चीन अब चारो तरफ से घिर चुका है। भारत ने मालाबार नौसेना अभ्यास में शामिल होने के लिए ऑस्ट्रेलिया को आमंत्रित करने जा रहा है। यानि अब ऑस्ट्रेलिया के इस युद्धाभ्यास में शामिल होने से Quad के सभी सदस्य यानि अमेरिका और जापान की नौसेनाएं भारतीय नौसेना के साथ मिलकर युद्धाभ्यास करेंगी।
आज के दौर में जिस तरह से चीन की आक्रामकता बढ़ती जा रही है वैसी स्थिति में Quad देशों का युद्धाभ्यास के लिए साथ आना एक महत्वपूर्ण कदम है। आज के दौर में NATO की प्रासंगिकता हाशिये पर है और Indo-Pacific क्षेत्र केंद्र में है, ऐसे में Quad देशों का साथ आना और इस संगठन को और बड़ा करना आज सबसे बड़ी जरूरत है।
जब दूसरे विश्व युद्ध की समाप्ती वर्ष 1945 में हुई थी तब तक विश्व दो धुरी पर बंट चुका था। एक का नेतृत्व अमेरिका कर रहा था, तो दूसरे का USSR. तब अमेरिका ने कम्युनिस्ट सोवियत यूनियन के प्रभाव को रोकने और उसे काबू में करने के लिए NATO यानि North Atlantic Treaty Organization नाम का एक सैन्य संगठन बनाया था। आज ठीक उसी तरह कोरोना के बाद चीन को काबू में करने के लिए Quad देशों के बीच सैन्य समझौता और इसके विस्तार की खबर 21वीं सदी का सबसे बड़ा समझौता साबित होगा।
रिपोर्ट के अनुसार Quad के विस्तार पर भी चर्चा शुरू हो चुकी है। जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन से इस मामले पर बातचीत की है। इस बातचीत में दोनों नेताओं ने चीन से बढ़ते खतरे के बीच रक्षा और सुरक्षा के क्षेत्रों में Quad सहयोग का विस्तार करने पर सहमति व्यक्त की। बता दें कि जापान के पीएम आबे ने 9 जुलाई को मॉरिसन के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए एक स्वतंत्र और खुले इंडो-पैसिफिक के लिए East China Sea, South China Sea तथा Indo Pacific क्षेत्र की वर्तमान स्थिति पर चर्चा की।
बता दें कि QUAD अमरीका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया के बीच अनौपचारिक गठबंधन है जिसकी परिकल्पना वर्ष 2007 में जापान के प्रधानमंत्री शिंज़ो आबे ने किया था। उनके इस प्रस्ताव पर भारत, अमरीका और ऑस्ट्रेलिया ने सहमति जाता दी थी जिसके बाद उसी वर्ष उस समूह की बैठक हुई थी। तब इसे Asian NATO भी कहा जा रहा था।
हालांकि, 10 साल तक तो यह समूह ठंडे बस्ते में पड़ा रहा , लेकिन वर्ष 2017 के बाद से इन चारों देशों की लगातार बैठकें हो रही हैं। अब इन समूह के विस्तार की भी चर्चा ज़ोरों पर है। इसी वर्ष मार्च में कोरोनावायरस को लेकर क्वॉड ग्रुप की मीटिंग हुई थी। इस मीटिंग में पहली बार न्यूजीलैंड, दक्षिण कोरिया और वियतनाम को भी शामिल किया था। इसमें भी वही देश जो प्रखर रूप से चीन के विरोधी रहे हैं।
यहां ये भी ध्यान रखना होगा कि क्वॉड कोई मिलिट्री एलायंस नहीं है। परंतु आज के समय में इन सभी चारो देश चीन की विस्तारवादी नीति से परेशान हैं। सभी देशों की चीन से किसी न किसी मामले पर तनातनी बनी हुई है।
Quad के सैन्य संगठन न बन पाने का सबसे बड़ा रोड़ा इन देशों के किसी प्रकार का सैन्य अभ्यास न होना था। अब मलाबार युद्धाभ्यास में ऑस्ट्रेलिया भी अमेरिका, भारत और जापान के साथ में शामिल होने जा रहा है। यानि इस संगठन के मिलिट्री एलायंस बनने में देर नहीं है। अगर ऐसा होता है तो यह NATO के बाद सबसे महत्वपूर्ण सैन्य संगठन होगा।
आज यूरोप के अप्रासंगिक होने के कारण, और रूस से कम खतरे को देखते हुए NATO अप्रासंगिक हो चुका है। दूसरे विश्व युद्ध के बाद जब USSR ने वर्ष 1948 में बर्लिन की नाकेबंदी कर दी थी तब पश्चिमी यूरोप के देशों में USSR की कम्युनिस्ट विचारधारा के प्रभाव को रोकने के लिए तथा उनकी सुरक्षा के लिये अमेरिका के नेतृत्व में NATO जैसे संगठन का निर्माण किया गया था। आज ऐसी कोई भी स्थिति नहीं है और न ही रूस से अत्यधिक खतरा है। आज के समय में यह संगठन अप्रासंगिक हो चुका है। आज के दौर में चीन सबसे बड़ी चुनौती है। चीन लगातार बॉर्डर तथा South China Sea में विस्तारवादी नीति से अपनी मनमानी कर रहा है। इससे पूरे Indo-Pacific क्षेत्र में भूचाल आया है। मलेशिया, मालदीव, इंडोनेशिया और फिलीपींस, सभी देश चीन के बढ़ते कदम से परेशान हैं। आज का समय शीत युद्ध की तरह ही हो चुका है। परंतु यहाँ सबसे बड़ी विडम्बना यह है कि NATO अप्रासंगिक को चुका है और Quad का महत्व बढ़ता जा रहा है। अभी तक Quad का एक संवाद का मंच बना हुआ था लेकिन ऑस्ट्रेलिया के मलाबार युद्धाभ्यास में शामिल होने से इसके स्वरूप में बदलाव की के स्पष्ट संकेत मिल रहे हैं। इन चारों देशों की भगौलिक स्थिति इस प्रकार से है कि चीन का बचना नामुमकिन हो जाएगा। अगर चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकना है तो आज के समय की सबसे बड़ी आवश्यकता Quad का मिलिटरीकरण है।