चीन और अमेरिका के बीच रिश्ते लगातार बिगड़ते जा रहे हैं। अमेरिका के ह्यूस्टन में चीनी वाणिज्य दूतावास के बंद किए जाने के बाद बदले की कार्रवाई करते हुए चीन ने चेंगडु (Chengdu) में अमेरिकी दूतावास बंद करने का आदेश दिया है। चीनी विदेश मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि चीन ने यहां स्थित अमेरिकी दूतावास को अपने फैसले की सूचना दे दी है कि वह Chengdu में अमेरिकी महावाणिज्य दूतावास की स्थापना एवं संचालन के लिए दी गई अपनी सहमति वापस लेता है। इससे पहले अमेरिका ने ह्यूस्टन में चीन के वाणिज्य दूतावास को बंद करने का आदेश दिया था।
यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि अगर चीन चाहता तो अमेरिका के चीन में स्थित पांचों वाणिज्य दूतावास में से कोई भी बंद कर सकता था लेकिन चीन ने Chengdu को ही चुना। अगर Chengdu और ह्यूस्टन का महत्व देखे तो चीन का कदम उसके डर को दिखाता है।
बता दें कि बीजिंग में दूतावास के साथ साथ US के चीन में कुल छह वाणिज्य दूतावास हैं जो Chengdu, Guangzhou, Shanghai, Shenyang और Wuhan में स्थित हैं। यही नहीं Hong Kong & Macau में भी अमेरिकी वाणिज्य दूतावास है। अगर चीन को अमेरिका के खिलाफ जवाबी कार्रवाई करनी थी और कड़ा सबक सीखना था तो Chengdu के अलावा कोई भी वाणिज्य दूतावास को बंद कर सकता था जो अमेरिका के लिए अधिक महत्वपूर्ण हैं। जैसे:
सबसे महत्वपूर्ण वाणिज्य दूतावास:
अमेरिका के हांगकांग-मकाऊ के वाणिज्य दूतावास को बंद करना: US पहले ही हांगकांग के सुरक्षा कानून को लेकर चीन के पीछे पड़ा हुआ है। इस वाणिज्य दूतावास को बंद करने से अमेरिका और चीन के बीच हुए Phase 1 डील का भी अंत हो जाता। इससे अमेरिका भी भड़क जाता और आगे की जवाबी कार्रवाई करता। यह भी संभव था कि चीन की इस कार्रवाई के बाद दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध समाप्त हो जाते।
हैरानी की बात है कि चीन के लोग भी इसी वाणिज्य दूतावास को बंद करने का समर्थन कर रहे हैं। ग्लोबल टाइम्स द्वारा कराये गए एक सर्वे में 65 प्रतिशत से अधिक लोगों का वोट हांगकांग-मकाऊ के वाणिज्य दूतावास को गया था। वहीं Guancha द्वारा कराये गए एक अन्य सर्वे में 66 प्रतिशत लोगों ने हांगकांग-मकाऊ को बंद करने के लिए वोट किया।
हाई रिस्क वाणिज्य दूतावास:
Guangzhou और Shanghai में अमेरिकी वाणिज्य दूतावास: ये दोनों ही शहर अमेरिका के लिए महत्वपूर्ण हैं। चीन में व्यापार करने वाली अधिकतर अमेरिकी वित्तीय और तकनीकी कंपनियों को इन दोनों वाणिज्य दूतावास की जरूरत होती है। वहीं चीन मेनलैंड के अंदर Guangzhou वाणिज्य दूतावास एकमात्र अमेरिकी मिशन है जो American adoptions and immigrant visas को देखता है। इस कारण अमेरिकी विदेश मंत्रालय का सबसे व्यस्त कॉन्सुलर पोस्ट माना जाता है।
इनमें से किसी एक को भी बंद करने पर Phase 1 डील का समाप्त हो जाता और अमेरिकी कार्रवाई निश्चित थी। परंतु चीन ने इसे भी बन बंद किया।
मध्य जोखिम वाला:
Shenyang में अमेरिकी वाणिज्य दूतावास: एक बहुत ही महत्वपूर्ण दूतावास है जिसके क्षेत्र में पिछले कई वर्षों में कई अमेरिकी कंपनियों ने चीन में निवेश किया। यही नहीं यह वाणिज्य दूतावास उत्तर कोरिया से भी काफी निकट है। यही कारण है कि ट्रम्प के लिए यह दूतावास बेहद महत्वपूर्ण हो जाता है। उत्तर कोरिया के साथ सीमा की निकटता के कारण, इस वाणिज्य दूतावास ने परमाणु अप्रसार सहित उत्तर कोरिया से संबंधित मुद्दों पर स्थानीय चीनी समकक्षों के साथ भी काम किया था। अगर चीन इसे निशाना बनाता तो अमेरिका के दो रास्ते बंद हो जाते और वह अवश्य जवाबी कार्रवाई करता परंतु चीन ने डर से ऐसा नहीं किया।
कम जोखिम वाला:
वुहान में अमेरिकी वाणिज्य दूतावास: चीन के अंदर अमेरिका का सबसे छोटा वाणिज्य दूतावास और हाल के दिनों में कोरोना वायरस के कारण बंद ही रहा है। परंतु चीन के खिलाफ कोरोना के दौरान जांच में यह वाणिज्य दूतावास बेहद महत्वपूर्ण साबित हो सकता है इस कारण से अमेरिका के लिए यह आवश्यक है। इसे बंद करने पर अमेरिका जवाबी कार्रवाई के बिना नहीं रुकता।
सबसे कम जोखिम वाला:
Chengdu में अमेरिकी वाणिज्य दूतावास: वुहान की तरह Chengdu भी एक छोटा वाणिज्य दूतावास है और यह तिब्बत के क्षेत्र को कवर करता है। अब चीन ने इस वाणिज्य दूतावास को बंद करने का फैसला किया जो सबसे कम जोखिम वाला था। हालांकि अमेरिका चीन के इस कदम के बावजूद भी नाराज प्रतिक्रिया देगा।
परंतु चीन के इस फैसले से एक बात स्पष्ट हो गयी है कि वह US के खिलाफ एक्शन लेना चाहता है लेकिन डर से सबसे कम जोखिम वाले निर्णय ले रहा है। अगर चीन को अमेरिका के खिलाफ एक्शन ही लेना था तो सबसे महत्वपूर्ण दूतावास को निशाना बना सकता था जैसे अमेरिका ने किया। बता दें कि चीन के लिए ह्यूस्टन सबसे महत्वपूर्ण वाणिज्य दूतावास था। इसी वाणिज्य दूतावास के जरीये चीनी सेना चीन के छात्रों को अमेरिका भेजती थी जिससे युद्ध क्षमताओं की जानकारी हासिल की जा सके, इसलिए US ने चीन पर Intellectual Property चोरी करने का आरोप लगाया था। अमेरिकन कम्युनिटी सर्वे के अनुसार, 2013 तक, सिर्फ ग्रेटर ह्यूस्टन में 72,320 चीनी मूल के लोग रहते थे, अब यह संख्या कहीं अधिक होगी। यानि देखा जाए तो यह वाणिज्य दूतावास चीन के लिए सबसे महत्वपूर्ण था।
चीन Chengdu के अमेरिकी वाणिज्य दूतावास को बंद कर अपने आप को ताकतवर दिखाने की कोशिश कर रहा परंतु उसके फैसले पर उसकी कायरता स्पष्ट झलक रही है। अब यह देखना होगा कि अमेरिका चीन के इस फैसले का जवाब किस तरह से देता है।