दो मुख्यमंत्रियों ने अपने राज्य और लोगों को बेहाल कर दिया, अब उनके कारण पूरे भारत की किरकिरी हो रही है

इन दो मुख्यमंत्रियों ने भारत की सारी मेहनत पर पानी फेर दिया

कोरोना

PC; Deccan Chronicle

देश में कोरोना के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं। हालत यह है कि देश में एक हफ्ते में कोविड-19 के मामलों में 61 हजार की वृद्धि हो गई। नए केस की तेज रफ्तार से देश में शुक्रवार को इटली से भी ज्यादा कोविड-19 मरीज हो गए हैं। अब भारत 2 लाख, 37 हजार कोरोना पॉज़िटिव मरीजों के साथ इटली से आगे हो गया और दुनिया में छठे स्थान पर पहुंच गया है। अगर भारत का covid-19 ग्राफ देखा जाए तो कोरोना के मामलों में टॉप 3 राज्य महाराष्ट्र, तमिलनाडू और दिल्ली हैं। महाराष्ट्र तो 80 हजार मामलों के साथ चीन के आधिकारिक कोरोना मामलों को भी पीछे छोड़ने वाला है वहीं दिल्ली जैसा छोटे से केंद्र शासित प्रदेश में 26 हजार 300 से अधिक मामले आ चुके हैं और रोज यह संख्या हजारों में बढ़ रही है। अब इस प्रकार से कोरोना के मामले बढ़ने से कई सवाल खड़े हो रहे हैं, खासकर इन दोनों राज्यों में। अगर देखा जाए तो इन दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने अपनी अक्षमता का परिचय देते हुए विश्व में देश का नाम बदनाम किया है। जिस तरह से उद्धव ठाकरे और अरविंद केजरीवाल ने असफल नेतृत्व परिचय दिया है उससे तो यही स्पष्ट होता है कि इन दोनों का ध्यान कोरोना पर कम और PR  करने पर अधिक था।

सबसे पहले महाराष्ट्र की बात करते हैं। महाराष्ट्र में प्रतिदिन करीब 2500 केस बढ़ रहे हैं और इस गति से महाराष्ट्र अगले 1-2 दिन में चीन को पीछे छोड़ देगा। चीन में करीब 83 हजार केस हैं। महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा मरीज मुंबई से सामने आए हैं। ताजा आंकड़ों के बाद मुंबई में अब कोरोना संक्रमित 46,080 हो गए हैं। यानि सिर्फ मुंबई में ही महाराष्ट्र के कुल मामलों का 51 प्रतिशत मामले सामने आये हैं। बावजूद इसके न तो मुंबई में पूरी तरह से लॉकडाउन लगा है और न ही पालन करवाया गया लेकिन फिर भी उद्धव ठाकरे फिल्म हस्तियों से अपना PR करवाते जरूर नजर आए।

क्या सरकारी कर्मचारी, क्या डॉक्टर, यहां तक कि पुलिसकर्मी और जेल अफसर भी बड़ी संख्या में कोरोना की चपेट में आ चुके हैं। महाराष्ट्र पुलिस ने जानकारी दी कि राज्य में कोरोना वायरस के चलते अभी तक 2561 पुलिसकर्मी पॉजिटिव मिल चुके हैं और 33 की मौत हो चुकी है।

और ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र को नर्क में परिवर्तित कर दिया है। हाल ही में भाजपा नेता नितेश राणे ने एक वीडियो पोस्ट की, जो शायद मुंबई के कुख्यात स्लम एरिया धारावी से लिए गई है। यहां आप देख सकते हैं कि कैसे पुलिसवाले बिना किसी सुरक्षा इक्विपमेंट के अपना काम कर रहे हैं।

https://twitter.com/NiteshNRane/status/1258662010847260673

उद्धव ठाकरे ने न तो अपने राज्य की जनता का ख्याल रखा और न हो प्रवासी मजदूरों का ख्याल रहा। इस मामले पर उद्धव ठाकरे अपने राज्य में कोरोना पर ध्यान देने की बजाए केंद्र की आलोचना ही करते रह गए। यह उद्धव सरकार की लापरवाही का ही परिणाम है कि एक झूठी खबर के आधार पर मुंबई के बांद्रा स्टेशन पर हजारों प्रवासी मजदूरों की भीड़ इकट्ठा होती है और भारत के सबसे ज्यादा कोरोना प्रभावित राज्य में लॉकडाउन की धज्जियां उड़ाती और प्रशासन बेबस नजर आती है। जैसे कि भीड़ आसमान से बरसी हो और इकट्ठा होने की खबर प्रशासन को लगी ही नहीं। परन्तु यह तो फिर भी कुछ नहीं है। एक और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुई है, जिसमें मुंबई के सियों क्षेत्र में स्थित एलटीएमजी अस्पताल में COVID 19 के मरीज़ मृत मरीजों के बीच लेटे हुए हैं।

उद्धव ठाकरे के प्रशासन की निष्क्रियता का ही परिणाम है कि जो वुहान वायरस शुरुआत तक मुंबई के कुछ क्षेत्रों तक सीमित था, वह आज पूरे महाराष्ट्र को लीलने को तैयार है। पुलिस हो या स्वास्थ्यकर्मी, लगभग सभी विभाग इस महामारी से बुरी तरह पीड़ित हैं। ऐसा लगता है मानो अब महाराष्ट्र में सब कुछ रामभरोसे है। इससे न सिर्फ महाराष्ट्र बल्कि वैश्विक स्तर पर पूरे भारतवर्ष की मेडिकल और अन्य व्यवस्थाओं को लेकर बदनामी हो रही है।

