मई महीने की शुरुआत से ही भारतीय सैनिक और CCP के लड़ाके बॉर्डर पर एक दूसरे के आमने-सामने खड़े हैं। जून महीने में तो दोनों पक्षों के बीच हिंसक झड़प भी देखने को मिल चुकी है, जिसमें दोनों ओर जवानों को अपनी जान गंवानी पड़ी। हालांकि, भारत के साथ इस हद तक तनाव के बाद भी चीन कभी भारत के विरुद्ध सैन्य कार्रवाई करने की सोच नहीं सकता। इसके सैन्य कारण तो हैं ही, इसके साथ ही इसके आर्थिक कारण भी हैं। भारत पहले ही 59 चीनी एप्स को बैन कर चीन को कड़ा संदेश भेज चुका है, लेकिन अगर असल में बॉर्डर पर भारत-चीन के बीच युद्ध छिड़ जाता है, तो भारत इससे एक कदम आगे बढ़कर भारत में चीन के 100 प्रतिशत निवेश को अपने कब्जे में ले सकता है। चीन इस प्रकार कुछ ही दिनों में अपनी अरबों की संपत्ति खो देगा।
बता दें कि इसमें सबसे अहम भूमिका भारत के शत्रु संपत्ति अधिनियम 1968 की होगी। यही कानून भारत सरकार को देश में किसी भी शत्रु देश की संपत्ति को जब्त कर उसे बेचने की शक्ति प्रदान करता है। इस कानून से अगर किसी देश को सबसे ज़्यादा खतरा महसूस होता है, तो वह है चीन! चीन को डर है कि कहीं भारत-चीन के बीच बड़े पैमाने पर युद्ध छिड़ गया, तो भारत सरकार देखते ही देखते भारत में मौजूद चीनी कंपनियों की संपत्ति को ज़ब्त कर लेगी।
भारत सरकार ने आखिरी बार इस कानून में बदलाव वर्ष 2018 में किया था, और इसका मकसद भारत छोड़कर पाकिस्तान गए लोगों की 9400 शत्रु सम्पत्तियों को कब्जे में लेना था। भारत सरकार ने इसके बाद इन सम्पत्तियों को अपने कब्जे में ले लिया था, और उन्हें बेचने की प्रक्रिया शुरू कर दी थी। 1968 में इस अधिनियम के पारित होने के बाद भारत सरकार कई बार इस कानून का इस्तेमाल कर शत्रु संपत्ति पर कब्जा कर चुकी है। उदाहरण के लिए वर्ष 1962 के भारत-चीन युद्ध, वर्ष 1965 और वर्ष 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान तत्कालीन केंद्र सरकार इस कानून के तहत इन देशों के नागरिकों की संपत्ति ज़ब्त कर चुकी है।
हालांकि, देश में मोदी सरकार आने के बाद भारत में जिस प्रकार चीनी निवेश बड़ी तेजी से बढ़ा है, उसके बाद चीन को भारत में अपनी संपत्ति खोने का डर सताने लगा है। इसका अंदाज़ा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि जब वर्ष 2018 में भारत सरकार ने इस कानून में बदलाव किया था, तो चीनी मीडिया में इसपर चिंता जताई गयी थी। Global times ने वर्ष 2018 में एक लेख लिखते हुए कहा था “अब अगर भारत-चीन के बीच कोई युद्ध हुआ, तो भारत सरकार चीनी कंपनियों की संपत्ति को बड़ी आसानी से ज़ब्त कर पाएगी”।
शत्रु संपत्ति अधिनियम 1968 की सबसे रोचक बात यह है कि अगर सरकार किसी शत्रु की संपत्ति को ज़ब्त कर लेती है, तो उसके पास किसी न्यायालय में जाने का भी विकल्प नहीं बचता है। वर्ष 2014 के बाद से देश में Xiaomi, Vivo, Lenovo जैसी चीनी कंपनियों का निवेश कई गुना बढ़ा है और इन कंपनियों की देश में बड़ी-बड़ी production facilities हैं। Indian Express के मुताबिक वर्ष 2014 से लेकर वर्ष 2018 तक चीन ने भारत में 8 बिलियन डॉलर से अधिका का निवेश किया है। अगर चीन भारत पर कोई युद्ध थोपता है, तो इसका सबसे पहला परिणाम यही होगा कि चीन एक झटके में अपने 8 बिलियन डॉलर खो देगा। लद्दाख में भारतीय सेना के हाथों उसके लड़ाकों को जो पटखनी मिलेगी, वो अलग! यही एक बड़ा कारण है कि चीन सपने में भी भारत पर हमला करने की नहीं सोच सकता!