राफेल पर झूठ फैला कर भारत और फ्रांस के रिश्तों को खराब करने की कोशिश के बाद अब औसा लगता है कि द हिन्दू ने अपनी भ्रामक रिपोर्टिंग से ईरान के साथ भी भारत के रिश्तों में तनाव पैदा करने की कोशिश की है। परंतु ईरान के अधिकारियों ने द हिन्दू अखबार की पोल खोल दी है।
दरअसल, तीन दिन पहले The Hindu ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी जिसमें यह दावा किया गया था कि ईरान ने चाहबार रेल परियोजना से भारत को हटा दिया है। इस रिपोर्ट को जानी मानी लिबरल पत्रकार सुहासिनी हैदर ने लिखा था। अब ईरान ने इस खबर को पूरी तरह से झूठी और बेबुनियाद बताया है।
The Hindu की रिपोर्ट के मुताबिक ईरान ने चाबहार रेल प्रोजेक्ट से भारत को बाहर का रास्ता दिखा दिया है। वर्ष 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी Iran के दौरे पर गए थे, जहां उन्होंने ईरानी राष्ट्रपति रूहानी के साथ मिलकर चाबहार रेल प्रोजेक्ट को विकसित करने का समझौता किया था। यह प्रोजेक्ट 1.4 बिलियन डॉलर की लागत का होना था। हालांकि, इसके चार सालों बाद ईरान ने यह कहकर भारत को बाहर का रास्ता दिखा दिया है कि भारत इस प्रोजेक्ट को पूरा करने में रूचि नहीं दिखा रहा था। अब Iran खुद इस रेल प्रोजेक्ट को विकसित करेगा।
अब ईरान ने चाबहार-जाहेदान रेलवे परियोजना से भारत को बाहर किए जाने के दावों को खारिज कर दिया है। ईरान के बंदरगाहों और समुद्री संगठन के डिप्टी फरहाद मोंतासिर ने बुधवार को Al Jazeera से बातचीत में कहा कि ‘यह खबर बिल्कुल गलत है क्योंकि ईरान ने भारत के साथ चाबहार-जाहेदान रेलवे परियोजना को लेकर कोई डील नहीं की है।’
मोंतासिर ने कहा, ‘ईरान ने भारत के साथ चाबहार में निवेश के लिए बस दो समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं। पहला बंदरगाह की मशीनरी और उपकरणों को लेकर है और दूसरा भारत का यहां 150 मिलियन डॉलर का निवेश है।’
उन्होंने स्पष्ट किया है कि इस विषय पर कुछ भी आधिकारिक निर्णय नहीं लिया गया है, तो भारत को प्रोजेक्ट से दूर करने की बात ही बेहद हास्यास्पद होगी। ईरानी अफसर फ़हाद मुंतासिर के अनुसार, “जो भी स्टोरी में प्रकाशित किया गया है, वो सरासर गलत है, क्योंकि चाबहार पर अभी भारत के साथ किसी भी तरह के दस्तावेज़ पर कोई हस्ताक्षर नहीं हुए हैं”। हालांकि, ईरान ने किसी मीडिया पोर्टल का नाम नहीं लिया परन्तु भारत में सबसे पहले ये खबर द हिन्दू ने ऐसे प्रकाशित किया कि ईरान ने भारत को चाबहार रेल परियोजना से बाहर कर दिया है। इस खबर के सामने आते ही भारत में इसपर चर्चा तेज हो गयी और ये खबर आग की तरह फ़ैल गयी। सभी ने भारत सरकार को ही निशाने पर लेना शुरू कर दिया कि भारत और ईरान के बीच भी रिश्ते खराब होने लगे हैं।
The Hindu एक जाना-माना न्यूज़ पोर्टल है जिसकी एक गलत रिपोर्टिंग या गुमराह करने वाली खबर देश के सम्मान को न केवल ठेस पहुंचा सकती है, बल्कि दो देशों के बीच तनाव को भी बढ़ा सकती है। ऐसे में ये समझ से परे है कि इस तरह की भ्रामक रिपोर्टिंग द हिन्दू की पत्रकार सुहासिनी हैदर ने क्यों की ? इस खबर को इतना तूल क्यों दिया जिससे दूसरे देश को इसका खंडन करने के लिए सामने आना पड़ा। इसकी जवाबदेही तो बनती ही है।
बता दें कि The Hindu को पिछले कुछ वर्षों में कई बार फेक न्यूज़ फैलाने और जनता को गुमराह करने के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा है, फिर चाहे वो भारतीय रेलवे के बारे में हो, या फिर राफेल डील के बारे में। द हिन्दू प्रकाशन ग्रुप के अध्यक्ष एन राम ने पीएमओ और रक्षा मंत्रालय के बारे में राफेल डील से जुड़ी भ्रामक खबरें फैलाने का काम किया था।
तब राफेल डील को लेकर एक डॉक्यूमेंट के हवाले से The Hindu ने यह आरोप लगाया था कि ‘फ्रांस सरकार के साथ राफेल डील को लेकर रक्षा मंत्रालय की ओर से की गई डील के दैरान पीएमओ ने दखल दिया था जिसका फायदा फ्रांस को हुआ’ जबकि इस हस्तक्षेप का रक्षा मंत्रालय ने विरोध किया था। बाद में यह खुलासा हुआ कि The Hindu ने जानबूझकर इस डॉक्यूमेंट के आधे हिस्से की ही रिपोर्टिंग की थी। तब द हिन्दू के द्वारा इस झूठी रिपोर्टिंग से कई विवाद खड़े हुए थे। इससे भारत और फ्रांस के बीच सम्बन्धों में भी खटास आ सकती थी।
ANI accesses the then Defence Minister Manohar Parrikar’s reply to MoD dissent note on #Rafale negotiations."It appears PMO and French President office are monitoring the progress of the issue which was an outcome of the summit meeting. Para 5 appears to be an over reaction" pic.twitter.com/3dbGB9xF4Z
— ANI (@ANI) February 8, 2019
द हिन्दू जनता को मोदी सरकार के विरुद्ध भड़काने के लिए जानबूझकर तथ्यों के साथ खिलवाड़ करता आया है। उसके द्वारा इस तरह की भ्रामक खबरों को प्रकाशित करने के पीछे का मकसद अपने आकाओं को खुश करना होता है जिससे उनकी दुकान चलती रहे। इस झूठी खबर से इस एजेंडावादी मीडिया हाउस ने पीएम मोदी की विदेश नीति को विफलता के तौर पर पेश करने की कोशिश की। ये एजेंडा आधारित पत्रकारिता की निकृष्टता की पराकाष्ठा है। भारत की विदेश नीति को प्रभावित कर अन्य देशों से रिश्तों को खराब करने की क्षमता रखने वाली ऐसी भ्रामक खबरों को फैलाने वालों के खिलाफ एक्शन ले कर सरकार को जवाबदेही तय करनी चाहिए।