9000 से अधिक मामलों और 731 लोगों की COVID 19 से मृत्यु होने से इतना तो साफ हो गया है कि महाराष्ट्र में स्थिति बाद से बदतर हो चुकी है। उद्धव ठाकरे की सरकार इस महामारी का प्रभाव सीमित रखने में पूर्णतया नाकाम रही है।
क्या सरकारी कर्मचारी क्या डॉक्टर, यहां तक कि पुलिसकर्मी और जेल अफसर भी इस महामारी की चपेट में आ गए हैं। अब तक 714 पुलिसकर्मी महाराष्ट्र में इस महामारी से संक्रमित पाए गए हैं, और ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र को नर्क में परिवर्तित कर दिया है।
हाल ही में भाजपा नेता नितेश राणे ने एक वीडियो पोस्ट की, जो शायद मुंबई के कुख्यात स्लम एरिया धारावी से लिए गई है। यहां आप देख सकते हैं कि कैसे पुलिसवाले बिना किसी सुरक्षा इक्विपमेंट के अपना काम कर रहे हैं.
This is the reason for max police officials getting Covid-19..
this is how reserved force officials r kept on duty in Dharavi.. which is the centre of CoronaVirus..they r expected to save US!
no protection..no facilities..just get up n do ur duty!
Who will save them ? pic.twitter.com/kUXG9vI3ta— nitesh rane (@NiteshNRane) May 8, 2020
महाराष्ट्र केवल वुहान वायरस से ही नहीं, बल्कि अराजकता से भी जूझ रहा है। अब तक पुलिसवालों पर 194 से ज़्यादा हमले के मामले सामने आ चुके हैं। पर ये तो कुछ भी नहीं है, अब तो मुंबई के आर्थर रोड जेल में 77 अंडर ट्रायल और 26 जेल कर्मी वुहान वायरस से संक्रमित पाए गए हैं। इसी को कहते हैं, गरीबी में आटा गीला.
उद्धव ठाकरे ने अब तो मानो हाथ ही खड़े कर दिए हैं। उन्होंने संकेत दिया है कि वे केंद्रीय सुरक्षाबलों की भी सहायता लेंगे। इससे साफ जाहिर है कि महाराष्ट्र में प्रशासन ने वास्तव में वुहान वायरस को रोकने हेतु कितना काम किया है।
उद्धव सरकार की लापरवाही का ही परिणाम है कि एक झूठी खबर के आधार पर मुंबई के बांद्रा स्टेशन पर हजारों प्रवासी मजदूरों की भीड़ इकट्ठा हो जाती है। इस तरह से भारत के सबसे ज्यादा कोरोना प्रभावित राज्य में लॉकडाउन की धज्जियां उड़ाई जाती हैं और प्रशासन बेबस नजर आती है। जैसे कि भीड़ आसमान से बरसा हो और इकट्ठा होने की खबर इन्हें पता ही नहीं चली।
यह बताना बेहद जरुरी है कि ये घटना मातोश्री से महज दो किलोमीटर की दूरी पर घटी थी। यहीं नहीं बांद्रा धारावी से महज 5 किलोमीटर की दूरी पर है जहां कोरोना के कई मामले सामने आ चुके हैं।
इतना ही नहीं, जिन अस्पतालों को वुहान वायरस के विरुद्ध मोर्चा खोलना चाहिए था, वे स्वयं इसकी चपेट में आएं वॉकहार्ड अस्पताल, जसलोक अस्पताल और भारतीय अस्पताल कंटेन्मेंट ज़ोन में परिवर्तित हो चुके हैं, क्योंकि यहां का अधिकांश मेडिकल स्टाफ स्वयं इस महामारी से संक्रमित हो चुके हैं।
परन्तु यह तो फिर भी कुछ नहीं है। एक और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुई है, जिसमें मुंबई के सियों क्षेत्र में स्थित एलटीएमजी अस्पताल में COVID 19 के मरीज़ मृत मरीजों के बीच लेटे हुए हैं.
In Sion hospital..patients r sleeping next to dead bodies!!!
This is the extreme..what kind of administration is this!
Very very shameful!! @mybmc pic.twitter.com/NZmuiUMfSW— nitesh rane (@NiteshNRane) May 6, 2020
मानो कोढ़ में खाज की भांति अब हाल ही में 16 मजदूरों के असामयिक मृत्यु की खबर भी सामने आई है। मध्य प्रदेश पैदल जा रहे ये मजदूर औरंगाबाद में एक पटरी पर लेट गए, जहां एक मालगाड़ी उन्हें रौंदते हुए निकल गई.
उद्धव ठाकरे के प्रशासन की निष्क्रियता का ही परिणाम है कि जो वुहान वायरस कल तक मुंबई के कुछ क्षेत्रों तक सीमित था, वह आज पूरे महाराष्ट्र को लीलने को तैयार है। पुलिस हो या स्वास्थ्यकर्मी, लगभग सभी विभाग इस महामारी से बुरी तरह पीड़ित है, और ऐसा लगता है मानो अब महाराष्ट्र में अब सब कुछ रामभरोसे है।