अफजल गुरु, याक़ूब मेमन जैसे आतंकियों के लिए हमदर्दी दिखाने वाले, और सीएए के विरोध के नाम पर दंगाइयों का समर्थन करने वाले अधिवक्ता प्रशांत भूषण एक बार फिर सुर्खियों में है, और इस बार भी गलत कारणों से। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में जनाब के भड़काऊ ट्वीट्स पर संज्ञान लेते हुए क्रिमिनल कंटेम्प्ट यानि आपराधिक रूप से अवमानना का मुकदमा चलाने को मंजूरी दी है। इस मामले की अगली सुनवाई 5 अगस्त को होगी।
जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस कृष्ण मुरारी प्रशांत भूषण एवं ट्विटर इंडिया के विरुद्ध एक मामला सुन रहे थे, जिसमें प्रशांत भूषण ने मुख्य न्यायाधीश एसए बोबड़े के नागपुर में बाइक चलाने पर आपत्तीजनक टिप्पणी की थी।
https://twitter.com/pbhushan1/status/1277483749739917318
जस्टिस मिश्रा ने इस विषय पर प्रशांत के भड़काऊ ट्वीट पर आपत्ति जताते हुए कहा कि यह ट्वीट अवमानना के दायरे में आता है और टाइम्स ऑफ इंडिया को भी ट्वीट का प्रचार करने के लिए कठघरे में खड़ा किया। परंतु बात यहीं पर नहीं रुकी। जस्टिस मिश्रा ने 27 जून को प्रशांत भूषण के उस ट्वीट को भी संज्ञान में लिया, जिसमें उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की प्रतिबद्धता पर सवाल उठाते हुए लिखा, “जब इतिहासकार देखेंगे कि पिछले छह वर्षों में कैसे भारत में लोकतन्त्र की हत्या की गई है, तो वे सुप्रीम कोर्ट की अहम भूमिका पर भी सवाल उठाएंगे, विशेषकर पिछले चार मुख्य न्यायाधीशों की भूमिका पर”।
https://twitter.com/pbhushan1/status/1276710603214610432
यहाँ इस ट्वीट में पिछले 4 मुख्य न्यायाधीशों में जस्टिस तीरथ सिंह ठाकुर, जस्टिस जगदीश सिंह खहर, जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस रंजन गोगोई की बात हो रही है। इससे पहले भी इस मामले में अधिवक्ता महक माहेश्वरी ने प्रशांत भूषण के इन भड़काऊ बयानों के विरुद्ध अपील दायर की थी, जिसमें उन्होंने कहा कि ये व्यक्ति [प्रशांत] काफी गंभीर आरोप लगा रहे हैं, जिससे मुख्य न्यायाधीश की छवि तार-तार हो रही है। “न्यायाधीश अपने सभी सुख चैन किनारे रख लोगों की भलाई के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से मुकदमे देख रहे हैं, और एक ओर ऐसे लोग इतने अमानवीय बयान निकाल रहे हैं”।
[LIVE UPDATES: #SUOMOTU #contemptofcourt CASE HEARING AGAINST @pbhushan1 & @TwitterIndia
A three-judge bench of the Supreme Court headed by Justice Arun Mishra to shortly hear it's Suo Motu contempt case against Advocate Prashant Bhushan and Twitter India#SupremeCourt pic.twitter.com/fiRnRq2zZL
— Bar and Bench (@barandbench) July 22, 2020
इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने ट्विटर इंडिया पर भी नकेल कसने की तैयारियां शुरू कर दी है। आईएएनएस की रिपोर्ट के अनुसार, “पीठ ने ट्विटर से सवाल किया कि अवमानना की कार्रवाई शुरू होने के बाद भी वह खुद ट्वीट को डिलीट क्यों नहीं कर सकता”। ट्विटर के वकील ने जवाब दिया कि वह इस मामले को समझते हैं और अपने मुवक्किल को अदालत की इच्छा से अवगत कराएंगे। उन्होंने आगे जोर देकर कहा कि ट्विटर अदालत के निर्देश के बिना ट्वीट नहीं डिलीट कर सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए ट्विटर पर शीर्ष अदालत के खिलाफ कथित रूप से अपमानजनक टिप्पणी करने के लिए भूषण के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू की है। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने ट्विटर इंडिया को ये भी फटकार लगाई कि क्या वो इतना अक्षम है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बिना ऐसे लोगों के विरुद्ध कार्रवाई नहीं कर सकता?
देर आए पर दुरुस्त आए। जिस प्रशांत भूषण के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट को बहुत पहले एक्शन लेना चाहिए था, अब उनके विरुद्ध एक्शन लेकर सुप्रीम कोर्ट ने ये संकेत दिया है कि वे किसी भी स्थिति में न्यायालय की प्रतिबद्धता पर कोई लांछन स्वीकार नहीं करेंगे। प्रशांत भूषण ऐसे अधिवक्ता है जिन्होंने अभिव्यक्ति की आज़ादी का दुरुपयोग करते हुए कई बार भारत विरोधी तत्वों को बढ़ावा दिया है।
प्रशांत भूषण ने तो कश्मीर और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में रेफेरेंडम तक की मांग करने की हिमाकत की है। लेकिन इस बार सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण के विरुद्ध आपराधिक अवमानना का मुकदमा चलाने की बात करके बता दिया है कि अब वामपंथियों की दादागिरी और नहीं चलेगी, और सुप्रीम कोर्ट पर तो बिलकुल भी नहीं।