अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मारना कोई सैफ अली खान से सीखे। सुशांत सिंह राजपूत पर बॉलीवुड के एलीट वर्ग के घड़ियाली आंसुओं पर सवाल उठाने वाले सैफ एक बार फिर सुर्खियों में है, और इस बार भी गलत कारणों से। ‘दिल बेचारा’ से जुड़ी बातचीत के दौरान सैफ ने एक ऐसी बात बोल दी, जिसके कारण सोशल मीडिया पर वे हंसी के पात्र बने हुए हैं।
हाल ही में द न्यू इंडियन एक्सप्रेस के साथ बातचीत पर सैफ अली खान ने सुशांत सिंह राजपूत के बारे में कई बातें साझा की। बता दें कि सुशांत सिंह राजपूत की अंतिम फिल्म ‘दिल बेचारा’ में सैफ का भी एक छोटा सा, पर अहम रोल है। सुशांत की प्रशंसा करते हुए उन्होने कहा, “वो बहुत ही सुंदर और प्रतिभावान अभिनेता था। उन्होंने मेरे गेस्ट भूमिका की प्रशंसा भी की थी। मुझे उनका काम बहुत अच्छा लगा था, वो खगोलशास्त्र और दर्शनशास्त्र पर मुझसे अपने विचार साझा करना चाहता था”।
तो फिर विवाद किस बात पर हुआ? दरअसल, सैफ अली खान ने आगे जो बोला, उसके कारण वे सोशल मीडिया पर हंसी का पात्र बन गए। उन्होंने कहा, “देखिये, फिल्म हो या कोई और क्षेत्र , भारत में ऐसी असमानता है, जिसपर हम सभी को ध्यान देना होगा। नेपोटिज़्म हो, गुटबाजी हो, ये सभी अलग-अलग विषय है। मैं भी नेपोटिज़्म का शिकार रहा हूँ, पर कोई उस बारे में बात नहीं करेगा।”
सैफ अली खान के ये रोना ठीक वैसा ही है जैसा ‘राहुल गांधी का वंशवाद’ को जड़ से उखाड़ने की बात करना। फिर भी हमने सैफ के दुःख को समझने की कोशिश की, और इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि जिसकी पहली फिल्म ही यश चोपड़ा द्वारा निर्देशित हो, जिसकी माँ सेंसर बोर्ड की अध्यक्ष पद पर हो तब उस व्यक्ति को ‘सर्वश्रेष्ठ अभिनेता’ का राष्ट्रीय पुरस्कार मिला हो, उसका दुःख यकीनन आप और मैं नहीं समझ सकते। 2017 के IIFA अवार्ड्स में करण जौहर और वरुण धवन ने जब एक एक्ट्रेस का मजाक उड़ाते हुए ‘नेपोटिज़्म रॉक्स!’ कहा था तब भी इन जनाब को ऐसा दुःख था कि वो भी इसमें शामिल हो गए थे। वाकई सैफ अली खान को बहुत झेलना पड़ा है। परन्तु सोशल मीडिया के यूजर कहां किसी का दुःख समझते हैं और गहराई में जाते हैं और सैफ को जमकर ट्रोल किया
परन्तु, सोशल मीडिया के यूजर कहां किसी का दुःख समझते हैं और गहराई में जाते हैं और सैफ को जमकर ट्रोल किया।
एक यूजर ने कहा, “जब सैफ अली खान कहे कि वे वंशवाद के शिकार रहे हैं। आडियन्स भी कहे, 50 रुपये काट ओवरएक्टिंग का!”
https://twitter.com/mragrawalarun/status/1278552585587187712?s=20
एक अन्य यूजर ने तंज़ कसा, “पता नहीं सैफ अली खान कब विक्टिम बन गये। अगर वे विक्टिम हैं, तो अनन्या पाण्डे का स्ट्रगल भी genuine है”।
खैर, यह पहली बार नहीं है जब सैफ अली खान ने ज़रूरत से ज़्यादा बोल गए हो। इतिहास को लेकर अपने समान्य ज्ञान को खुलकर सामने रखने में भी सैफ का कोई जवाब नहीं है. इससे पहले भी तान्हाजी की सफलता के बाद अनुपमा चोपड़ा को दिये एक इंटरव्यू के दौरान सैफ ने कहा था कि ‘वे नहीं मानते कि अंग्रेज़ों से पहले भारत का कोई इतिहास था’। अब सैफ नहीं मानते तो इतिहास बदल थोड़े जायेगा लिहाजा जो भारत के इतिहास और अस्तित्व को मानते हैं उन्हें ये बात बिलकुल पसंद नहीं आयी और सैफ अली खान को इसके लिए आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था।