तेजस एक्स्प्रेस की सफलता के बाद अब भारतीय रेलवे ने रेलवे के निजीकरण की ओर एक अहम कदम बढ़ाते हुए 151 ट्रेनों के संचालन को निजी हाथों में सौंपने का निर्णय लिया है। भारत को एक आकर्षक बिजनेस हब बनाने हेतु इस अहम अभियान में भारतीय रेलवे को काफी समर्थन प्राप्त हुआ है, क्योंकि टाटा हो या अडानी, सभी बड़ी निजी कम्पनी भारतीय रेलवे के इस अहम निजीकरण अभियान का हिस्सा बनना चाहती हैं।
लाइव्मिंट की रिपोर्ट के अनुसार, टाटा, अडानी, ह्युंडाई, सीमेंस इत्यादि जैसी निजी कंपनियाँ भारतीय रेलवे की प्राइवेट रेलगाड़ियों को संचालित करने के लिए इच्छुक हैं, और इसके लिए वे हर परीक्षा से गुजरने को भी तैयार हैं। दो दर्जन से अधिक वैश्विक फ़र्म इस अभियान में हिस्सा लेना चाहती हैं, जिनमें प्रमुख है टाटा ग्रुप, अडानी, हिटाची, ह्युंडाई, एलस्टोम ट्रांसपोर्ट इत्यादि। पूरे भारत में ये 150 निजी ट्रेन 100 रूटों पर संचालित होंगी। इतना ही नहीं, उसी रूट पर चल रही सामान्य ट्रेनों से दो कदम आगे रहने हेतु ये निजी ट्रेन 15 मिनट के हेड स्टार्ट सहित चलेंगी। ये अधिकतम 160 किलोमीटर प्रतिघण्टे की रफ्तार से चल सकती हैं।
बीबीसी हिन्दी की रिपोर्ट की मानें तो इसी प्रकार से भारतीय रेलवे ने 109 रूटों पर ट्रेन चलाने के लिए निजी कंपनियों से रिक्वेस्ट फ़ॉर क्वालीफ़िकेशन यानी आरएफ़क्यू आमंत्रित किया है। रेलवे बोर्ड के चेयरमैन का कहना है कि अप्रैल 2023 में निजी रेल सेवाएं शुरू हो जाएंगी। रेलवे की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि इस प्रोजेक्ट के तहत रेलवे में निजी क्षेत्र के तीस हज़ार करोड़ रुपए निवेश होंगे।ये भारत के रेलवे नेटवर्क पर यात्री ट्रेनों के संचालन में निजी क्षेत्र के निवेश का पहला प्रयास है। अपने बयान में रेलवे ने कहा है कि इस प्रोजेक्ट का मक़सद रेलवे में नई तकनीक लाना, मरम्मत ख़र्च कम करना, यात्रा समय कम करना, नौकरियों को बढ़ावा देना, सुरक्षा बढ़ाना और यात्रियों को विश्व स्तरीय सुविधाएं देना है।
दरअसल केंद्र सरकार तेजस एक्स्प्रेस की सफलता से काफी उत्साहित है, और वह इस निजी ट्रेन के मॉडल को देशभर में लागू करना चाहती है। तेजस एक्सप्रेस मॉडल को 2017 में लॉंच किया गया था, और कई चुनौतियों से पार पाते हुए इस रेलवे मॉडल ने पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप की पद्वति पर चलते हुए सफलता के नए कीर्तिमान रचे थे। जो भारतीय रेलवे कभी मज़ाक का विषय हुआ करता था, आज उसी भारतीय रेलवे का नाम हर भारतवासी गर्व से लेता है।
परंतु इसकी शुरुआत 2014 से ही हो गई थी। केंद्र सरकार ने बड़े पैमाने पर नुकसान अर्जित कर रही सरकारी कंपनियों से विनिवेश करना शुरू किया और उनका निजीकरण करने पर ज़ोर दिया। बाद में सरकार Railway में भी इसी दिशा में काम करती दिखाई दी, जहां उसने कम भीड़-भाड़ वाले और ज़्यादातर पर्यटकों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले रेल रूट्स को भारतीय रेलवे की एक सहयोगी कंपनी आईआरसीटीसी के जरिये निजी कंपनियों को सौंपने का विचार किया था।
इसी परिप्रेक्ष्य में रेल विभाग ने अपनी सहयोगी कंपनी आईआरसीटीसी को 2 रेलगाड़ियों का प्रस्ताव दिया। ये रेलगाड़ियां गोल्डन क्वाड्रीलेटरल रूट पर दौड़ेंगी। बता दें कि गोल्डन क्वाड्रीलेटरल रूट देश के चार बड़े शहरों यानि दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और कोलकाता को आपस में जोड़ता है। आईआरसीटीसी इन दो रेलगाड़ियों के बदले Railway को वार्षिक भुगतान करेगी। आईआरसीटीसी बाद में इन रूट्स पर रेलगाड़ी के संचालन के लिए निजी कंपनियों को आमंत्रित करेगी। रेल मंत्री पीयूष गोयल निजीकरण के बड़े समर्थकों में से एक रहे हैं और Railway को लेकर उनकी नीतियों में यह साफ झलक भी रहा है। भारतीय रेलवे बड़े पैमाने पर निजीकरण कर Railway के संचालन का कायाकल्प करने को उद्यत है, और जिस तरह से निजी कंपनियाँ इस अभियान के लिए उत्साहित हैं, हमें पूरी आशा है की ये कार्य जल्द ही सफल भी होगा।