केंद्र सरकार ने एक अहम निर्णय में रविवार को यह घोषणा की कि उन्होंने 40 ऐसी वेबसाइट्स पर प्रतिबंध लगाया है, जिनके पीछे सिख्स फॉर जस्टिस नामक राष्ट्रद्रोही संगठन का हाथ है, और जो भारत से खालिस्तान के नाम पर पंजाब को अलग करने की मांग कर रहे हैं। गृह मंत्रालय ने अपने प्रवक्ता के माध्यम से सूचित किया कि ये निर्णय इस प्रतिबंधित संगठन द्वारा खालिस्तान के लिए जनमत संग्रह को इन 40 वेबसाइट्स पर प्रकाशित करने के कारण लिया गया है। आधिकारिक प्रेस रिलीज़ के अनुसार, “गृह मंत्रालय से परामर्श के बाद इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एवं इलेक्ट्रॉनिक्स मंत्रालय ने निर्देश दिये हैं कि खालिस्तानी आतंकवादियों से जुड़ी इन सभी 40 वेबसाइट्स को तत्काल प्रभाव से ब्लॉक किया जाये”
Sikhs For Justice (SFJ), an unlawful organization under the UAPA,1967, launched a campaign for registering supporters for its cause. On recommendation of MHA, MeitY has issued orders under sec. 69 A of the I.T. Act, 2000, for blocking 40 websites of SFJ@AmitShah @HMOIndia
— Spokesperson, Ministry of Home Affairs (@PIBHomeAffairs) July 5, 2020
आईटी एक्ट के धारा 69 ए के अंतर्गत इन साइट्स पर प्रतिबंध लगाया गया है, क्योंकि ये वेबसाइट्स भारत की अखंडता पर प्रश्न चिन्ह लगा रही थीं। इसी एक्ट के अंतर्गत हर प्रकार के साइबर क्राइम के लिए प्रावधान तय किए गए हैं –
Banned Khalistani terror group Sikhs For Justice websites banned by India. Minutes after Indian Govt decision, 40 Khakistani websites which are mostly operated and funded by Pakistan have been banned. Last week Gurpatwant Singh Pannun of SFJ was declared designated terrorist. pic.twitter.com/GRe5ocSY1H
— Aditya Raj Kaul (@AdityaRajKaul) July 5, 2020
पर ये समस्या क्यों उत्पन्न हुई? बता दें कि 4 जुलाई को यूके में बसे अलगाववादी गुट एसएफ़जे ने खालिस्तान रेफेरेंडम 2020 के नाम से ऑनलाइन अभियान शुरू किया था, ताकि सिख समुदाय के लिए अलग खालिस्तान बनाया जाये। इस साइट को एक रूसी पोर्टल के मदद से लॉंच किया गया था, और पिछले वर्ष से ही सरकार एसएफ़जे की सभी गतिविधियों पर कड़ी नज़र बनाए हुई थी, चाहे वो ऑनलाइन हो, या फिर ऑफलाइन। एसएफ़जे को संचालित करने वाले गुट में प्रमुख लोग हैं अवतार सिंह पन्नुन और गुरपतवन्त सिंह पन्नुन, जिसमें से गुरपतवन्त को पिछले ही हफ्ते गृह मंत्रालय ने पिछले वर्ष पारित यूएपीए के अंतर्गत आतंकी घोषित किया है।
कहा जाता है कि एसएफ़जे को पूर्ण रूप से पाकिस्तान के कुख्यात आईएसआई का संरक्षण प्राप्त है। इस गुट ने गलवान घाटी में चीनी पक्ष का समर्थन करते हुए मोदी सरकार की भर्त्सना की, और कहा कि मोदी सरकार के अड़ियल स्वभाव के कारण चीन के कई सैनिकों को अकारण अपनी जान गंवानी पड़ी। परंतु यह लोग वहीं नहीं रुके, उन्होने चीन के लोगों का आभार व्यक्त करते हुए एसएफ़जे द्वारा खलिस्तान के रेफेरेंडम की मांग को एक बार फिर दोहराया –
लेकिन केंद्र सरकार भी हाथ पर हाथ धरे बैठी नहीं हुई है। पिछले एक हफ्ते से गृह मंत्रालय युद्धस्तर पर खालिस्तानी अलगाववादियों के विरुद्ध कड़ी से कड़ी कार्रवाई में लगी हुआ है। पिछले बुधवार को पाकिस्तान में बसे चार समेत नौ खालिस्तानी उग्रवादियों को आधिकारिक रूप से आतंकी घोषित किया गया। बब्बर खालसा इंटरनेशनल के सरगना वाधवा सिंह बब्बर, इंटरनेशनल सिख यूथ फेडेरेशन के अध्यक्ष लखबीर सिंह, खलिस्तान ज़िंदाबाद फोर्स के मुखिया रणजीत सिंह को केंद्र सरकार ने यूएपीए के अंतर्गत आतंकी घोषित किया था।
सच कहें तो खालिस्तान पंजाब प्रांत के लिए दशकों से बहुत बड़ा सरदर्द रहा है। 90 के दशक तक आते आते काफी हद तक इस समस्या पर काबू पाया गया था, परंतु अब एक बार फिर पाकिस्तान खलिस्तान के जिन्न को जगाना चाहता है। ऐसे में भारत सरकार के लिए ये अत्यंत आवश्यक है कि वे ऐसे किसी भी नापाक इरादे को सफल नहीं होने दे और इन आतंकी गुटों को जड़ से उखाड़ फेंकें।