भारत का सालों का इंतज़ार जल्द ही खत्म होने वाला है। 24 घंटों के अंदर-अंदर भारत को वैश्विक स्तर के अति-आधुनिक फाइटर जेट्स राफेल विमान मिलने वाले हैं। भारतीय वायुसेना में राफेल शामिल होने के बाद लद्दाख और कश्मीर में भारत को पाकिस्तान और चीन के खिलाफ युद्ध के मैदान में महारत हासिल हो जाएगी। अभी चीन के पास सबसे आधुनिक फाइटर जेट उसका चेंगड़ू जे-20 विमान है। वैसे तो यह विमान चीन द्वारा ही निर्मित है, लेकिन माना जाता है कि यह अमेरिका के एफ़22 फाइटर जेट्स की हू-ब-हू कॉपी है। हालांकि, इसमें अमेरिका के एफ़22 जैसी कोई खास बात नहीं है। फ्रांस के Rafale के मुक़ाबले में तो चीन के ये आधुनिक जेट्स कहीं नहीं ठहरते हैं। ऐसे में भारत-चीन विवाद के बीच राफेल का भारतीय वायुसेना में शामिल होना चीन के लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं है।
अपने अन्य हथियारों की तरह ही चीन अपने फाइटर जेट्स को भी काफी overrate करता है। उदाहरण के लिए चीन दावा करता है कि उसका J-20 विमान पाँचवी पीढ़ी का विमान है, लेकिन विशेषज्ञों के मुताबिक इसमें तीसरी पीढ़ी के सुखोई का इंजन लगा है। राफेल विमान को चौथी पीढ़ी का फाइटर जेट माना जाता है। ऐसे में चीन का चेंगड़ू J-20 Rafale के सामने कहीं नहीं ठहरता।
राफेल न सिर्फ एक तेज एवं स्विफ्ट फाइटर जेट है, बल्कि इसमें लगी घातक missiles इस विमान को और ज़्यादा खतरनाक बना देती हैं। राफेल में तीन तरह की मिसाइलें लगेंगी। हवा से हवा में मार करने वाली मीटियोर मिसाइल, हवा से जमीन में मार करने वाल स्कैल्प मिसाइल और तीसरी होगी हैमर मिसाइल। इन मिसाइलों से लैस होने के बाद Rafale काल बनकर दुश्मनों पर टूट पड़ेगा। पाकिस्तान की एफ-16 में सिर्फ एमराम मिसाइलें लगी होती हैं, जो सिर्फ 100 किलोमीटर तक मार कर सकती हैं। इसी प्रकार चीन के जे-20 जेट में 300 किमी तक मार करने वाली पीएल-15 मिसाइलें और 400 किलोमीटर तक मार करने वाली पीएल-21 मिसाइल लगी हैं।
आज तक की एक रिपोर्ट के मुताबिक राफेल सुपीरियर कॉम्बैट में चेंगड़ू J-20 से बेहतरीन है। ऐसा इसलिए क्योंकि Rafale का आकार उसे आसमान में क्लोज कॉम्बैट में मदद करता है। जबकि, चेंगड़ू J-20 का शेप और साइज इसे क्लोज कॉम्बैट में थोड़ा मुश्किल पैदा करता है। राफेल अपनी इस खूबी की वजह से थोड़े से स्पेस में भी land कर सकता है, जैसे कि एक aircraft carrier पर!
आज तक की इसी रिपोर्ट के मुताबिक राफेल के इंजन भी चेंगड़ू के इंजन से कहीं बेहतर हैं। Rafale में दो Snecma M88 इंजन है, जो 50 किलोन्यूटन थ्रस्ट पैदा करते हैं। चेंगडू जे-20 में शेनयांग WS-10बी इंजन लगा है, जो 145 किलोन्यूटन थ्रस्ट पैदा करते हैं। लेकिन राफेल के इंजन का थ्रस्ट उसे मैन्यूवरिंग करने में आसानी देता है, क्योंकि इंजन के पावर को नियंत्रण करना सहज होता है। Experts के मुताबिक चीन अपने इन जेट्स में रूस के सुखोई 35 के इंजन को इस्तेमाल करता है। हालांकि, सुखोई 35 के इंजन भी राफेल के सामने नहीं ठहरते।
एयर मार्शल (रिटायर्ड) आर नाम्बियार के मुताबिक “अपने आधुनिक हथियारों, बेहतर sensors और fully integrated architecture के कारण राफेल रूस के Su35 से कई गुना बेहतर है। Rafale के छिपने के गुण, super cruise विशेषताएँ राफेल को su35 से लाख गुना खतरनाक बना देते हैं”।
अंबाला में land होने के एक हफ्ते के अंदर-अंदर राफेल विमानों को तैनाती के लिए तैयार किया जा सकेगा। भारत के पायलट्स पहले ही इन विमानों का उड़ाने की ट्रेनिंग ले चुके हैं, जो कि इन्हें उड़ाकर भारत ला भी रहे हैं। पाकिस्तान और चीन के लिए वह दिन किसी बुरे सपने से कम नहीं होगा जब इन विमानों को भारतीय वायुसेना में शामिल कर इन्हें उपयुक्त सैन्य अड्डों पर तैनात किया जाएगा। यकीनन राफेल के आगमन के बाद एशिया में भारतीय वायुसेना सबसे खतरनाक और अभेद्य वायुसेना के रूप में बनकर उभरेगी।