कोरोना से पूरी दुनिया में तबाही मचाने के बाद चीन अब उग्रवादियों के जरिये इस पूरे क्षेत्र में अस्थिरता फैलाना चाहता है। हाल ही में म्यांमार की सेना ने इशारों ही इशारों में यह आरोप लगाया था कि चीन उग्रवादी संगठन अराकन आर्मी को जमकर हथियार सप्लाई कर रहा है, ताकि वह क्षेत्र में अपने हितों की रक्षा कर सके। इसी कड़ी में अब थाइलैंड में भी चीन में बने हथियारों का एक बड़ा जखीरा ज़ब्त किया गया है, जिसे दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के रास्ते म्यांमार में लेकर आए जाने की तैयारी थी। हालांकि, म्यांमार से पहले ही थाई रॉयल आर्मी ने इसे ज़ब्त कर लिया। अब भारत सरकार ने भी थाई और म्यांमार सरकार के साथ संपर्क स्थापित कर लिया है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या यह हथियार भारत के नॉर्थ ईस्ट के लिए तो नहीं लाया जा रहा था।
बता दें कि हाल ही में थाइलैंड के ताक क्षेत्र में थाई सेना ने 2 थाई और 6 म्यांमार के नागरिकों को हथियार के बड़े जखीरे के साथ पकड़ा था। उस जखीरे में 33 एम16, Ak47, एम79 ग्रेनेड लौंचर्स, और मशीन गन जैसे बड़े हथियार पाये गए थे। म्यांमार की सेना के साथ-साथ थाई सेना को भी इस बात पर पूरा यकीन है कि ये हथियार चीन से ही लाये गए थे, और इन्हें दक्षिण एशियाई देशों के रास्ते म्यांमार तक पहुंचाया जा रहा था। हो सकता कि है म्यांमार में अराकन आर्मी के पास इन्हें पहुंचाया जा रहा हो। हालांकि, अब भारत भी इस मुद्दे में अपनी दिलचस्पी दिखा रहा है।
भारत सरकार म्यांमार और थाई सरकार के संपर्क में रहकर यह निश्चित करना चाहती है कि यह हथियार कहीं भारत के नॉर्थ ईस्ट के लिए तो नहीं लाये जा रहे थे। भारत के अधिकारियों की यह चिंता है कि अराकन आर्मी उन हथियारों को आसानी से भारत के उग्रवादियों तक भी पहुंचा सकती है। पूर्व में भी अराकन आर्मी भारत के उग्रवादियों को ट्रेनिंग दे चुकी है।
भारत इस बात को लेकर सतर्क है कि खराब हो चुके भारत-चीन के रिश्तों के बाद भारत सरकार पर दबाव बनाने के लिए अब चीनी सरकार भारत के उग्रवादियों का सहारा ले सकती है। भारत सरकार अधिकतर उग्रवादी संगठनों के साथ शांति समझौते के लिए शांति वार्ता कर रही है। ऐसे में इन हथियारों के जरिये चीन इन वार्ताओं को derail करने की पूरी कोशिश करेगा। भारत सरकार के सूत्रों के मुताबिक “चीन पहले भी असम, मणिपुर, नागालैंड और मिज़ोरम के उग्रवादियों के संपर्क में रह चुका है”।
अगर भारत यह स्थापित करने में कामयाब हो जाता है कि ये हथियार भारत ने नॉर्थ ईस्ट के लिए लाए जा रहे थे, तो भारत चीन के खिलाफ अपने कदमों को और कडा कर सकता है। म्यांमार पहले ही चीनी हस्तक्षेप से तंग आ चुका है। हाल ही में म्यांमार सेना के कमांडर-इन-चीफ़ जनरल “मिन ओंग” ने रूस के एक टीवी चैनल को इंटरव्यू देते हुए कहा था “कोई देश आसानी से अपने यहाँ आतंकियों का सफाया कर सकता है, लेकिन अगर उनके पीछे किसी बड़ी ताकत का हाथ हो, तो फिर दुनिया को हमारी मदद के लिए आगे आना चाहिए”। जनरल मिन ओंग का इशारा यहाँ चीन की ओर था, क्योंकि अराकन आर्मी के पास से बड़ी संख्या में चीनी हथियार ज़ब्त किए जा रहे हैं।
म्यांमार की सेना पहले ही यह चुकी है कि उन्हें अंतर्राष्ट्रीय सहायता की ज़रूरत है, ऐसे में इस मुद्दे पर भारत सरकार की दिलचस्पी इस बात की ओर इशारा कर रही है आने वाले समय में भारत सरकार चीन के खिलाफ सीधे तौर पर म्यांमार सेना की मदद कर सकती है। वह सैन्य मदद भी हो सकती है और किस अन्य प्रकार का समर्थन भी! म्यांमार सेना और थाई सेना इस मामले की जांच कर रही है। भारत सरकार इस जांच में सीधे तौर पर शामिल होकर चीन को बड़ा संदेश भेजने की कोशिश कर रहा है। चीन के लिए यही फायदेमंद होगा कि वह तुरंत अपने नापाक मंसूबों को विश्राम देकर इस क्षेत्र की शांति बरकरार रखने में अपना योगदान दे!