सुब्रमण्यम स्वामी का ज़ी 5 को एक कॉल, और हिन्दू विरोधी ‘Godman’ एयर होने से पहले ही हटा दिया गया

बहुत अच्छा Zee5!

ज़ी5

OTT प्लेटफॉर्म एक बार फिर से विवादों के घेरे में आ गया, जब ज़ी5 पर जल्द ही प्रसारित होने वाले तमिल वेब सीरीज ‘गॉडमैन’ का नाम सुर्खियों में आया। हिन्दू संस्कृति और सनातन धर्म को घोर नकारात्मक रूप में पेश करने वाले इस वेब सीरीज पर उमड़ते आक्रोश के कारण सुब्रमण्यम स्वामी को आगे आकर स्वयं ज़ी कम्पनी के मालिक सुभाष चंद्रा से बात करनी पड़ी, तब जाकर इस शो को रिलीज़ होने से पहले ही ज़ी5 एप से हटा दिया गया।

सुब्रमण्यम स्वामी ने स्वयं इस निर्णय अपने ट्विटर अकाउंट के माध्यम से दी। बता दें कि ‘ गॉडमैन ‘ वेब सीरीज एक तमिल भाषा सीरीज है, जिसमें धर्म और राजनीति के मिश्रण के दुष्परिणाम पर कथित रूप से प्रकाश डाला गया है। परन्तु इस वेब सीरीज के ट्रेलर से विशुद्ध हिन्दू विरोधी कॉन्टेंट की बू आने लगी थी। एक ओर ब्राह्मण समाज को भर-भर के गालियां दी जा रही थी, तो वहीं हिन्दू मठों को अनैतिक कार्यों के अड्डे के रूप में दिखाया जा रहा था, जिसपर अनेक हिन्दू संगठनों ने इसका विरोध भी किया।

इस प्रकरण पर जब ज़ी मीडिया के मालिक और राज्य सभा सांसद सुभाष चंद्रा को सूचित किया गया, तो उन्होंने तुरन्त मामला अपने हाथ में लेते हुए  इस विवादास्पद वेब सीरीज को तुरंत ज़ी5 से हटवा दिया। फिर ट्वीटों की श्रृंखला के माध्यम से उन्होंने सूचित किया कि आखिर क्यों ज़ी5 एक ज़िम्मेदार कॉन्टेंट क्रिएटर होने के नाते ऐसे कॉन्टेंट को स्वीकार नहीं करेगा ।

अपने एक ट्वीट में ज़ी5 तमिल लिखता है, “अपने श्रोताओं के मान सम्मान को ध्यान में रखते हुए ज़ी5 पहला ऐसा प्लेटफॉर्म था, जहां ऑनलाइन क्यूरेटेड कंटेंट प्रोवाइडर्स के लिए हमारा कोड फॉर सेल्फ रेगुलेशन है। इसी आधार पर हमने गॉडमैन सीरीज के स्ट्रीमिंग को निलंबित करने का निर्णय लिया है। ज़ी5 ने कभी भी किसी भी समुदाय की भावना को आहत करने के उद्देश्य से कोई सीरियल नहीं चलाया है।”

बता दें कि नेटफ्लिक्स और एमेजॉन जैसे OTT प्लेटफॉर्म को अक्सर हिन्दू विरोधी कॉन्टेंट परोसने के लिए आलोचना के केंद्र में रखा जाता है। हिन्दू संस्कृति का मज़ाक उड़ाना हो, सनातन धर्म का नकारात्मक चित्रण करना हो, आप बस बोलते जाइए और इन दोनों प्लेटफॉर्म पर प्रसारित कई वेब सीरीज में यह सब हुआ है। लीला हो या घोल, पाताल लोक हो या सेक्रेड गेम्स, ये सूची कभी खत्म ही नहीं होती।

परन्तु अब हर कोई चुप्पी नहीं साधने वाला है। जहां कई सीरियल को कम रेटिंग देकर विरोध प्रकट किया जाता है, तो वहीं, रमेश सोलंकी जैसे एक्टिविस्ट वैधानिक रूप से इन प्लेटफॉर्म के विरुद्ध मोर्चा खोलते हैं, जैसे उन्होंने नेटफ्लिक्स के विरुद्ध खोल दिया था।

पिछले 5 वर्षों में विशेष रूप से OTT प्लेटफॉर्म अपने आप में एक विशाल सफलता के रूप में सिद्ध हुए हैं, क्योंकि भारत में सस्ता डेटा भी है और अधिकांश लोगों के पास स्मार्टफोन भी। परन्तु जिस तरह से इन प्लेटफॉर्म ने हिन्दू विरोधी या भारत विरोधी कॉन्टेंट को बढ़ावा दिया है, वो ना केवल निंदनीय है, अपितु दुर्भाग्यपूर्ण भी। यदि इन लोगों ने जल्द ही कोई समाधान नहीं निकाला, तो टिक टॉक की भांति इन प्लेटफॉर्म की लोकप्रियता में ज़बरदस्त गिरावट देखने को मिल सकती है।

 

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