शाहिद अफरीदी को देखकर एक ही कहावत याद आती है, “चमड़ी जाए पर दमड़ी ना जाए”। इसी बात को जनाब ने एक बार फिर सिद्ध किया, जब उन्होंने बलूचिस्तान से खिलाड़ियों को पाकिस्तान की टीम में शामिल कराने की बात कही।
अभी हाल ही में मीडिया से बातचीत करते हुए शाहिद अफरीदी ने कहा, “बलूचिस्तान में काफी क्रिकेट और फुटबॉल टैलेंट है और वह बलूचिस्तान में क्रिकेट के लिए हमेशा तैयार रहेंगे। यहां के जो बच्चे मुझे पसंद आएंगे, उसे मैं अपने साथ कराची ले जाऊंगा। वो मेरे साथ रहेंगे भी और क्रिकेट के साथ साथ उन्हें पढ़ाया भी जाएगा। बलूचिस्तान के लोगों में काफी टैलेंट है, मगर फिर भी यहां के लोगों को पाकिस्तान टीम में जगह नहीं मिल पाती। दरअसल यहां पर सुविधाओं की कमी है।”
ठहरिए, ये सुना सुना सा नहीं लगता? दरअसल, यही बात शाहिद अफरीदी ने तब भी कही थी, जब वे पीएम मोदी के विरुद्ध विष उगल रहे थे। पीओके में उन्होंने अपने भाषण में कहा था कि वह कश्मीर से क्रिकेट में टेलेंटेड बच्चों को लेकर जाना चाहते हैं, ताकि उन्हें अच्छा प्रशिक्षण दिया जा सके। अब यही सब बातें उन्होंने बलूचिस्तान में भी कही है।
लगता है शाहिद अफरीदी शायद भूल रहे हैं कि आज जो बलूचिस्तान इतना कंगाल और बेबस है, उसके पीछे प्रमुख कारण पाकिस्तान ही है। ऐसे में ये तो स्पष्ट है कि शाहिद अफरीदी का वास्तविक इरादा केवल लाइमलाइट पाना है। कोरोना वायरस महामारी के बीच भी कश्मीर मुद्दे का राग अलाप कर अपनी बौखलाहट जताने वाले अफरीदी बलूचिस्तान के हितैषी बनने का दिखावा कर रहे हैं।
यही वजह है कि शाहिद अफरीदी को खुद बलूचिस्तान के निवासियों ने घास तक ना डाली। उल्टे अफरीदी को खरी-खोटी सुनाते हुए कई बलोचियों ने शाहिद को जमकर ट्रोल किया।
उदाहरण के लिए बेलूस्च नामक ट्विटर अकाउंट ट्वीट करता है, “बलूचिस्तान किसी के बाप की जागीर नहीं है”।
بلوچستان کسی کے باپ کی جاگیر نہیں بلوچوں کی سرزمیں ہے ، تمھارے جیسے ٹٹو گل خان قابض پنجابی فوج کے جوتے چاٹنے والے کئی گدھے آئے اور چلے گئے
— Aslam_Baloch (@A_Belutsch) June 6, 2020
एक अन्य यूज़र अमानुल्लाह करानी ने ट्वीट किया, “आखिरी बार जब यह जनाब बलोचिस्तान आए, तो कहे कि यहां दूध और शहद की नदियां बहेंगी। कृपया ऐसी बकवास ना करें”।
شاہد آفریدی صاحب بلوچستان دورےکےدوران ایسےدعوےکررہے ہیں کہ بلوچستان میں آئندہ دودھ و شہدکی نہیریں بہیں گی خدارا ایسےدعوےنہ کریں خاں صاحب یہ دعوےپہلےبھی ایک کرکٹرنےکرکےعوام کوالوبنایا آپ بھی مہربانی فرماکر،ماموں بنانےکی کوشش نہ کریں کرکٹ تو آپ دونوں سےپٹ گیا ملک پر تجربہ نہ کریں
— Amanullah Kanrani (@amankanrani1) June 7, 2020
वहीं दूसरी तरफ एक अन्य यूज़र काशिफ बलोच ने शाहिद पर तंज कसते हुए अमानुल्लाह को ट्वीट किया, “यह आदमी बीस साल भी कोशिश कर ले, तो इससे कुछ नहीं होगा। जुए (फिक्सिंग) में जितने पैसे कमाए है उड़ाने दो। एक भी गरीब की ज़िंदगी नहीं संवारी है इस व्यक्ति ने।”
ابھی بیس سال تک تو اس کی باری نہیں آئے گی جوئے سے جو مال بنایا ہے تھوڑا خرچ ہونے دے کسی غریب کو تو اس نے ایک دھیلا نہیں دینا ۔ہمارے پنجابی میں ایک کہاوت ہے کھوں دی مٹی کھوں نوں لگدی ایں۔مطلب جوئے کا پیسہ اب سیاست میں ضائع ہو گا مگر ہاتھ کچھ نہیں آئے گا۔@ImranKhanPTI
— Kashifbaloch (@kashifbaloch454) June 7, 2020
वहीं मुबाशिर वज़ीर नामक यूज़र ने पाकिस्तानी प्रशासन पर उंगली उठाते हुए शाहिद अफरीदी के बकवास के जवाब में ट्वीट किया, “शाहिद अफरीदी, हम गरीबी से नहीं, गोलियों से मर रहे हैं। कभी पश्तून और बलोच समुदाय के लोगों के नरसंहार पर इस तरह से प्रेस वार्ता रखी है?”
شاہد آفریدی ھم بھوک سے نہیں ریاست کے گولیوں سےمر رہے ہیں۔ بلوچستان کو کرکٹ نہیں زندگی چا ہیے, تمیں کیا پتا لاپتہ افراد آپ نے کھبی پشتونوں اور بلوچوں کی ٹارگٹ کلنگ اورمسخ شدہ لاشوں کے بارے میں کوی ردعمل یاپریس کانفرنس کی ہے#PashtunGenocideByPakState pic.twitter.com/RQAGIT9FxB
— Mubasher Wazir (@MubasherWazir5) May 4, 2020
शाहिद अफरीदी कितने बड़े हिपोक्रेट हैं, ये किसी से नहीं छुपा है। अभी कुछ हफ्तों पहले दानिश कनेरिया ने शाहिद अफरीदी की पोल खोलते हुए बताया कि कैसे उनका करियर शाहिद ने बर्बाद किया। धर्म देखकर एक क्रिकेट का करियर बर्बाद करने वाले शाहिद अफरीदी बलूचिस्तान के युवाओं को आबाद करने की बात कर रहे हैं। अब ऐसे में इसे दिखावा न कहें तो क्या कहें?
सच कहें तो शाहिद अफरीदी जैसे लोगों का पेशा ही यही है – बात बात पर कश्मीर का मुद्दा उठाकर भारत को भड़काना। इसके अलावा इन लोगों के पास दूसरा कोई काम नहीं है। ऐसे में जब बलोचिस्तान के मुद्दे पर शाहिद ने अपना कथित परमार्थ दिखाने चाहा, तो बलोच समुदाय ने उसकी बखिया उधेड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी।