केरल सोना तस्करी मामला केरल की कम्युनिस्ट सरकार के अंत की शुरुआत है

केरल सरकार

याद है कैसे अभी तिरुवनन्तपुरम एयरपोर्ट पर ज़ब्त 30 किलो सोने से जुड़ी तस्करी के तार केरल सरकार से केरल राज्य में खलबली मच गई थी? अब इस मामले में केरल सरकार की मुश्किलें पर बढ़ती नजर आ रही है क्योंकि एनआईए ने एक चौंकाने वाले खुलासे में ये बताया है कि इस तस्करी के जरिये देश में आतंकवाद को बढ़ावा भी दिया जाता था।

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार एनआईए ने बताया कि कैसे तिरुवनन्तपुरम में ज़ब्त हुआ 30 किलो सोना पहला ऐसा कनसाइनमेंट था जो पकड़ में आया, वरना ऐसे न जाने कितने कनसाइनमेंट थे, जो कभी पकड़ में ही नहीं आते थे। एनआईए की स्टेटमेंट के अनुसार, “ये तस्करी भारत में [विशेषकर केरल में] आतंकवाद को बढ़ावा देते हैं। क्योंकि ये मामला बड़ी संख्या में विदेशी लोकेशन्स से सोने की तस्करी कर भारत में लाने का है, और भारत की आर्थिक स्थिरता और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए ये किसी खतरे से कम नहीं है, इसलिए ये UAPA एक्ट के धारा 15 का स्पष्ट उल्लंघन है”।

एनआईए ने कहा कि “केरल सोना तस्करी मामले में गैर कानूनी गतिविधि (निवारक) अधिनियम, 1967 की धारा 16, 17 और 18 के तहत चार आरोपियों -पीएस सारिथ, स्वप्‍ना प्रभा सुरेश, फाजिल फरीद और संदीप नायर के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। इन आरोपियों के पास से त्रिवेंद्रम अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे से 5 जुलाई को कस्टम (प्रीवेंटिव) कमिशनरेट, कोचीन द्वारा 14.82 करोड़ रुपये मूल्य के 24 कैरेट के 30 किलोग्राम सोने की बरामदगी के सिलसिले में एक प्राथमिकी दर्ज की गई है। यह खेप यूएई से आए एक राजनयिक बैगेज में रखी हुई थी, जो वियना कन्वेंशन के अनुसार निरीक्षण से मुक्त है।”

बता दें कि एनआईए स्वयं इस घोटाले की जांच कर रही है, और ये चौंकाने वाले खुलासे एनआईए ने स्वयं अपने बयान में केरल के उच्च न्यायालय को सौंपे हैं। पर ये समस्या उत्पन्न कैसे हुई? दरअसल, अभी तिरुवनन्तपुरम एयरपोर्ट पर 30 किलो सोना ज़ब्त हुआ था, और यह तस्करी  Diplomatic immunity का फ़ायदा उठाते हुए की गई थी और जांच पड़ताल में यूएई कॉन्सुलेट जनरल के यहाँ पूर्व पब्लिक रिलेशन्स ऑफिसर रह चुके सरिथ कुमार और पूर्व कॉन्सुलेट अधिकारी स्वप्ना सुरेश का नाम सामने आया था। स्वप्ना सुरेश कई महीनों तक सूचना प्रौद्योगिकी इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (केएसआईटीआईएल) के तहत स्पेस पार्क की विपणन संपर्क अधिकारी भी थी।

Customs की रिपोर्ट के अनुसार सरिथ ने कूटनीतिक यानि diplomatic immunity का फ़ायदा उठाते हुए कई बार दुरुपयोग भी किया। हालांकि, इस बार करोड़ों रुपये के सोने की तस्करी करने की उनकी मंशा धरी की धरी रह गई और सरिथ को तत्काल प्रभाव से हिरासत में भी लिया गया।

इसके अलावा यह भी सिद्ध हुआ है कि आरोपियों के साथ केरल के आईटी डिपार्टमेन्ट के मुख्य सचिव और पिनाराई विजयन के खास माने जाने वाले एम शिवशंकर के तार भी जुड़े हुए थे, जिन्हें तत्काल प्रभाव से आरोप सामने आने के बाद पद से हटाया गया है। इसी परिप्रेक्ष्य में प्रमुख विपक्षी नेता रमेश चेन्निताला ने ट्वीट किया था, “मैं इस केस में सीबीआई की जांच की मांग करता हूँ। अभियुक्त केरल के आईटी सचिव से जुड़े हुए हैं, जो पिनाराई विजयन के सचिव हैं। ऐसे में हमें विश्वास है कि कहीं न कहीं इस घोटाले में केरल सरकार का भी हाथ है।”

इस मामले की जांच में और कई खुलासे होंगे ही और सवाल तो उठेगा ही कि इतने बड़े सोने की तस्करी को अंजाम तक पहुँचाने में सारिथ, स्वप्‍ना प्रभा सुरेश, फाजिल फरीद और संदीप नायर की मदद किसने की ? और इसमें राज्य सरकार की क्या भूमिका रही? पिनाराई विजयन के खास माने जाने वाले एम शिवशंकर के तार इस मामले में केरल सरकार की भूमिका को और सत्यापित कर रहे हैं।

जहाँ कल तक कोरोना वायरस महामारी के नियंत्रण को लेकर देश और विदेश में चर्चा में थी यहाँ तक कि मीडिया में वाहवाही बटोर रही थी उसके दामन पर सोने की तस्करी के दाग ने केरल की जनता की उम्मीदों को तोड़ने का काम किया है.

अब केरल सरकार पर राज्य में आतंकवाद की वृद्धि पर मौन रहने का आरोप लगना कोई नई बात नहीं है। केरल वो राज्य है, जहां लगभग पूरे राज्य की जनसंख्या के साक्षर होने के बावजूद सबसे ज़्यादा आईएसआईएस में भर्ती होने के लिए यहीं से नौजवान मिडिल ईस्ट के लिए समुद्र के रास्ते से निकलते हैं। इसके अलावा केरल की वर्तमान सरकार पर अप्रत्यक्ष रूप से आईएसआईएस में भर्ती को बढ़ावा देने वाले उग्रवादी संगठन पोपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया को भी बढ़ावा देने का आरोप है। अब यदि एनआईए के आरोप शत प्रतिशत सत्य सिद्ध होते हैं, तो इसका अर्थ है कि केरल सरकार प्रत्यक्ष रूप से आतंकवाद को भारत में प्रायोजित कर रही है, और ऐसे में पिनराई विजयन की सरकार गिरने में ज़्यादा वक़्त नहीं लगेगा।

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