अब बात करते हैं दिल्ली की। दिल्ली में अभी तक कोरोना के 26 हजार 300 मामले सामने आ चुके हैं। लेकिन अगर पिछले कुछ दिनों को देखा जाए तो दिल्ली में इटली जैसा ट्रेंड चल रहा है। कोरोना वायरस के मामलों में भी और कोविड-19 से मरने वाले मरीजों के मामले में भी। 1 जून से 3 जून के बीच 44 लोगों की कोविड-19 से मौत हुई। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 1 जून को 9 मरीज, 2 जून को 10 मरीज और 3 जून को 25 मरीजों ने दम तोड़ा। अब दिल्‍ली में मरने वालों की संख्‍या 708 हो गई है। दिल्‍ली में 27 मई तक मौतों का आंकड़ा 303 था। यानी पिछले 10 दिन में 400 से ज्‍यादा लोगों की मौत हुई है। बता दें कि कुछ दिनों पहले मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रेस कॉन्फ़्रेंस करके बताया कि हरियाणा और उत्तर प्रदेश से लगी दिल्ली की सीमा को एक हफ़्ते के लिए सील किया जा रहा है। इसके बाद पूरे राज्य में अफरातफरी मच गयी थी। केजरीवाल ने जिस तरह से दिल्ली की सीमाएँ सील करने की हड़बड़ी दिखाई है, उससे ये सवाल भी उठ रहे हैं कि क्या दिल्ली का स्वास्थ्य तंत्र दम तोड़ रहा है?

कुछ ही दिनों पहले दिल्ली सरकार ने प्राइवेट लैब के मालिकों से कहा था कि वो टेस्टिंग की संख्या कम करें, ख़ासकर एसिंप्टोमैटिक (बिना लक्षण वाले) मरीज़ो की। दिल्ली सरकार ने यह तर्क दिया है कि बिना लक्षणों वाले या हल्के लक्षणों वाले मरीज़ टेस्ट करा रहे हैं और कोविड-19 पॉज़िटिव आने पर अस्पतालों में भर्ती हो रहे हैं। इससे स्पष्ट है कि दिल्ली में मरीजों के लिए बेड कम पड़ रहे हैं। विशेषज्ञों ने साफ कहा है कि एसिंप्टोमैटिक मरीज़ों का टेस्ट इसलिए भी ज़रूरी है क्योंकि भारत में बिना लक्षण वाले मरीज़ों की संख्या बढ़ रही है और उन्हें चिन्हित करना आवश्यक है। फिर भी केजरीवाल की सरकार का यह फैसला किसी के गले नहीं उतरता। यहाँ सीधा सवाल यही उठता है कि क्या ये कोरोना मामलों की संख्या घटाने के लिए किया जा रहा है?

कुछ दिनों पहले मीडिया में ऐसी रिपोर्ट्स आई थीं कि दिल्ली के लोकनायक अस्पताल में शवगृह इस तरह से भर चुके हैं कि एक साथ कई शवों को ज़मीन पर एक के ऊपर एक रखना पड़ रहा है। यही नहीं यह भी खबर सामने आई कि वुहान वायरस की वजह से मरे लोगों का मौत के पाँच दिनों बाद भी अंतिम संस्कार नहीं हो पा रहा है। निगम बोध घाट, पंजाबी बाग़ और सीएनजी शवदाहगृह से शवों को वापस लौटाया जा रहा है। इस मामले पर दिल्ली हाईकोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा था कि दिल्ली सरकार शवों के प्रबंधन के लिए अपने ही दिशा-निर्देशों का पालन नहीं कर पा रही है।

दिल्ली में जिस तरह से केजरीवाल ने कोरोना मामलों हैंडेल किया इसका अंदाजा आप निजामुद्दीन इलाके के मरकज में एकत्रित हुए तबलीगी जमात के लोगों से भी लगा सकते हैं जिससे पूरे देश में कोरोना फैला। नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए एक स्थान पर 8000 लोग जमा हो गए और दिल्ली सरकार को पता भी नहीं चला। यह अक्षमता को ही दर्शाता है।

महाराष्ट्र और दिल्ली दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने अपने राज्य की जनता के साथ धोखा किया है जिससे आज न सिर्फ भारत की बदनामी हो रही है बल्कि भारत विश्व में कोरोना के मामलों की संख्या में भी छ्ठे स्थान पर आ गया है।

स्पष्ट है दोनों ही राज्यों के मुख्यमंत्री अपने राज्य की स्थिति को संभालने में पूरी तरह से नाकाम साबित हुए हैं और इनकी लापरवाही के कारण भारत कोरोना संक्रमण देशों की लिस्ट में सबसे ऊपर पहुँच रहा है। कल तक कहा जा रहा था कि भारत में कोरोना के मामले नियंत्रित रहेंगेऔर इसका संकम्रण तेजी से नहीं फैल पायेगा पर केजरीवाल और उद्धव ठाकरे के कारन अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। यदि दोनों राज्यों में स्थिति को जल्द ही नियंत्रित नहीं किया गया तो भारत के लिए बहुत बड़ी मुश्किल खड़ी हो सकती है।

 

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