सोमवार को हुए लद्दाख क्षेत्र में चीन के कायरतापूर्ण हमले के बाद कल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस जयशंकर का बयान सामने आया। इन दोनों के ही बयान देख कर कोई भी यह अंदाजा लगा सकता है कि यह चीन के लिए कड़ी चेतावनी से कम नहीं था। एक तरफ पीएम मोदी ने चीन को स्पष्ट शब्दों में कह दिया कि अगर भारत को उकसाया गया तो वह वापस जवाब देना जानते हैं, तो वहीं एस जयशंकर ने भी कड़े शब्दों में कह दिया है कि अब इस हमले के बाद भारत और चीन के द्विपक्षीय संबंध पहले की तरह नहीं रहने वाले हैं।
दरअसल, भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और चीन के स्टेट काउंसलर व विदेश मंत्री वांग यी ने बुधवार फोन पर, गलवान घाटी में LAC के हालात पर चर्चा की, जहां सोमवार को हुई हिंसक झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए और लगभग 40 चीनी सैनिक भी मारे गए।
Premeditated action by China led to violence: EAM S Jaishankar tells Chinese FM on phonehttps://t.co/rzs58ZarnQ
— Zee News English (@ZeeNewsEnglish) June 17, 2020
इस दौरान एस जयशंकर ने चीन को कड़े शब्दों में वार्निंग दी। विदेश मंत्रालय द्वारा नई दिल्ली में जारी किए गए बयान के अनुसार, जयशंकर ने अपने समकक्ष के साथ बातचीत में चीन पर आरोप लगाया कि उसने जानबूझकर और सुनियोजित कार्रवाई की, जो सीधे तौर पर हिंसा और मौतों के लिए जिम्मेदार थी।
इस बातचीत का सबसे अहम हिस्सा वह था जब विदेश मंत्री ने चीन के साथ अपने द्विपक्षीय सम्बन्धों से जुड़े मुद्दे पर बात की। भारत के विदेश मंत्री जयशंकर ने चीन को स्पष्ट कहा कि इस हमले का द्विपक्षीय रिश्ते पर एक गंभीर असर होगा। उन्होंने वांग से कहा कि समय की जरूरत है कि चीनी पक्ष अपनी कार्रवाइयों का पुनर्मूल्यांकन करे और सुधारात्मक कदम उठाए।
यहाँ भारत ने चीन के साथ द्विपक्षीय सम्बन्धो पर असर की बात कही। यानि अब तक भारत जिस प्रकार चीन से जुड़े संवेदनशील मुद्दों को लेकर सावधानी से बर्ताव करता था, अब शायद वह ना देखने को मिले। भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर विदेश नीति में एक माहिर खिलाड़ी हैं, और जिस तरह से उन्होंने कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान को चारों खाने चित किया था, अब चीन के साथ भी वही किया जाएगा। यानि भारत अब चीन का न सिर्फ संयुक्त राष्ट्र में विरोध कर सकता है बल्कि One China Policy को लात मारते हुए ताइवान के साथ अपने संबद्ध को और प्रगाढ़ कर सकता है। ताइवान में भी भारत के प्रति एक सकारात्मक माहौल बना हुआ है। वही भारत South China Sea के देशों के साथ भी अपने संबद्धों को बढ़ा सकता है! उदाहरण के लिए फिलीपींस और वियतनाम। इन दोनों ही देशों का चीन के साथ विवाद चलता रहता है।
भारत के विदेश मंत्री अब सभी प्लैटफॉर्म्स का इस्तेमाल कर चीन को मात देने की नीति अवश्य बना रहे होंगे।
जयशंकर ने अपनी इस फोन वार्ता के दौरान यह भी बताया कि किस तरह चीनी सेना ने पीछे से आ कर भारतीय सेना पर हमला किया था। यानि स्पष्ट है कि एस जयशंकर चीन को किसी भी मामले पर दो टूक जवाब देने से पीछे नहीं हटे। इसका अर्थ है कि अब अंतराष्ट्रीय स्तर पर भी चीन को इसी तरह का जवाब मिलेगा। हो सकता है भारत चीन के खिलाफ ऊईगर मुस्लिमों का मामला भी उठाए। इसके अलावा अब भारत सरकार WHO में ताइवान के दावे का समर्थन कर भी सकती है।
Tough messaging by Indian External Affairs minister S. Jaishankar to his Chinese counterpart in phone conversation, registered India’s protest, no quibbling of words – laid blame squarely on China calling Galwan fracas “pre-meditated and planned action”. pic.twitter.com/wsR382fm2f
— Smita Prakash (@smitaprakash) June 17, 2020
विदेश मंत्री के इन बयानों को किसी भी तरह से हल्के में लेना चीन को महंगा पड़ सकता है। क्योंकि यह नया भारत है, और सैन्य-कूटनीति समेत सभी मोर्चों पर दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब देना जानता है। पीएम मोदी भी पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि उकसाने पर भारत यथोचित जवाब देना जानता है।
भारत ने अब बता दिया है कि चीन ने बहुत गुंडागर्दी दिखा ली और उसे जवाब देना आवश्यक है। विदेश मंत्री के इस बयान से यह स्पष्ट है भारत एक कदम भी पीछे नहीं हटने वाला है। तथा चीन को भारत के एक्शन के लिए तैयार रहना चाहिए।