TFI पर हमारा शुरू से ही यह मानना रहा है कि United Nations यानि संयुक्त राष्ट्र में जल्द से जल्द बड़े बदलाव किए जाने की आवश्यकता है, क्योंकि कोरोना वायरस ने इस संगठन की सीमाओं को हम सब के सामने प्रस्तुत किया है। आज का UN वैश्विक समस्याओं से पार पाने में असमर्थ है। यहां भारत जैसी उभरती महाशक्ति का प्रतिनिधित्व न्यायपूर्ण तरीके से नहीं होता है। 29 मई को एक रिपोर्ट में हमने आपको बताया था कि कैसे अब भारत ही इस डूबते और विश्वसनीयता खो चुके संगठन को बचा सकता है। हमारा शुरू से ही मानना रहा है कि UN में बड़े और व्यापक बदलाव होने चाहिए ताकि भारत को इस अंतर्राष्ट्रीय संगठन में उसकी जगह मिल सके। अब कोरोना के बाद भारत ने आधिकारिक रूप से इस अभियान को छेड़ने के लिए बिगुल बजा दिया है। पीएम मोदी ने खुद कहा है कि अब UN का पुनर्गठन करने की आवश्यकता है। ऐसे में हमें जल्द ही एक नए UN के दर्शन हो सकते हैं, वो UN जहां भारत को उसके अधिकार का प्रतिनिधित्व दिया जाएगा।
दरअसल, कल यानि 17 जुलाई को पीएम मोदी ने संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक एवं सामाजिक परिषद के सत्र को संबोधित किया। यह पीएम मोदी का जून में शक्तिशाली सुरक्षा परिषद के गैर-स्थायी सदस्य के रूप में भारत के चुने जाने के बाद पहला भाषण था। इस मौके पर पीएम मोदी ने कहा “आज जब हम यूएन का 75वां साल मना रहे हैं, तब हमें इसके वैश्विक बहुपक्षीय सिस्टम को बदलने की शपथ लेनी चाहिए। यूएन की प्रासंगिकता और इसका प्रभाव बढ़ाने के साथ इसे नई तरह के मानव-केंद्रित वैश्विकरण का आधार बनाना जरूरी होगा। यूएन दूसरे विश्व युद्ध के आवेश के बाद पैदा हुआ था। अब एक महामारी के आवेश के बाद हमें फिर इसमें सुधार का मौका मिला है”।
पीएम मोदी ने यह भी कहा इस संगठन को आज की सच्चाई को स्वीकार करना होगा। और आज की सच्चाई यह है कि भारत न सिर्फ अपने यहाँ करोड़ों लोगों को हर साल बेहतर जीवन सुविधा प्रदान कर रहा है, बल्कि भारत दुनियाभर में अन्य देशों को भी साथ लेकर आगे बढ़ रहा है। पीएम मोदी ने अपने भाषण में याद दिलाया कि कैसे भारत द्वितीय विश्व युद्ध के तुरंत बाद संयुक्त राष्ट्र के 50 संस्थापक सदस्यों में से एक था। उसके बाद से काफी कुछ बदल गया है। आज, संयुक्त राष्ट्र 193 सदस्य देशों को एक साथ लाता है। संगठन से उम्मीदें भी बढ़ी हैं। बहुपक्षवाद भी आज कई चुनौतियों का सामना कर रहा है। ऐसे में इस संगठन में भारत को बड़ी भूमिका मिलना इसके लिए जीवनरक्षक का काम कर सकती है।
इस बात में किसी को कोई शक नहीं है कि कोरोना ने UN की पोल खोलकर रख दी है। चीन के प्रति UN का अधिक झुकाव होने के कारण जापान के उप प्रधानमंत्री तारो आसो तो WHO को चीनी स्वास्थ्य संगठन तक कह चुके हैं। अमेरिका WHO की फंडिंग रोक चुका है और उसपर चीन की तरफदारी करने का आरोप लगा चुका है। कोरोना ने विश्व में तीसरे युद्ध जैसे हालात पैदा कर दिये हैं, जिसके कारण UN की भूमिका पर सवाल उठने लगे हैं। वर्ष 1945 में इस संगठन की स्थापना महायुद्ध जैसे हालात पैदा होने से बचाने के लिए की गयी थी, लेकिन आज कोरोना ने युद्ध से भी विकराल रूप धारण किया हुआ है। इस महामारी से लाखों लोग मारे जा चुके हैं, और लाखों मारे जाने अभी बाकी हैं।
ऐसे में द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जिस प्रकार लीग ऑफ नेशन को संयुक्त राष्ट्र में बदल दिया गया था वैसे ही कोरोना रूपी युद्ध के बाद सभी देशों को मिल कर संयुक्त राष्ट्र में संस्थागत सुधार करने चाहिए। अब जब पीएम मोदी खुद इस मिशन को अपने हाथों में ले चुके हैं, तो हमें जल्द ही UN में बड़े सुधार देखने को मिल सकते हैं। अब भारत बड़ी आक्रामकता के साथ UNSC में स्थायी सीट पाने के लिए मुहिम चलाएगा। अगर यह मुहिम सफल होती है तो जल्द ही भारत का UNSC में परमानेंट सीट पाने का सपना सच हो सकता है।