महाराष्ट्र कोरोना से जूझ रहा, और उद्धव सरकार अपने मंत्रियों के लिए लक्जरी कारें खरीद रही है

अफसरों की सैलरी देने के पैसे नहीं है लेकिन लक्जरी कार के लिए है!

महाराष्ट्र

महाराष्ट्र में महा विकास अघाडी (एमवीए) की सरकार राज्य को बर्बाद करने की मानो कसम खा चुकी है। कोरोना वायरस की वजह से तो राज्य पहले ही बर्बादी की कगार पर पहुंच चुका है, रही सही कसर उद्धव ठाकरे की बेवकूफ़ाना हरकतें पूरी कर रही हैं। दरअसल, कोरोना के कारण राज्य सरकार कैश की भारी किल्लत से जूझ रही है, इस बीच उद्धव सरकार ने ऐलान किया है कि वह अपने मंत्रियों के लिए 6 luxury 7-सीटर इनोवा क्रिस्टा कार खरीदेगी। हैरानी की बात तो यह है कि सरकार इन कारों पर ऐसे समय में करोड़ों खर्च करने जा रही है, जब सरकार को अपने अफसरों की सैलरी देने के लिए लोन लेना पड़ रहा है।

हाल ही में महाराष्ट्र के आपदा राहत और पुनर्वास मंत्री विजय वाडेट्टीवार ने कहा था “राज्य का राजस्व बड़े पैमाने पर गिरा है। हमें अगले महीने से राज्य सरकार के कर्मचारियों के वेतन का भुगतान करने के लिए धनराशि उधार लेनी होगी। लेकिन हम यह सुनिश्चित करेंगे कि जो लोग कोविड -19 के खिलाफ लड़ रहे हैं हम उनकी सैलरी कम नहीं करेंगे। अन्य विभागों के लिए, वेतन के भुगतान में देरी हो सकती है। तीन से चार विभागों को छोड़कर, अन्य सभी विभागों के बजट में बहुत गिरावट आएगी”।

हालांकि, इसी सरकार पर अब यह सवाल उठाए जा रहे हैं कि आखिर उसके पास ये कारें खरीदने के लिए 1.37 करोड़ रुपये कहाँ से आए? गौरतलब है कि इन कारों को खरीदने के लिए सीधे मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे द्वारा बजट को जारी किया गया है। जिनके लिए गाड़ियां खरीदी जा रही हैं उनमें स्कूल शिक्षा मंत्री वर्षा गायकवाड़, उनकी डिप्टी (राज्यमंत्री) बच्चू कडू, खेल मंत्री सुनील केदार, उनकी डिप्टी अदिति तटकरे और स्कूल शिक्षा के अतिरिक्त मुख्य सचिव शामिल हैं। जबकि, 6वीं कार खेल विभाग के कार्यालय के इस्तेमाल के लिए खरीदी गई है।

कोरोना स्थिति से निपटने में पूरी तरफ विफल रहने के कारण आज उद्धव सरकार राज्य में 2 लाख से ज़्यादा कोविड पॉज़िटिव मामलों को रिपोर्ट कर चुकी है। पिछले चार महीनों से राज्य का राजस्व गर्त में जा चुका है, और लॉकडाउन के कारण राज्य को 50 हज़ार करोड़ का घाटा उठाना पड़ चुका है। लॉकडाउन भी सही से लागू नहीं किया गया, जिसके कारण ना तो महाराष्ट्र में कोरोना काबू में हुआ और ना ही वित्तीय स्थिति संभल पाई। महाराष्ट्र में जिस प्रकार कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं, उससे स्पष्ट है कि राज्य में कोरोना की टेस्टिंग को बढ़ाए जाने की ज़रूरत है। हालांकि, राज्य सरकार के पास अब पर्याप्त रिवेन्यू ही नहीं है। ऐसे समय में सरकार द्वारा luxury कारों की खरीद को मंजूरी देना भद्दा मज़ाक है। सरकार के इस फैसले को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने कहा “ऐसे समय में कारें खरीदना सरकार के लिए प्राथमिकता कैसे हो सकती है?

महाराष्ट्र हर दिन कोरोना मामलों की रेस में नए रिकॉर्ड बनाता जा रहा है। महाराष्ट्र सरकार की इच्छाशक्ति की कमी का ही नतीजा है कि राज्य की यह हालत है और सरकार को अपने ऐशो-आराम की पड़ी है। राज्य से ऐसी videos आ रही हैं जहां मृत शरीरों के पास ही कोविड के मरीज़ लेटे हुए हैं, जहां पुलिस वालों को सड़क किनारे फुटपाथ पर सोना पड़ रहा है, और ऐसे में मंत्रियों के लिए luxury कार खरीदी जा रही हैं। महा विकास अगाडी सरकार को राज्य को बर्बाद करने के लिए हमेशा के लिए याद रखा जाएगा।

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