महाराष्ट्र को देश में कोरोना विस्फोट का केंद्र कहा जाये, तो किसी को कोई हैरानी नहीं होनी चाहिए। मुंबई में कोरोना के कारण तबाही आने के बाद अब पुणे इस महामारी का अगला निशाना बनता दिखाई दे रहा है। राज्य में मुंबई और ठाणे के बाद पुणे में ही कोरोना के सबसे ज़्यादा मामले हैं। एक्टिव मामलों की बात करें तो पुणे ने मुंबई को भी पीछे छोड़ दिया है।
Tfipost से बातचीत में शिवाजीनगर से BJP MLA सिद्धार्थ शिरोल ने खुलासा किया कि राज्य सरकार ने कोरोना के समय पुणे को राम भरोसे छोड़ दिया है, जिसके कारण शहर में कोरोना तांडव मचा रहा है।
सिद्धार्थ शिरोल के मुताबिक “स्वास्थ्य सेवाओं के मामले में पुणे तबाही से कुछ ही दिन दूर है, राज्य सरकार पूरी तरह फेल हो चुकी है”। BJP विधायक ने केंद्र सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। उनके मुताबिक पुणे एक्टिव मामलों की दृष्टि से देश के टॉप 3 शहरों में आता है।
#Pune is a few days away from a medical catastrophe. State Govt. has failed. I on behalf of every Punekar have written to Hon. PM @narendramodi ji, Hon. HM @AmitShah ji, Hon. MoHFW @drharshvardhan ji, Shri. @Dev_Fadnavis ji and sought intervention from the Central Govt. (1/n) pic.twitter.com/bqDWKBwVWP
— Siddharth Shirole (Modi ka Parivar) (@SidShirole) July 16, 2020
शिरोल के मुताबिक जहां प्रधानमंत्री द्वारा घोषित किए गए लॉकडाउन में सरकार को अपनी स्वास्थ्य तैयारियों को पुख्ता करना चाहिए था, ऐसे समय में सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी रही। अब पुणे में स्वास्थ्य से जुड़े उपकरणों की भयंकर कमी हो गयी है। अब महाराष्ट्र के इस शहर में वेंटिलेटर्स और मेडिकल सप्लाई की कमी से जूझ रहा है। उनके ट्वीट के मुताबिक “पुणे में 200 ICU और 100 वेंटिलेटर की कमी है, जिससे नागरिकों की जान पर खतरा कई गुना बढ़ गया है”।
पुणे में कोरोना के कुल 49 हज़ार से ज़्यादा मामले हैं, जिनमें से लगभग 30 हज़ार मामले एक्टिव हैं। सिद्धार्थ शिरोल के मुताबिक अब एक्टिव मामलों में लोगों की जान जानें खतरा बढ़ गया है, क्योंकि शहर में पर्याप्त संख्या में मेडिकल उपकरण हैं ही नहीं!
शिरोल के मुताबिक राज्य सरकार ने कोरोना की स्थिति से निपटने का सारा जिम्मा प्राइवेट सेक्टर पर छोड़ दिया है और राज्य सरकार की ओर से हजारों बेड वाला कोई अस्पताल नहीं बनाया गया। पुणे में लोगों की खराब आर्थिक स्थिति के बावजूद भी अब दोबारा सख्त लॉकडाउन लागू किया जा रहा है। इससे क्षेत्र में खाने की समस्या भी पैदा हो रही है।
ऐसे समय में महराष्ट्र की महा विकास अगाडी सरकार पुणे को दरकिनार कर चुकी है। उद्धव सरकार द्वारा हाल ही में पुणे के म्युनिसिपल कमिश्नर शेखर गायकवाड का तबादला कर दिया गया था और उनकी जगह Pune Metropolitan Region Development Authority के मौजूदा CEO विक्रम कुमार को वह पद सौंपा गया था।
सिद्धार्थ शिरोल ने सवाल उठाए कि ठीक महामारी के बीच MC बदलने के कारण पुणे के 5 दिन बर्बाद हो गए, क्योंकि इस पूरी प्रक्रिया में 5 दिन का समय लगा था। शिरोल के मुताबिक राज्य सरकार ने पुणे को अपने बल पर छोड़ दिया है। उन्होंने कहा “पिछले 100 दिनों में ठाकरे जी ने पुणे में एक भी दौरा नहीं किया है, और यहां कोरोना से मुक़ाबले की तैयारियों का कोई जायज़ा भी नहीं लिया है”।
BJP MLA के मुताबिक राज्य सरकार क्षेत्र के चुने हुए प्रतिनिधि से भी कोई बातचीत नहीं कर रही है। उन्होंने बताया “जो लोग पुणे में ज़मीन पर कोरोना से मुक़ाबला कर रहे हैं, उन चुने हुए प्रतिनिधियों से उद्धव ने एक बार फोन पर भी बात नहीं की है”। Tfipost को आगे वे बताते हैं कि उन्होंने उद्धव सरकार को कई फोन/emails भी किए हैं, लेकिन अब तक उन्हें कोई ठोस जवाब नहीं मिला है।
यहां तक कि उद्धव सरकार राज्य की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बीजेपी के साथ भी कोई वार्तालाप नहीं कर रही है। महा विकास अगाडी सरकार को राज्य के सबसे प्रतिष्ठित मुख्यमंत्रियों में से एक रहे देवेन्द्र फडणवीस से कुछ सीखना चाहिये। लेकिन आदित्य ठाकरे तो पहले ही फडणवीस की चिंताओं को “disaster tourism” का नाम दे चुके हैं। ऐसे में उनसे कोई उम्मीद नहीं लगाई जा सकती। BJP MLA के मुताबिक “महाराष्ट्र सरकार अपने मंत्रालयों और विभागों द्वारा permissions में देरी कर केंद्र सरकार के वंदे भारत मिशन को भी चोट पहुंचाने का काम कर रही है”।
@SidShirole I thought being new and younger, you would be slightly different from the rest of the troll army, avoiding politics and blame games in times of the pandemic. Still have hopes on that. We have been in constant touch with MEA and Ministry of Civil Aviation. (1/n)
— Aaditya Thackeray (@AUThackeray) May 19, 2020
आदित्य ठाकरे ने अपना स्तर दिखाते हुए सिद्धार्थ शिरोल के आरोपों पर जवाब देते हुए उन्हें एक “ट्रोल “ घोषित कर दिया। अपने राजनीतिक विरोधियों की चिंताओं को परे रख उन्हें ट्रोल कहने वाले आदित्य ठाकरे अपने नैतिक दिवालियेपन का ही सबूत दे रहे हैं। राज्य सरकार के इसी रवैये के कारण आज पुणे तबाही के मुहाने पर खड़ा है।