भारत के मना करते ही dead हो गयी थी RCEP डील, छोटे देश अब मांग रहे भारत का समर्थन

भारत के बिना कोई भी देश RCEP पर साइन करने के लिए तैयार नहीं!

(PC: The Week)

पिछले वर्ष भारत ने Regional Comprehensive Economic Partnership यानि RCEP में शामिल नहीं होने का फैसला लिया था। RCEP के तहत RCEP के तहत इसके दस सदस्य देशों यानी ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्यांमार, फिलिपिंस, सिंगापुर, थाईलैंड, वियतनाम और छह एफटीए पार्टनर्स चीन, जापान, भारत, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच एक मुक्त व्यापार समझौता प्रस्तावित था, और ये सभी देश चाहते थे कि भारत जल्द से जल्द इस डील पर साइन कर दे लेकिन तब भारत की ओर से पीएम मोदी ने यह साफ कर दिया था कि, भारत किसी भी डील पर साइन करने से पहले अपने हितों को देखेगा और अभी उनकी अंतरात्मा इस डील पर साइन करने के लिए उन्हें इजाजत नहीं देती है।

भारत के इस कदम के बाद यह डील अब धूल खाती दिखाई दे रही है, क्योंकि बाकी देश भारत के बिना इस डील के साथ आगे जाना नहीं चाहते। चीन के साथ-साथ कई छोटे देश भी भारत को इस डील में शामिल करना चाहते हैं ताकि RCEP में भारत और चीन के बीच संतुलन बना रहे। इसी कड़ी में न्यूजीलैंड ने भारत से दोबारा RCEP में शामिल होने का आह्वान किया है और कहा है कि वे भारत की सभी चिंताओं को दूर करने के लिए तैयार है।

न्यूजीलैंड की उप-व्यापार मंत्री और उप-विदेश मंत्री ने एक बयान देते हुए कहा कि “कोविड के बाद भारत जैसे देश को भी RCEP जैसे समूह में हिस्सा लेने की ज़रूरत महसूस होगी। भारत अगर RCEP में शामिल होता है तो यह इस क्षेत्र के लिए फायदेमंद साबित होगा”। इसके अलावा हाल ही में ऑस्ट्रेलिया भी भारत से RCEP मुद्दे पर दोबारा विचार करने का आग्रह कर चुका है। जापान तो पहले ही कह चुका है कि अगर भारत RCEP में शामिल नहीं होगा, तो जापान भी इसका हिस्सा नहीं बनेगा।

(PC: BW Business World)

यह चीन को भी भली-भांति पता चल चुका है कि जब तक भारत RCEP के लिए हामी नहीं भरता है, तब तक इस डील को मृत ही समझा जाना चाहिये। यही कारण था कि जब भारत ने RCEP से बाहर होने का फैसला लिया तो चीन में बड़ी बेचैनी दिखाई दी और चीन ने दो बार भारत से दोबारा अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया था। पहले तो चीन की ओर से कहा गया था कि अगर भारत भविष्य में RCEP का सदस्य बनना चाहेगा, तो उसका हम स्वागत करेंगे। इसके अलावा चीन ने दूसरे बयान में कहा था कि वह बीजिंग समर्थित RCEP में शामिल नहीं होने के लिए भारत द्वारा उठाए गए बकाया मुद्दों को हल करने के लिए आपसी समझ और गुंजाइश के सिद्धांत का पालन करेगा। चीन ने यह भी कहा था कि वह भारत का स्वागत करेगा कि वह जल्द से जल्द इस सौदे में शामिल हो।

बता दें कि पिछले वर्ष भारत ने अपने किसानों और dairy farmers को ध्यान में रखते हुए RCEP से बाहर आने का फैसला लिया था। इसके अलावा RCEP डील पक्की करने के बाद चीन को अपना सामान भारत में भेजना बड़ा आसान हो जाता, ऐसे में भारत का बाज़ार चीन के सस्ते बाज़ार से भर जाता और भारत के लोकल उद्योगों को सांस लेने का मौका ही नहीं मिल पाता। आज कोरोना के बाद जिस प्रकार भारत में लोकल के लिए वोकल मुहिम को आगे बढ़ाया जा रहा है, वह RCEP को साइन करने के बाद संभव नहीं हो पता। इसके लिए पीएम मोदी की दूरदर्शिता की जितनी तारीफ की जाए, उतनी कम है। भारत का RCEP में शामिल होना बेशक चीन और अन्य देशों के लिए लाभदायक हो, लेकिन भारत बेशक अपने हित को ही सबसे ऊपर रखता है।

Exit mobile version