“एक प्रधानमंत्री और एक खूबसूरत राजदूत”, आखिर KP ओली ने इस चीनी राजदूत को खुली छूट क्यों दे रखी है?

ये रिश्ता क्या कहलाता है?

Hou Yanqi

Hou Yanqi, ये हैं नेपाल में तैनात चीन की राजदूत! इनका पद राजदूत का है, लेकिन इनकी हरकतें ऐसी हैं मानो ये नेपाल में चीन की undercover एजेंट हों। नेपाल में चीनी राजदूत के ऑफिस तक ही नहीं, इनकी पहुंच नेपाल के PMO से लेकर नेपाल के हर मंत्रालय तक है। और तो और, नेपाली सेना के साथ भी इनकी बैठक खबरों में रहती है। वर्ष 2018 में ये नेपाल में चीन की राजदूत बनी थीं, और उन्होंने आते ही ऐसी जादू की छड़ी घुमाई कि नेपाल और चीन के रिश्ते मजबूत होते गए। मानना पड़ेगा, जो काम चीन के अन्य राजदूत नहीं कर पाये, वो काम आते ही चीन की इस खूबसूरत महिला राजनयिक ने कर दिखाया!

Hou Yanqi ने 2018 के बाद से ही दो बातों पर खास ध्यान दिया! एक तरफ उन्होंने चीन–नेपाल सम्बन्धों को मजबूत करने का बीड़ा उठाया, तो इसके साथ ही उन्होंने भारत-नेपाल सम्बन्धों में फूट डालने का प्लान बनाया। या यूं कहें कि भारत और नेपाल के बीच चल रहे विवाद में अगर किसी को सबसे बड़ा कारण माना जा रहा है तो वो 50 वर्षीय चीनी राजदूत Hou Yanqi ही हैं।

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Hou Yanqi दिखने में बेहद खूबसूरत और सहज नजर आती हैं जो कभी नेपाल के किसी कार्यक्रम में नृत्य करते नजर आती हैं, तो कभी नेपाल के सरकारी कामकाज में हस्तक्षेप करते नजर आती हैं, और कभी कभी तो नेपाल के लोगों की समस्या पूछने के नाम पर सबसे बातचीत करती नजर आती हैं।

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हद तो तब हो जाती है जब नेपाल में कोरोना को लेकर चल रही तैयारी को लेकर सीधे नेपाल के आर्मी चीफ से मिलती हैं। आप बस कहते जाइये Hou Yanqi हर वो काम करते नजर आएँगी जो एक कूटनीतिक मर्यादा के खिलाफ होगा।

सबसे पहले वो चर्चा में तब आयीं थीं जब मई की शुरुआत में नेपाल के प्रधानमंत्री केपी ओली शर्मा की पार्टी में तनाव अपने चरम पर था और कुर्सी हाथ से जाने वाली थी, परन्तु केपी ओली शर्मा ने उन्हें खुली छूट दी, सभी नेताओं से मिलने की और उनकी कुर्सी बचाने की। वो इसमें सफल भी हुईं और अक्सर केपी ओली शर्मा अपने देश से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दे पर उनसे चर्चा करते भी नजर आये।

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और तो और, माना जाता है कि Hou Yanqi के साथ “गुप्त बैठक” करने के बाद ही ओली ने भारत के साथ बॉर्डर विवाद बढ़ाया था और भारत के कालापानी, लिंपियाधुरा और लीपुलेख पर अपना दावा ठोका था। Hou Yanqi सिर्फ PMO के साथ ही नहीं, बल्कि नेपाल के अन्य मंत्रालयों के साथ भी बेहद “करीबी सहयोग” बनाकर रखती हैं। कुछ मामलों में तो उन्होंने कोरोना की स्थिति को “काबू” करने के नाम पर नेपाली मंत्रालयों के काम में हस्तक्षेप भी किया। इससे समझ में आता है कि नेपाल के 68 वर्षीय प्रधानमंत्री ने किस हद तक इस खूबसूरत चीनी राजदूत को छूट दे रखी है।

एक बार फिर ओली की कुर्सी पर खतरा मंडरा रहा तो तो Hou Yanqi  मैदान में उत्तर गयी हैं। वो फिर से ओली के विरोध में खड़े प्रचंड और कम्युनिस्ट पार्टी के अन्य नेताओं से मुलाकात कर रही हैं और परामर्श दे रही हैं। इन बैठकों का एक ही एजेंडा है कि कुछ भी हो जाये पार्टी न टूटे और सरकार कम्युनिस्ट पार्टी की ही बने जिससे भारत को भी एक कड़ा सन्देश भेजा जा सके।

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Hou Yanqi नेपाल से पहले पाकिस्तान में भी चीनी राजदूत के तौर पर काम कर चुकी हैं। स्पष्ट है कि चीनी सरकार द्वारा नेपाल में इन्हें किसी खास मिशन के तहत ही भेजा गया होगा, जिसे पूरा करने में वे सफल साबित हो रही हैं।

Hou Yanqi हर कठिनाई में ओली की मदद के लिए तैयार रहती हैं और नेपाल में अपनी पकड़ मजबूत कर चीन के एजेंडे को भी साध रही हैं। परन्तु ताज्जुब इस बात का है कि कोई भी नेता इस चीनी राजदूत के हस्तक्षेप पर कोई सवाल नहीं उठा रहा और स्पष्ट है इसमें भी ओली का ही कहीं न कहीं हाथ होगा।

अब भारत समेत कई देशों में भी इस चीनी राजदूत की भूमिका को लेकर सवाल उठने लगे हैं कि आखिर नेपाल के प्रधानमंत्री और चीनी राजदूत का स्ट्रांग कनेक्शन है क्या ? और इस रिश्ते को क्या नाम दिया जाए? कुछ लोग तो एक कदम आगे बढ़कर Yanqi पर ओली को हनी ट्रैप में फँसाने का भी आरोप लगा रहे हैं। हाल ही में मेजर गौरव आर्य ने ट्वीट करते हुए लिखा था “नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली काठमांडू में चीनी दूतावास के हनी ट्रैप में फंसे हुए हैं। चीन के पास उनका एक वीडियो भी है। ओली चीनी राजदूत के नियंत्रण में हैं”।

सिर्फ मेजर गौरव आर्य ही नहीं, बल्कि कई ऐसे लोग हैं जो ओली और Hou Yanqi  के बीच के कनेक्शन पर सवाल उठा रहे हैं

 

अब कोई बाहरी नेपाल की राजनीति में खुलेआम हस्तक्षेप करेगा और यहाँ तक कि आंतरिक मामलों पर अपनी राय तक रखेगा तो कुछ तो लोग कहेंगे ही न!

हालांकि,  इसमें कोई शक नहीं है कि ये सब चीन की साजिश का ही हिस्सा है जो  Hou Yanqi के सहारे अंजाम तक पहुंचा रहा है और नेपाल में अपनी पकड़ को मजबूत कर रहा है। परन्तु दुःख इस बात का है कि नेपाल के प्रधानमंत्री भी इसमें पूरा सहयोग कर रहे हैं।

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