हिंसा के आरोपी खालिद सैफी- जानिए कैसे टुकड़े-टुकड़े गैंग ने इसे प्रोमोट किया

हम तो इन्हें लिबरल समझते थे, ये तो आतंकवादी निकले!

सैफी

लगता है भारत के टुकड़े टुकड़े करने की मंशा रखने वाले लोगों के सितारे कुछ ठीक नहीं चल रहे हैं। पहले गिरफ्तार हुए उपद्रवियों पर UAPA  के अन्तर्गत मुक़दमा दर्ज हुआ, फिर सफूरा जरगर जैसे लोगों को लाख प्रोपेगैंडा के बावजूद ज़मानत नहीं मिली, और अब दंगों में हथियार की व्यवस्था कराने और उमर खालिद और ताहिर हुसैन के बीच मुलाकात कराने वाले कथित एक्टिविस्ट खालिद सैफी को हाल ही में दिल्ली पुलिस ने दंगों के दौरान चांद बाग में हुई हिंसा के संबंध में हिरासत में ले लिया है।

रिपोर्ट्स के अनुसार, खालिद सैफी को पूर्वोत्तर दिल्ली में दंगा भड़काने और दंगे में दंगाइयों की मदद करने के लिए हिरासत में लिया है। दिल्ली दंगो में हथियार लाने और ताहिर हसैन को हथियार और पैसे दिलवाने के मामले में दिल्ली पुलिस के क्राईम ब्रांच के विशेष एसआईटी ने खालिद सैफी को गिरफ्तार किया है।

पर खालिद सैफी का टुकड़े-टुकड़े गैंग से क्या कनेक्शन है? आखिर ऐसा क्या है कि पूर्वोत्तर दिल्ली में हुए दंगों से इसका नाम भी जुड़ा हुआ है?

टाइम्स नाउ के रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस ने यह भी बताया है कि सैफी का नाम पहले से चार्जशीट में है। चार्जशीट में सैफी पर आरोप है कि उसने प्रदर्शन में सबको इकट्ठा करने का काम किया था। इसके अलावा उमर खालिद और ताहिर हुसैन दोनों से अच्छे संबंध होने के कारण उसने दोनों की मीटिंग भी करवाई थी।

उमर खालिद से खालिद सैफी के संबंध यूं ही नहीं अच्छे हुए थे। जब उमर खालिद पर कथित रूप से किसी ने गोली चलाई थी, तो ये खालिद सैफी ही थे, जिन्होंने उमर खालिद की ओर से पैरवी की थी। इसी बात पर प्रकाश डालते हुए भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने लिखा, “ये हैं खालिद सैफी।

दिल्ली दंगो में हथियार लाने और ताहिर हसैन को हथियार और पैसे दिलवाने के लिए गिरफ्तार हुए थे। जब उमर खालिद पर गोली चलने की झूठी खबर आई थी, तब मीडिया में  गोली चलने का अकेला विटनेस ये खालिद सैफी ही था। मैंने ये बात 13 अगस्त 2018 को ही बताई थी”।

https://twitter.com/KapilMishra_IND/status/1270288827542888451?s=20

परन्तु बात सिर्फ यहीं पर नहीं खत्म होती। खालिद सैफी  की कई फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है, जिसमें वो लगभग सभी वामपंथी नेताओं और बुद्धिजीवियों के साथ कभी ना कभी एक फोटो अवश्य खिंचवाई है। चाहे वह मैग्सेसे पुरस्कार से पिछले वर्ष सम्मानित हुए रवीश कुमार हो, या फिर द वायर की जान माने जाने वाली आरफा खानुम शेरवानी हो, या फिर गुर्मेहर कौर जैसे अटेंशन के भूखे एक्टिविस्ट ही क्यों ना हो, खालिद सैफी के इनके साथ गर्मजोशी से भरे फोटो ये स्पष्ट बताते हैं कि उसकी पहुंच कहां तक है। एक ट्विटर यूज़र ने सही ही कहा था, ‘सब मिले हुए हैं जी’।

कल तक जो वामपंथी पत्रकार मार्क जुकरबर्ग द्वारा कपिल मिश्रा का नाम लेने पर कपिल मिश्रा के विरुद्ध कार्रवाई के नारे लगा रहे थे, वे आज अपने ऊपर गाज गिरती देख चुप्पी साधे बैठे हैं। एक ट्विटर यूज़र ने इसीलिए पोस्ट किया, “ये वही लोग हैं जो एक व्यक्ति से नफरत में देश, ईमान और इंसानियत भी बेच दे”। परन्तु खालिद सैफी की गिरफ्तारी का एक सकारात्मक पक्ष भी है, और वो यह कि अब इस व्यक्ति से पूछताछ में दिल्ली पुलिस कई अन्य बातों का खुलासा भी कर सकती है। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि खालिद सैफी समस्या नहीम बल्कि, असली समस्या तो खालिद जैसे कट्टरपंथी लोगों को दिया जा रहा अपार समर्थन  है, जो भारत के लिए काफी हानिकारक हो सकता है।

 

Exit mobile version