जैसे-जैसे पाकिस्तान एक पूर्णतया इस्लामिक मुल्क बनने की ओर अग्रसर है, गैर-मुसलमानों पर उसके अत्याचार दिन-प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं। पाकिस्तान समर्थित आतंकी गुट अफगानिस्तान में भी गैर-इस्लामिक नागरिकों पर अत्याचार ढा रहे हैं। ऐसे में भारत ने अब हिंदुओं और सिक्खों की रक्षा हेतु कड़े कदम उठाने को तैयार है, और सूत्रों के अनुसार 700 अफगान हिंदुओं और सिक्खों को वह स्वतन्त्रता दिवस से पहले भारत वापिस लाने का मार्ग भी प्रशस्त कर सकता है।
आदित्य राज कौल के रिपोर्ट के अनुसार भारत सरकार ने 700 हिंदुओं और सिक्खों को भारत में आश्रय देने की मांग को स्वीकार किया है, क्योंकि अफगानिस्तान में दिन प्रतिदिन गैर-मुसलमानों पर हमले बढ़ते ही जा रहे हैं। एक उच्च अधिकारी ने आदित्य कौल से बातचीत में बताया, “गृह मंत्रालय ने हाल ही में अफ़गान सिख और हिंदुओं को भारत में आश्रय देने की मांग को स्वीकार किया है। प्रारम्भ में 700 ऐसे नागरिकों को चिन्हित किया गया है, और उन्हें संभवत 15 अगस्त से पहले सकुशल भारत ले भी आया जाएगा”।
परंतु भारत को ये कदम उठाने को विवश क्यों होना पड़ा है? इसके पीछे दो प्रमुख कारण हो सकते हैं – एक तो काबुल में हर राय साहिब गुरुद्वारे पर घातक हमला, और दूसरा एक अफगान सिख का आतंकियों द्वारा अगवा किया जाना। बता दें कि इसी वर्ष काबुल में गुर हरराय साहिब गुरुद्वारा में आतंकियों ने आत्मघाती हमला किया था, जिसमें 25 निर्दोष सिख को दर्दनाक मृत्यु प्राप्त हुई थी।
परंतु बात यहीं पर नहीं रुकी थी। इसके कुछ ही दिनों बाद पाकिस्तान के आईएसआई की सहायता से तालिबानी समर्थक आतंकियों ने 17 जून को अफ़गान सिख निदार सिंह सचदेव को अगवा कर लिया था। निदार सिंह को गुरुद्वारा जाते समय अगवा कर लिया था, और फिर उन्हें हक्कानी नेटवर्क को सौंप दिया गया था। जब निदान सिंह की पत्नी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सहायता मांगी, तो उन्होंने तुरंत एक्शन लेते हुए अफ़गान सरकार से बातचीत की। तद्पश्चात अफगान एनडीएस के नेतृत्व में 18 जुलाई को निदार सिंह को आतंकियों के चंगुल से मुक्त कराया गया था।
ऐसे में इन घटनाओं से केंद्र सरकार द्वारा पारित सीएए के उद्देश्य को और अधिक बल मिलता है। सीएए को इसीलिए पारित कराया गया ताकि धर्म के नाम पर अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश में प्रताड़ित किए जा रहे लोगों को भारत में आसरा मिल सके। जिस तरह से इन लोगों को 15 अगस्त से पहले लाये जाने का प्रबंध किया जा रहा है, उससे स्पष्ट सिद्ध होता है कि पीएम मोदी इस अभियान को कितनी गंभीरता से ले रहे हैं।
सच कहें तो पीएम मोदी जिस तरह से इस विशाल अभियान का खाका बुन रहे हैं, वह अति आवश्यक भी है, क्योंकि ये पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में पनप रहे आतंकियों पर भी लगाम लगाने में सहायता करेगा। इन देशों में अल्पसंख्यकों का अधिकार अक्सर गंभीर विषय नहीं माना जाता है। इस कदम से उन वामपंथी एक्टिविस्ट्स पर भी लगाम लगेगी जो बिना इस अधिनियम को जाने भारत में हिंसा और आगजनी को बढ़ावा देने चले थे, और आज भी वही करना चाहते हैं। सच कहें तो 700 अफ़गान हिंदुओं और सिक्खों को वापस लाकर भारत अपने सीएए अधिनियम को और अधिक मजबूत बना रहा है।