पूरे दक्षिण चीन सागर पर अपने दावे ठोकने वाले चीन का जोश अब शांत पड़ता दिखाई दे रहा है। प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर दक्षिण चीन सागर में चीन किसी अन्य देश द्वारा navigation का विरोध करता रहा है। हाल ही में जब अमेरिका के दो युद्धपोत दक्षिण चीन सागर में तैनात किए गए थे, तो चीनी मीडिया ने अमेरिका को सीधे तौर पर धमकी जारी कर दी थी। ग्लोबल टाइम्स के ट्विटर पर लिखा गया कि “चीन के पास एंटी एयरक्राफ्ट हथियार, जैसे कि DF-21D और DF-26, एयरक्राफ्ट करियर किलर मिसाइल हैं। दक्षिणी चीन सागर पूरी तरह से पीएलए (PLA) के नियंत्रण में है”। हालांकि, ग्लोबल टाइम्स की इस धमकी के महज़ एक हफ्ते के बाद चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने दक्षिण चीन सागर को चीन और ASEAN का “common home” यानि “अपना घर” बताया है। दक्षिण चीन सागर पर अपना एकाधिकार जताने वाले चीन की ओर से ऐसा बयान आना हैरानी भरा है।
दरअसल, अपनी wolf warrior कूटनीति के तहत चीन ने ASEAN देशों में अपने पड़ोसियों को डराकर-धमकाकर उन्हें अपने दावों को मानने के लिए बाध्य करने की भरपूर कोशिश की। ASEAN के ये छोटे देश आर्थिक और सैन्य पैमानों पर चीन के सामने कहीं नहीं ठहरते। हालांकि, चीन की आक्रामक गतिविधियों के कारण दक्षिण चीन सागर में अमेरिका और भारत की सक्रियता बढ़ी है। अमेरिका और भारत, दोनों हाल ही में दक्षिण चीन सागर में चीन के दावों को खारिज कर चुके हैं।
13 जुलाई को अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने अपने एक बयान में कहा था, “अमेरिका मुक्त और खुले हिन्द-प्रशांत का पक्षधर है। आज हम उस क्षेत्र, दक्षिण चीन सागर के महत्वपूर्ण, विवादास्पद हिस्से में अमेरिका की नीति को मजबूत कर रहे हैं। हम स्पष्ट करते है कि दक्षिण चीन सागर के अधिकांश क्षेत्रों के खुले समुद्र के संसाधनों पर चीन का दावा पूरी तरह से गैरकानूनी हैं। उसका क्षेत्र पर धमका कर नियंत्रण करने का अभियान है।”
इसी प्रकार हाल ही में भारत के विदेश मंत्रालय ने भी साउथ चाइना सी को लेकर एक बड़ा बयान दिया था। 16 जुलाई को चीन को बड़ा संदेश देते हुए भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा था “हमारी स्थिति शुरू से ही बड़ी साफ रही है। हम साउथ चाइना सी में सभी के navigation के अधिकारों का सम्मान करते हैं। UNCLOS और अन्य अंतर्राष्ट्रीय नियमों के तहत दक्षिण चीन सागर अंतर्राष्ट्रीय समुद्र का ही हिस्सा है”। इस प्रकार भारत ने चीन के दावों को सिरे से नकार दिया था जहां चीन पूरे साउथ चाइना सी को अपना बताता है।
भारत और अमेरिका द्वारा चीन के दावों की धज्जियां उड़ाए जाने से चीन को भारी झटका लगा है। यही कारण है कि चीन अब ASEAN देशों को लुभाने की योजना पर काम करना शुरू कर चुका है। South China Morning Post के मुताबिक चीन पिछले कुछ समय से वियतनाम, कंबोडिया और फिलीपींस जैसे पड़ोसियों के साथ द्विपक्षीय रिश्तों को बहाल करना चाहता है, क्योंकि उसे अमेरिका के बढ़ते प्रभाव का डर सताने लगा है।
21 जुलाई को ही चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने वियतनाम के विदेश मंत्री के साथ बातचीत कर रिश्तों को संभालने की कोशिश की थी। वियतनाम पिछले काफी समय से चीन के खिलाफ सख्त रुख अपनाए हुए है। वियतनाम इस साल ASEAN का अध्यक्ष बना है, और इसकी वजह से ASEAN खुलकर चीन के विरोध में बयान दे रहा है। पिछले महीने ASEAN देशों के शिखर सम्मेलन का आयोजन हुआ था और ASEAN देशों ने अपने संयुक्त बयान में चीन को आड़े हाथों लिया था। ASEAN के संयुक्त बयान के मुताबिक “हम दोहराते हैं कि 1982 में हुई संयुक्त राष्ट्र समुद्री क़ानून संधि समुद्री अधिकार, संप्रभुता, अधिकार क्षेत्र और वैधता निर्धारित करने के लिए आधार है।” आसान भाषा में कहें तो ASEAN देशों ने साउथ चाइना सी में चीन के दावों को अस्वीकार कर दिया था। अब चीन चाहता है कि वियतनाम के साथ रिश्तों को ठीक करके ASEAN के चीन विरोधी रुख में कोई नर्मी लायी जा सके। इसी मुलाक़ात के दौरान चीनी विदेश मंत्री ने दक्षिण चीन सागर को “common home” कहा था।
साउथ चाइना सी की सच्चाई यह है कि इसपर किसी एक देश का कोई अधिकार नहीं है और सभी को इस क्षेत्र में खुलकर navigation करने की पूरी छूट है। चीन द्वारा सभी दावे ना सिर्फ एकतरफा हैं बल्कि दमनकारी भी। यह चीन के भले में होगा कि वह जल्द से जल्द सच्चाई को स्वीकार कर ले।