लद्दाख में भारत के खिलाफ आक्रामकता दिखाना चीन को इतना महंगा पड़ेगा, यह चीन ने भी कभी सोचा नहीं होगा। लद्दाख में भारत-चीन के बीच हुई हिंसक झड़प के एक महीने बाद भी भारत चीन का पीछा छोड़ने का नाम नहीं ले रहा है। चीन से जुड़े संवेदनशील मामलों पर अक्सर चुप रहने वाला भारत अब खुलकर हर मुद्दे पर चीन को घेर रहा है। कल यानि गुरुवार को भारत के विदेश मंत्रालय ने फिर चीन को घेरते हुए दक्षिण चीन सागर में चीन के दावों की धज्जियां उड़ा दीं। दक्षिण चीन सागर पर भारत का यह दूसरा चीन-विरोधी बयान था। बुधवार को अमेरिका ने दक्षिण चीन सागर में चीन के दावों को खारिज किया था, उसके बाद भारत ने भी चीन के दावों को खारिज कर चीन को यह संदेश भेजा है कि भारत पीछे नहीं हटने वाला है।
कल चीन को बड़ा संदेश देते हुए भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा “हमारी स्थिति शुरू से ही बड़ी साफ रही है। हम दक्षिण चीन सागर में सभी के navigation के अधिकारों का सम्मान करते हैं। UNCLOS और अन्य अंतर्राष्ट्रीय नियमों के तहत दक्षिण चीन सागर अंतर्राष्ट्रीय समुद्र का ही हिस्सा है”। इस प्रकार भारत ने चीन के दावों को सिरे से नकार दिया जहां चीन पूरे दक्षिण चीन सागर को अपना बताता है।
इतना ही नहीं, अब भारत indo-pacific में रूस को भी आमंत्रित कर रहा है। अब तक रूस चीन की वजह से indo-pacific में आने से घबराता रहा है। हालांकि, भारत अब रूस पर दबाव बनाकर उसे दक्षिण चीन सागर और Indo-pacific में शामिल करना चाहता है। हाल ही में रूस में मौजूद भारत के राजदूत DB वर्मा ने रूसी सरकार से आग्रह करते हुए कहा कि रूस को अपने हितों को देखते हुए Indo-pacific क्षेत्र में शामिल होना चाहिए। रूस अब तक इस विवादित क्षेत्र से दूर ही रहा है, लेकिन अगर वह भारत के दबाव में इस क्षेत्र में शामिल होने के लिए राज़ी हो जाता है, तो यह भारत के लिए बड़ी कूटनीतिक जीत होगी।
खैर बात यही खत्म नहीं होती है। भारत बंगाल की खाड़ी में मलक्का स्ट्रेट के पास अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया को साथ लेकर मालाबार युद्धाभ्यास भी करने वाला है। यह पहली बार होगा जब Quad के चारों देश मिलकर बंगाल की खाड़ी में चीन को आँख दिखाने का काम करेंगे। भारत चीन को यहाँ साफ संकेत देना चाहता है कि अगर चीन कोई चालबाज़ी दिखाता है तो Quad के सभी देश मिलकर चीन पर दबाव बनाने का काम करेंगे।
ऐसे समय में जब भारत और Quad के अन्य देश खुलकर चीन विरोध कर रहे हैं, तो वहीं दक्षिण पूर्व एशिया यानि Asean देशों की भूमिका बड़ी महत्वपूर्ण हो जाती है। Asean देश दशकों से चीन की आक्रामकता का शिकार रहे हैं। हालांकि, अब जब उन्हें खुलकर चीन के खिलाफ बोलकर भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका का साथ देना चाहिए, तो ये देश दबी आवाज़ में Quad को अपना समर्थन जता रहे हैं। हालांकि, कोई भी देश खुलकर चीन के खिलाफ बोलने को तैयार नहीं है। उदाहरण के तौर पर इसी हफ्ते मलेशिया के विदेश मंत्री ने यह दावा किया कि चीन की vessels ने पिछले 100 दिनों में उसके इलाके में घुसपैठ नहीं की है। हालांकि, एक्स्पर्ट्स के मुताबिक सच्चाई यह थी कि चीन हर दिन उसके इलाके में घुसपैठ कर रहा था। मलेशिया ने चीन की आक्रामकता के जवाब में अपनी आखें बंद करना ही उचित समझा। ASEAN देशों का यह रवैया नहीं चलने वाला।
#Malaysia's FM says there have been no #Chinese ships in Malaysian waters for 100 days. But there have been. Every. Single. Day.
Not a surprise and not the first time to hear this type of kowtowing from #Malaysia
Just look the other way & pretend it didn't happen. https://t.co/JOoMHCfogf
— Indo-Pacific News – Geo-Politics & Defense (@IndoPac_Info) July 16, 2020
चीन की गुंडागर्दी के खिलाफ जिस प्रकार भारत और Quad सख्त रुख दिखा रहा है, ठीक वही ASEAN के देशों द्वारा दोहराए जाने की जरूरत है। ASEAN देशों के लिए यह करो या मरो का वक्त है। अगर अब ये देश नहीं जागे तो इन्हें हमेशा के लिए चीन की गुलामी करने के लिए तैयार हो जाना चाहिए।