तहत काम करता है जिसका मकसद चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के एजेंडे को प्रोमोट करना है।

यही नहीं, इस संस्था के ऊपर अमेरिका की FBI की भी नजर थी। FBI ने अमेरिकी कांग्रेस को सौंपी अपनी रिपोर्ट में कहा था कि कि चाइना एसोसिएशन फॉर इंटरनेशनल फ्रेंडली कॉन्टैक्ट (CAIFC) चीनी सेना के लिए काम करता था और जासूसी गतिविधियों में भी शामिल था।

बता दें कि United Front चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के लक्ष्यों की दिशा में काम करने वाले समूहों और व्यक्तियों,पार्टी और राज्य एजेंसियों के नेटवर्क का एक गठबंधन है। इसमें वो सब सामाजिक संगठन, धार्मिक निकाय, विश्वविद्यालय, अनुसंधान संस्थान और व्यक्ति जुड़े हुए हैं जो चीन तथा कम्युनिस्ट पार्टी के लिए विश्व के अनेक देशों, विश्वविद्यालयों में प्रोपेगैंडा फैलाते हैं। इस संस्था को शी जिनपिंग Magic Weapon भी कह चुके हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि यह संस्था CCP के लिए महत्वपूर्ण है। यह संस्था अमेरिका से लेकर ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन में फैली हुई है और अब भारत की कांग्रेस से भी इसके संबद्धों का खुलासा हो गया है।

ऑस्ट्रेलिया में, कुछ व्यापारी United Front के सदस्य थे। उन पर चीन की ओर से ऑस्ट्रेलियाई राजनीति में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया गया है।ऑस्ट्रेलियाई मीडिया ने बड़े पैमाने पर इस पर रिपोर्टिंग की। संयुक्त राज्य में United Front के कम से कम दो वरिष्ठ सदस्यों को टेक्नॉलजी चुराने के लिए अदालत ले जाया गया है। चीन को पता है कि वह किसी भी देश से पारंपरिक युद्ध नहीं जीत सकता है,  इसलिए वह United Front जैसी संस्थाओं का सहारा लेकर अपने दुश्मनों को कमजोर करता है। अब खुलासों के सामने आने से यह स्पष्ट हो गया है कि कांग्रेस पार्टी भी चीन की उसी लड़ाई का हिस्सा थी जो भारत को कमजोर करने के लिए चीन ने शुरू की थी।

जिस संस्था से कांग्रेस की राजीव गांधी फाउंडेशन रुपये लेती थी, वह कई देशों में खुफिया जानकारी चुराने, राजनीति में हस्तक्षेप करने और Intellectual Property की चोरी करने के आरोप झेल रही है। इससे यह शक और गहरा हो जाता है कि कांग्रेस अपने कार्यकाल के दौरान CCP के इशारों पर ही भारत की नीतियों का निर्धारण करती थी। आखिर देश को कांग्रेस चला रही थी या CCP, यह भी कहना अब मुश्किल है। कांग्रेस को सत्ता से गए 6 वर्ष हो चुके हैं लेकिन आज भी इसके काले कारनामे बाहर आ ही रहे हैं। जिस तरह से कांग्रेस पार्टी और गांधी परिवार के चीन के साथ सम्बन्धों का खुलासा हुआ है, चाहे वो CCP के साथ MOU साइन करना हो या राहुल गांधी का चीनी राजदूत से मिलना हो या राजीव गांधी फाउंडेशन का CCP से रुपये प्राप्त करना हो, उससे इस पार्टी को अब “चीनी” कहा जाए तो यह गलत नहीं होगा।

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