युद्ध दो तरह के होते हैं, एक जो युद्ध क्षेत्र में लड़े जाते हैं और एक वो जो लड़े तो जाते हैं लेकिन दिखाई नहीं देते। इसे शीत युद्ध कहते हैं। अमेरिका और चीन के बीच कई दिनों से चला रहा टकराव अब आधिकारिक शीत युद्ध में बदल चुका है। इसकी शुरुआत अमेरिका ने ह्यूस्टन स्थित में चीन को अपना वाणिज्य दूतावास बंद करने का आदेश दे कर किया। यह कदम “अमेरिकियों की बौद्धिक संपदा और निजी सूचना की रक्षा” के उद्देश्य से उठाया गया है।
विदेश विभाग की प्रवक्ता मॉर्गन ऑर्टागस (Morgan Ortagus) ने जोरदार शब्दों में कहा, “हमने अमेरिकियों की बौद्धिक संपदा और निजी जानकारी की रक्षा करने के उद्देश्य से PRC (पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चीन) के ह्यूस्टन के महावाणिज्य दूतावास को बंद करने का निर्देश दिया है।“ विदेश विभाग की प्रवक्ता Morgan Ortagus ने कहा कि अमेरिका चीन द्वारा हमारी संप्रभुता का उल्लंघन और हमारे लोगों को धमकाना बर्दाश्त नहीं करेगा। वैसे ही जैसे चीन के अनुचित व्यापार व्यवहार, अमेरिकियों की नौकरी चुराने और अन्य आक्रामक व्यवहार को सहन नहीं किया गया।
Morgan Ortagus ने विएना संधि का तर्क देते हुए कहा कि राष्ट्रों का दायित्व है कि मेजबान देश के अंदरूनी मामलों में हस्तक्षेप न करे।
बता दें कि ट्रम्प प्रशासन पहले से ही चीन के खिलाफ Intellectual Property के चोरी के मुद्दे पर कड़ी कार्रवाई की योजना बना रहा था। फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन यानि FBI ने कई बार चीन पर इस तरह के आरोप लगाए हैं।
हाल ही में, एफबीआई के निदेशक Christopher Wray ने खुलासा किया था कि अमेरिका की घरेलू खुफिया संस्था को हर दस घंटे में चीन से संबंधित मामला मिल रहा है। उम्मीद की जा रही थी कि इससे अमेरिकी Intellectual Property को चुराने के चीनी अभियान के खिलाफ एक बड़ा धक्का लगेगा।
एफबीआई निदेशक ने यह भी दावा किया था कि “चीनी Intellectual Property की चोरी इतने बड़े पैमाने पर है कि यह मानव इतिहास में धन के सबसे बड़े हस्तांतरण में से एक माना जा सकता है।”
अब अमेरिका ने इसी कारण का हवाला देते हुए बीजिंग के खिलाफ कार्रवाई की और चीन को ह्यूस्टन में अपना वाणिज्य दूतावास बंद करने का आदेश दिया है। इस आदेश के बाद से दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच तनाव और अधिक बढ़ गया है। दूतावास को बंद करने का आदेश दोनों देशों के बीच शीत युद्ध की घोषणा के रूप में देखा जा रहा है।
अमेरिका के इस तगड़े झटके के बाद चीन बौखला चुका है और अमेरिका से बदला लेने की कसम खाई है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा है, “यह अमेरिका द्वारा शुरू किया गया एक राजनीतिक उकसाव है, जो अंतरराष्ट्रीय संबंधों और बुनियादी मानदंडों उल्लंघन करता है।” उन्होंने कहा, “चीन मांग करता है कि अमेरिका अपना गलत फैसला वापस ले। अगर अमेरिका आगे बढ़ता है तो चीन जरूरी जवाबी उपाय करेगा।“
इस बीच, CCP के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने चीनी वाणिज्य दूतावास को बंद करने का आदेश देने के कदम को ‘एक लापरवाह और खतरनाक कदम बताया है जो दुनिया में दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच चल रहे तनाव को और भड़काएगा।‘
WION के अनुसार, चीन जवाबी कार्रवाई करते हुए वुहान में अमेरिकी वाणिज्य दूतावास को बंद करने का आदेश दे सकता है।
चीन की शुरुआती प्रतिक्रियाओं से यह भी स्पष्ट होता है कि इसके आगे यह तनाव और बढ़ेगा। इस बीच, ट्रम्प प्रशासन के चीनी वाणिज्य दूतावास को बंद करने के फैसले के बाद ह्यूस्टन पुलिस को एक फायर फाइटर कॉल आई जिसमें चीनी दूतावास में धुआं देखने की बात कही गई। अमेरिका के आदेश के बाद पेपर जलाने को विरोध के रूप में देखा जा रहा था, लेकिन कहा यह भी गया कि बीजिंग Intellectual Property चुराने के सारे सबूत जला रहा था। उस दौरान ह्यूस्टन पुलिस ने ट्वीट किया, “अधिकारियों को इमारत में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी गई थी।“
BIG: Hours after US asked China (as per @HuXijin_GT) to vacate its Consulate in Houston, now firefighters can be seen responding to reports of people burning documents at the Chinese consulate. What secrets are Chinese diplomats burning? Via @alexsalvinews https://t.co/J0iPLHma0F
— Aditya Raj Kaul (@AdityaRajKaul) July 22, 2020
About 8:25 pm on Tuesday, our officers responded to a meet the firefighter call to the China Consulate General in Houston building at 3417 Montrose Blvd.
Smoke was observed in an outside courtyard area. Officers were not granted access to enter the building. 1/2
— Houston Police (@houstonpolice) July 22, 2020
चीन Intellectual Property चोरी कर अपने देश में “रिवर्स टेक्नोलॉजी” का बाजार चलाता है। अगर ध्यान से देखा जाए तो अधिकांश चीनी प्रौद्योगिकी कंपनियां अमेरिकी समकक्षों की कॉपी हैं। बीजिंग कई वर्षों से अमेरिकी Intellectual Property की चोरी करता आया है। चीन ने इस चोरी में कई अमेरिकी अधिकारियों और शिक्षाविदों को भी शामिल किया था।
अमेरिकी न्याय विभाग ने दो चीनी हैकरों को पकड़ा है। इन दोनों पर दुनियाभर की कंपनियों के व्यापार से जुड़ी करोड़ों डॉलर मूल्य की गुप्त जानकारियों को चुराने और हाल ही में कोरोनावायरस के लिए वैक्सीन विकसित करने वाली फर्मों को निशाना बनाने का आरोप है।
Intellectual Property चोरी के मुद्दे के अलावा, चीन और अमेरिका के बीच पहले से ही कई मामलों जैसे हुवावे, भारत चीन सीमा विवाद और हाँग-काँग पर तनाव बढ़ा हुआ था। ह्यूस्टन में चीनी वाणिज्य दूतावास को बंद करने के ट्रम्प के कदम से अमेरिका और चीन के बीच अब खुल कर शीत युद्ध जैसी स्थिति बन चुकी है जो इस सदी के अंत तक जारी रह सकती है।