2019 के अंत में भारत के संसद द्वारा पारित नागरिकता संशोधन अधिनियम एक अहम सुधार था, जिसका प्रमुख उद्देश्य धार्मिक तौर पर अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश में प्रताड़ित हिन्दू, सिख, इसाइयों, पारसी इत्यादि के अनुयाइयों को भारत में आसरा देना था। लेकिन अब कुछ लोग इसका दुरुपयोग करते हुए भारत में घुसने के नए रास्ते खोज रहे हैं, जिनमें प्रमुख रूप से रोहिंग्या घुसपैठिए शामिल हैं।
इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार केन्द्रीय जांच एजेंसियों ने भारत सरकार को सीएए के लिए आवेदन कर रहे नागरिकों में धड़ल्ले से ईसाई धर्म में परिवर्तन के मामलों से अवगत कराया गया है। इनमें प्रमुख रूप से अफगान मुसलमान और रोहिंग्या मुस्लिम शामिल हैं, जो सीएए के अंतर्गत नागरिकता पाने के लिए ईसाई धर्म में परिवर्तित भी हो रहे हैं।
इसमें कोई दो राय नहीं है कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में अल्पसंख्यकों के लिए जीवनयापन मौत से भी बदतर है। गैर मुसलमानों को अनेकों प्रकार के अत्याचारों को झेलना पड़ता है। इसीलिए सीएए को पारित कराया गया था, ताकि ऐसे लोगों को भारत में आसरा मिल सके, और भारतीय नागरिकता लेने में उन्हें अधिक कष्ट न झेलना पड़े। परंतु सीएए की एक कट ऑफ डेट भी है – दिसंबर 31, 2014, और इससे पहले जो भी भारत आया है, वही नागरिकता के लिए योग्य है।
परंतु सीएए पारित होने के पश्चात कई ऐसे अफगान मुसलमान और रोहिंग्या मुस्लिम हैं, जो ईसाई धर्म में परिवर्तित होना चाहते हैं। दक्षिणी दिल्ली के एक अफगान चर्च के प्रमुख अदीब अहमद मैक्सवेल के अनुसार, “सीएए के पश्चात ऐसे कई अफगान मुसलमान हैं, जो ईसाई धर्म में परिवर्तित होना चाहते हैं। ऐसे किसी भी आवेदन की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए”।
दिल्ली में ही करीब डेढ़ लाख से 1 लाख 60 हज़ार अफगान मुसलमान निवास करते हैं, जबकि अभी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार 40000 रोहिंग्या मुसलमान भारत में रह रहे हैं, जिसमें से अधिकांश जम्मू एवं कश्मीर में निवास करते हैं। रोहिंग्या मुसलमान इस समय भारत की सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा सरदर्द बने हुए हैं, और जम्मू कश्मीर में पूर्ववर्ती सरकारों के भ्रष्ट आचरण के कारण इन्हें पनपने का भरपूर अवसर मिला है। इसके अलावा जब से मोदी सरकार ने सत्ता संभाली है, तब से 4000 से अधिक नागरिकों को भारतीय नागरिकता प्रदान की गई है, चाहे वो बांग्लादेश के हो, पाकिस्तान के हो या फिर अफगानिस्तान के हो।
अफसरों का यह भी मानना है कि CAA का दुरुपयोग वो मुसलमान भी कर सकते हैं जो कट ऑफ डेट के पहले भारत आए थे, जिसके संकेत अभी हाल ही के धर्म परिवर्तनों से मिले हैं। इससे साफ समझ में आता है कि सीएए में कुछ ऐसी बातें भी हैं, जिनका दुरुपयोग कर असामाजिक तत्व भारत में किसी भी प्रकार से घुसना चाहते हैं। अब ये सरकार के ऊपर निर्भर है कि वह अपने कट ऑफ डेट को किस प्रकार से लागू कराते हैं। यदि वे समय रहते नहीं चेते, तो जिस उद्देश्य से उन्होने सीएए पारित कराया था, वो उद्देश्य कुछ असामाजिक तत्वों के कारण मिट्टी में भी मिल सकता है।