‘ये एनकाउंटर न्याय की हत्या’, विकास दुबे के एनकाउंटर पर कोई बोखलाया तो किसी ने सराहा

विकास दुबे

कुछ दिन पहले कानपुर के बिकरू गाँव में 8 पुलिसकर्मियों की हत्या करके सुर्खियों में आया कुख्यात गैंंगस्टर  विकास दुबेआखिरकार मारा गया। कई राज्यों में छुपने के बाद विकास को उज्जैन में हिरासत में लिया गया, लेकिन उसके भागने की फितरत उसकी जान ले बैठी। उज्जैन से कानपुर आते समय उसे मार गिराया गया था।

लेकिन इस एनकाउंटर से यदि किसी को सबसे अधिक दुख हुआ, तो वो है विपक्षी कुनबा, जो विकास दूबे के जरिये योगी सरकार पर निशाना साधना चाहती था। कई विपक्षी पार्टियों ने योगी सरकार पर विकास का एनकाउंटर छुपा उसके राजनीतिक आकाओं को बचाने का आरोप लगाया, तो कुछ तो यहाँ तक कह दिये कि विकास का एनकाउंटर न्याय की हत्या है।

शुरुआत की कांग्रेस की प्रियंका गांधी वाड्रा ने, जिन्होंने एनकाउंटर के लिए उत्तर प्रदेश को अपराध प्रदेश की संज्ञा दे दी। प्रियंका के अनुसार, “सभी जानते हैं कि उत्तर प्रदेश अपराध के मामले में पूरे देश में अव्वल है। जातिवादी अपराध हो, महिलाओं के साथ अत्याचार हो, या फिर गैर कानूनी एंकाउंटर हो, योगी सरकार हर मामले में अव्वल है। वे उत्तर प्रदेश को अपराध प्रदेश बनाने पर तुले हुए हैं”। इतना ही नहीं, प्रियंका गांधी ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा हस्तक्षेप की भी मांग की है।

अब ऐसे में राहुल गांधी कहाँ पीछे रहते? जनाब को आजकल शायरी का बहुत शौक है, इसलिए उन्होंने शायरी के जरिये योगी सरकार पर निशाना साधा, “कई जवाबों से अच्छी है खामोशी उसकी, न जाने कितने सवालों की आबरू रख ली”।

तृणमूल कांग्रेस की बड़बोली सांसद महुआ मोईत्रा ने तो यहाँ तक कह दिया कि विकास दुबे का एनकाउंटर न्याय की हत्या है। मोहतरमा ने आगे ट्वीट किया, “कोर्ट का काम है न्याय देना, पुलिस का केवल काम होता है अपराधियों को कोर्ट तक पहुंचाना, भाजपा इन दोनों में कनफ्यूज़ हो गई।”

लेकिन अगर कोई सबसे ज़्यादा घबराया हुआ था, तो वे थे पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव। जनाब आज तक पर रो रहे थे कि विकास दुबे के साथ अन्याय हुआ है। उनके अनुसार, “बेकसूर लोगों को मार कर आप कानून व्यवस्था को कैसे सुधारोगे?” परंतु कल ही शाम को आज तक के अंग्रेज़ी संस्करण इंडिया टुडे पर राजदीप सरदेसाई के साथ बातचीत करते हुए उन्होने यह आरोप लगाया कि विकास भाजपा का आदमी था, जिसकी काली करतूतें खुलने के डर से भाजपा वालों ने उसे मार गिराया। अखिलेश के अनुसार, “विकास दुबे के भाजपा के साथ बड़े घनिष्ठ संबंध थे। क्या इस मामले में कोई एक्शन लेगी योगी सरकार?”

अब आते हैं तथ्यों पर। विकास दुबे पहले बहुजन समाज पार्टी का हिस्सा था, और फिर समाजवादी पार्टी में शामिल हो गया। विकास दुबे की पत्नी ऋचा कुछ माह पहले पंचायत चुनाव भी लड़ी थीं। इसके अलावा विकास दुबे की माँ ने भी स्पष्ट किया था कि वे समाजवादी पार्टी से संबन्धित हैं। ऐसे में अखिलेश इस स्तर का सफ़ेद झूठ बोलकर केवल अपना ही उपहास उड़वा रहे हैं।

लेकिन विकास दुबे पर योगी सरकार को घेरने में विपक्ष पूरी तरह विफल रही, क्योंकि सब एकजुट जो नहीं थे। जहां आम आदमी पार्टी ने कुछ भी बोलने से साफ मना किया, तो वहीं मायावती ने फूँक फूँक के कदम रखते हुए केवल सुप्रीम कोर्ट द्वारा निष्पक्ष जांच की मांग की। लेकिन सभी को चौंकाते हुए शिवसेना ने न केवल एनकाउंटर का समर्थन किया, अपितु ये भी कहा कि एक अपराधी के मारे जाने पर ऐसे हो हल्ला नहीं मचाना चाहिए। संजय राऊत के अनुसार, “विकास दुबे ने आठ पुलिसकर्मियों की हत्या की थी। वर्दी पर हमला करने का मतलब है कि कोई कानून और व्यवस्था नहीं है। राज्य पुलिस द्वारा सख्त कार्रवाई करना आवश्यक है, चाहे वह महाराष्ट्र हो या उत्तर प्रदेश। एक मुठभेड़ में दुबे के मारे जाने पर आंसू बहाने की कोई जरूरत नहीं है। पुलिस कार्रवाई पर सवाल क्यों उठाए जा रहे हैं?’’

सच कहें तो विकास दुबे के एनकाउंटर से यूपी सरकार ने विपक्ष के हाथों से वो सुनहरा अवसर भी छीन लिया, जिसके बल पर वे झूठी खबरें फैलाकर केंद्र सरकार को नीचा दिखा सकें। विपक्ष चाहे जितना रोना धोना मचा लें, परंतु इस बात को वे नहीं झुठला सकते कि विकास दुबे एक अपराधी था, जिसका अंत उसी समय निश्चित हुआ, जब उसने 8 पुलिसकर्मियों को बेरहमी से मौत के घाट उतारा।

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