शांति समझौतों ने भारतीय सैनिकों के हाथ बांध दिये हैं, अब भारत को इन्हें रद्दी में फेंकना ही होगा

तभी तो चीन के फन कुचले जाएंगे!

चीन

(PC: National Herald)

भारत और चीन के बीच हाल ही में हुई हिंसक झड़प ने यह फिर साबित कर दिया कि चीन पर रत्ती भर भी विश्वास नहीं किया जा सकता। चीन (china) के इतिहास को देखते हुए चीन से विश्वासघात की उम्मीद न रखना भारत की सबसे बड़ी गलती साबित हुई है।  कहने को तो भारत और चीन (china) के बीच विवाद को सुलझाने के लिए 5 बड़े समझौते हुए हैं, लेकिन चीन (china) ने आज तक इनमें से किसी का भी सम्मान नहीं किया। भारत ने वर्ष 1954 में चीन के साथ पंचशील समझौता किया था, उसके बाद वर्ष 1993 और 1996 में भी चीन के साथ शांति समझौते किए गए थे, जिनमे ये तय किया गया था कि दोनों तरफ सैनिक कम से कम हथियार लेकर पेट्रोलिंग करेंगे और बॉर्डर पर किसी तरह की युद्ध सामाग्री को जमा नहीं किया जाएगा। भारत-चीन बॉर्डर पर भारत बेशक प्रभावी स्थिति में है, ऐसे में इन सभी समझौतों ने भारत के हितों को नुकसान पहुंचाने में अहम योगदान दिया है।

China ने खुद तो कभी इन समझौतों का पालन नहीं किया, वहीं साथ-साथ इन समझौतों ने भारतीय वीर सैनिकों के हाथ ज़रूर बांध दिये। कांग्रेस शासन के दौरान किए गए इन समझौतों के कारण भारत कभी अपनी रणनीतिक प्रधानता का खुलकर फायदा नहीं उठा सका। चीन (china) के लिए ये समझौते करने अत्यंत महत्वपूर्ण थे, क्योंकि बार-बार भारत बॉर्डर पर किसी भी हिंसक मुठभेड़ में बड़ी संख्या में चीनी सैनिकों को मौत के घाट उतार देता था। उदाहरण के लिए 15 जून की घटना से पहले आखिरी बार भारत-चीन के बीच ऐसी हिंसक मुठभेड़ वर्ष 1967 में हुई थी, जिसमें 88 भारतीय सैनिकों के अलावा 300 चीनी सैनिकों की मौत हुई थी।

उसके बाद यह China के पक्ष में ही था कि वह भारत के साथ किसी शांति समझौते को पक्का कर ले। ऐसा इसलिए क्योंकि भारत बॉर्डर पर China की उपेक्षा ऊंची जगह पर मौजूद है, जिसके कारण किसी युद्ध की स्थिति में भारत के पास strategically upper hand है। इसके अलावा China की western theatre command के पास भारत की लद्दाख पर्वतीय सेना के मुक़ाबले के ना तो पर्याप्त संख्या है और ना ही कोई अनुभव! Harvard की हाल ही की एक study में यह सामने आया था कि भारत के सुखोई फाइटर जेट किसी भी चीनी जेट से बेहतर हैं। हालांकि, China के साथ तथाकथित शांति समझौतों के तहत भारत इन जेट्स को चीनी बॉर्डर पर तैनात तक नहीं कर सकता। ऐसी स्थिति में जब चीन खुलेआम भारत के खिलाफ युद्ध का ऐलान कर चुका है, तो भारत को भी अब इन समझौतों को कूड़े के ढेर में फेंक देना चाहिए।

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