2 साल का सैनिक – The Guardian ने सुनाया 58 वर्ष पुराने युद्ध के लिए एक 60 वर्षीय आर्मी कैप्टन की दास्तान

अंतरराष्ट्रीय मीडिया में से अधिकांश पोर्टल्स कितने वामपंथी और भारत विरोधी है, इस पर कोई विशेष शोध करने की आवश्यकता नहीं है। जब से नरेंद्र मोदी ने भारत की सत्ता संभाली है, तभी से अंतर्राष्ट्रीय मीडिया पीएम मोदी को नीचा दिखाने के नाम पर भारत को अपमानित करने में कोई कसर नहीं छोड़ती हैं। मोदी सरकार ऐसे लोगों को कोई महत्व नहीं देती, लेकिन फेक न्यूज़ का काम बदस्तूर जारी रहता है, परंतु इस बार एक ऐसे ही पोर्टल ने भारत विरोधी प्रोपेगेंडा छापते हुए अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मार ली, जब द गार्जियन ने लॉजिक और कॉमन सेंस को ताक पर यह जताया कि 2 वर्ष का बच्चे भी 1962 का भारत चीन युद्ध लड़ सकते हैं।

जी हाँ, आपने ठीक पढ़ा है । 1962 के युद्ध के दौरान जो सैनिक अभी 2 साल का होगा उसका इस्तेमाल The Guardian ने अपने propaganda के लिए किया और दवा किया कि चीन ने भारतीय जमीन पर कब्जा किया है।  “हमारे खेत छीने गए – भारतीयों ने बताया चीन का वास्तविक इरादा” (‘Our pastures have been taken’: Indians rue China’s Himalayan land grab) नामक गार्जियन के लेख में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी और काँग्रेस पार्टी के फैलाये गए प्रोपेगेंडा को हर तरह से बढ़ावा दिया गया था।

द गार्जियन ने अपनी बात सिद्ध करने के लिए एक Namgyal Durbuk नामक व्यक्ति का सहारा लिया। द गार्जियन के अनुसार यह व्यक्ति लद्दाख की भूमि से भली भांति परिचित हैं। दुरबुक के अनुसार, “भारतीय सरकार झूठ बोल रही है कि चीन ने हमारे ज़मीन पर नहीं कब्जा किया है। हमारे बड़े बड़े खेत पर चीनियों ने कब्जे जमाये हैं। कई स्थानीय लोगों को अपने गायों को बेचना पड़ा है और शहरों की तरफ भागना पड़ रहा है”। इसके अलावा जनाब ने बताया, “गाँववाले चीनी सेना की सक्रियता से भयभीत है। वे इतने नजदीक हैं कि उनकी लाइटें भी दिखती हैं”।

हालांकि, द गार्जियन ने ये नहीं बताया कि दुरबुक महोदय काँग्रेस के कार्यकर्ता भी हैं, क्योंकि उनका उद्देश्य भारतीयों को डराना जो था। द गार्जियन ने तो यहाँ तक लिखा कि दुरबुक के अनुसार भारत 20 वर्षों में पूरा लद्दाख चीन को खो देगा। अब द गार्जियन को कौन बताए कि अगर जवाहरलाल नेहरू जैसे अक्षम प्रधानमंत्री भी अभी सत्ता में होते, तो भी भारत लद्दाख नहीं खोता, क्योंकि हमारी भारतीय सेना घास काटने के लिए वहाँ नहीं गई है। इससे पहले UPA द्वारा सियाचिन को ‘उपहार’ में देने के प्रयास को भारतीय सैनिकों ने अपने अदम्य साहस से रोका था।

परंतु द गार्जियन यहीं पर नहीं रुका, उसने यहाँ तक दावा किया कि केंद्र सरकार अभी भी अंधेरे में है, जिसके लिए उन्होंने एक कथित आर्मी अफसर Tashi Chhepal का बयान का भी इस्तेमाल भी किया। ताशी के अनुसार, “उस समय कोई सड़कें नहीं थी, और हमें तीन हफ्तों तक चुँगता पहुँचने के लिए प्रतापपुर नुबरा से ट्रेक करना पड़ता था। रास्ते में हम गलवान घाटी में आराम करते थे”।

परंतु छेपाल महोदय के बारे में भी द गार्जियन ने सच्चाई छुपाई। रिपोर्ट के अनुसार ताशी छेपाल 60 वर्ष के हैं, और इस हिसाब से जब 1962 का युद्ध हुआ था, तब वे मात्र 2 वर्ष के थे। इस हिसाब से तो ताशी छेपाल विश्व के सबसे युवा सैनिक ठहरे, नहीं? क्या द गार्जियन ने भारतीयों को इतना बेवकूफ़ समझा है? जैसे ही इस बात की भनक सोशल मीडिया को लगी, तो उसपर लाखों भारतीय यूजर ने द गार्जियन की जमकर आलोचना की, और फलस्वरूप द गार्जियन को वो लेख डिलीट करना पड़ा था।

सच कहें तो द गार्जियन का फ़ैक्ट से दूर दूर तक कोई नाता नहीं है। बिना किसी ठोस प्रमाण के लेख में ऐसे दावे किए गए हैं जिसे सुनकर बच्चे तक हंस पड़ें। द गार्जियन ने तो इस लेख में यहाँ तक दावा किया है कि पीएलए ने पंगोंग त्सो झील के पास एक हेलीपैड बनाया था, और प्रमाण के नाम पर वे बगलें झाँकते फिर रहे हैं।

ऐसे में हैरानी की बात नहीं होगी अगर जांच पड़ताल में ये सामने आए कि यह लेख चीनी कम्युनिस्ट पार्टी या काँग्रेस पार्टी में से किसी एक ने विशेष रूप से स्पॉन्सर किया हो।

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