दुनियाभर में आतंक मचाने वाले चीन के घोड़ों पर जल्द ही लगाम लगने वाली है। दरअसल, पिछले कुछ समय से पूरे indo-pacific क्षेत्र में किसी देश ने कोहराम मचा कर रखा हुआ है, तो उसका नाम है चीन! हिन्द महासागर से लेकर, दक्षिण चीन सागर तक, हर जगह चीन की वायुसेना और नौसेना ने घुसपैठ करना अपना जन्मसिद्ध अधिकार मान लिया है। कभी उसके फाइटर जेट्स ताइवान के ऊपर उड़ान भरते हैं, तो कभी उसकी नेवी के जहाज़ भारत के Exclusive Economic Zone में घुसपैठ करते हैं। हालांकि, चीन पर नकेल कसने के लिए अब दुनिया के चार ताकतवर देश साथ आ गए हैं। वो देश हैं भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया और UK! दरअसल, अब जापान ने यह ऐलान किया है कि वह इन तीन देशों के साथ चीन से जुड़ी खूफिया सूचना साझा करेगा जिससे इस पूरे क्षेत्र में चीन की हर एक चाल पर नज़र रखना इन चारों देशों के लिए आसान हो जाएगा।
बता दें कि भारत, ऑस्ट्रेलिया और UK से खूफिया सूचना साझा करने को लेकर जापान ने अपने कानून में बदलाव किया है। वर्ष 2014 में बने इस कानून के तहत पहले जापान सिर्फ अमेरिका के साथ ही खूफिया सूचना साझा कर सकता था, लेकिन अब इस सूची में जापान ने अपने कई “करीबी साझेदार” देशों को भी जोड़ लिया है। जापान भूगौलीक तौर पर चीन के बेहद करीब पड़ता है, और ऐसे में जापान के लिए चीनी मूवमेंट पर नज़र रखना आसान हो जाता है। भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया और UK के साथ आने से ना सिर्फ indo-pacific में चीन की हर चाल को ट्रैक किया जाएगा, बल्कि चीन के अंदर चीनी सेना की मूवमेंट पर भी नज़र रखी जाएगी। इस प्रकार चीन अगर किसी युद्ध या सैन्य कार्रवाई की तैयारी करेगा तो इन देशों को पहले ही इसके बारे में पता चल जाएगा।
इस कदम की टाइमिंग सबसे महत्वपूर्ण है। एक तरफ जहां चीन लद्दाख में बड़े पैमाने पर अपनी सेना को तैनात कर रहा है, तो वहीं चीन जापान के सेनकाकु द्वीपों पर भी अपना झूठा दावा ठोक रहा है। जापान ने सेनकाकु द्वीपों की सुरक्षा के लिए अपनी सेना की तैनाती को बढ़ा दिया है। भारत के लिए ऐसे किसी ग्रुप में शामिल होना इसलिए सबसे महत्वपूर्ण है, क्योंकि चीन लगातार भारत को घेरने के लिए काम कर रहा है। चीन एक तरफ हिन्द महासागर के जिबूती स्थित अपने military base को आधुनिक करने में लगा है, तो वहीं ऐसी भी खबरे हैं कि चीन पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट का सैन्यकरण कर सकता है। इसके साथ ही चीन बांग्लादेश के कॉक्स बाज़ार में भी एक सैन्य ठिकाना विकसित करने की फिराक में है।
चीन ने अपनी आक्रामक नीति के कारण अभी दुनिया के सभी बड़े देशों को अपना दुश्मन बना लिया है। लद्दाख मुद्दे पर चीन भारत के खिलाफ, सेनकाकु मुद्दे पर चीन जापान के खिलाफ, दक्षिण चीन सागर के मुद्दे पर चीन अमेरिका के खिलाफ, Hong-Kong के मुद्दे पर चीन UK के खिलाफ और आर्थिक प्रतिबंधों के कारण चीन ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मैदान में उतरा हुआ है। अगर ये सभी देश मिलकर चीन को सबक सिखाने की ठान ले, तो चीन का क्या हश्र होगा, इसकी कल्पना ही की जा सकती है। अब चीज़ें इसी दिशा में बढ़ती दिखाई दे रही हैं। दुनिया चीन की आक्रामकता के खिलाफ जाग रही है और यही चीन की बर्बादी का सबसे बड़ा कारण बनेगा।