Economic Times की एक रिपोर्ट के मुताबिक गृह मंत्रालय ने Central Armed Police Forces यानि CAPF के लिए छोटे हथियार बनाने के लिए 17 प्राइवेट कंपनियों के साथ बातचीत की है। इससे पहले भारत इन हथियारों को इम्पोर्ट करता था। जिन 17 कंपनियों को सरकार से बातचीत के लिए बुलाया गया था, उनमें Vem Technologies, Kalyani Strategic, Shyam Arms, Premier Explosives, HYT, L & T, और Godrej जैसी कंपनियाँ शामिल थीं।
गृह मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक प्रधानमंत्री द्वारा “आत्मनिर्भर” बनने की मुहिम के बाद ही सरकार ने इन कंपनियों को बातचीत के लिए बुलाया था, जो CAPF के लिए हथियार बनाने का काम करेंगी। हाल ही में CAPF की कई यूनिट्स जैसे ITBP, BSF, CRPF, SSB, CISF, NSG और असम राइफल्स ने आपस में बैठक की थी। गृह मंत्रालय के मुताबिक इन सब यूनिट्स से सरकार को अपनी मांगें बताने के लिए कहा गया है, ताकि उन्हें local manufacturers की सहायता से ही विकसित किया जा सके।
प्राइवेट कंपनियों को हथियार निर्माण में शामिल करना देश के सुरक्षा उद्योग के लिए बहुत बड़ी खबर है। इस क्षेत्र में दशकों से सरकारी कंपनियों का ही प्रभुत्व रहा है। ऐसे में इस क्षेत्र में भारत शुरू से ही फिसड्डी सिद्ध हुआ है। सरकारी कंपनियों के एकाधिकार के कारण भारत कभी अपने सुरक्षा उद्योग को विकसित ही नहीं कर पाया। आज़ादी के बाद भारत सरकार ने इस क्षेत्र में प्राइवेट खिलाड़ियों के आने पर रोक लगा दी थी, और कई बड़ी और नाकाम सरकारी कंपनियों जैसे HAL पर अरबों रुपया बहाया गया। अभी तक भारत की कंपनियाँ कम गुणवत्ता और कम आधुनिक हथियार ही बना पाई हैं और वो भी सोवियत यूनियन के समय भारत को दी गयी तकनीक की सहायता से! इसके अलावा भारत की इन कंपनियों ने कुछ हासिल नहीं किया है।
ध्यान देने वाली बात यह है कि अभी तक भारत की सरकार ने भारत में अपनी सरकारी कंपनियों में हथियार निर्माण के लिए जिन भी विदेशी कंपनियों से करार किया है, वे सभी प्राइवेट कंपनियाँ ही हैं। दुनिया की टॉप 25 हथियार निर्माण कंपनियों में कोई भी सरकार कंपनी नहीं है, सभी प्राइवेट हैं। कोई भी कंपनी तब तक विकसित नहीं हो सकती जब तक वह मार्केट के कड़े कंपीटीशन का सामना नहीं करती है। ऐसे में अब तक सिर्फ प्राइवेट खिलाड़ी ही इस दौड़ में सफल हो पाये हैं।
आज भारत दुनिया में हथियारों के सबसे बड़े आयातकों में से एक है। भारत को बंदूक से लेकर बड़े बड़े हवाई जहाजों तक, सब कुछ इम्पोर्ट करना पड़ता है, क्योंकि भारत की सरकारी कंपनियाँ जैसे HAL और DRDO छोटे हथियार बनाने में भी अक्षम हैं। दुनिया में पाँच सबसे बड़ी हथियार निर्माता कंपनियाँ Lockheed Martin, The Boeing Company, BAE Systems plc, The Raytheon Company, and Northrop Grumman Corporation पश्चिम से ही आती हैं। भारत में भी डिफेंस सेक्टर में प्राइवेट कंपनियों के शामिल होने के बाद यहाँ के रक्षा उद्योग में विकास होने की उम्मीद है।
प्राइवेट कंपनियों के आने के बाद न सिर्फ हथियारों की क्वालिटी बेहतर होगी बल्कि वे हथियार सस्ते भी पड़ेंगे। अगर भारत की ये कंपनियाँ अच्छे हथियार बनाने में सफल हो जाती हैं, तो भारत की सुरक्षा में जुटे जवानों और यहाँ तक कि राज्यों की पुलिस को भी बेहतर गुणवत्ता के हथियार मिल सकेंगे।